भारतीय संगीत को समर्पित कर दिया जीवन

- कई दशक पहले बाबू बैजनाथ सहाय ने प्रयाग संगीत समिति की रखी आधारशीला

- आज दुनिया भर में उसकी शाखाएं भारतीय संगीत को दे रही विस्तार

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ALLAHABAD: भारतीय संगीत की धमक विश्व पटल पर अंकित करने में प्रयाग संगीत समिति का अहम योगदान है। वर्षो पहले एक सोच के रूप में स्थापित इस संस्थान की शाखाएं आज विश्व के कई देशों में भारतीय संगीत को समृद्धशाली बना रही है। प्रयाग संगीत समिति की नींव डालने वाले बाबू बैजनाथ सहाय और उनके दो साथियों को भले ही कोई याद करे ना करे लेकिन हम अपने इस अभियान में संगीत को समर्पित उनके जीवन को बड़ी शिद्दत से याद करेंगे.ताकि आने वाली पीढि़यां उनके इस योगदान को सदा स्मरण रखे और प्रेरणा ले सके।

तीन दोस्तों ने मिलकर रखी नींव

अंग्रेजी शासन काल में जब भारतीय संगीत सबसे कठिन दौर से गुजर रहा था और कुछेक लोगों तक ही सीमित था, उस समय फेमस आर्टिस्ट पं। विष्णु दिगम्बर पुलस्कर के आवाह्न पर इलाहाबाद के एडवोकेट बाबू बैजनाथ सहाय ने अपने दो दोस्तों मेजर डॉ। रंजीत सिंह और सत्यानंद जोशी के साथ मिलकर साउथ मलाका में प्रयाग संगीत समिति की नींव डाली। संगीत समिति के निर्माण के लिए बाबू बैजनाथ सहाय ने जीवन भर की कमाई समिति को दान में दे दी। उनके द्वारा लगाए गए प्रयाग संगीत समिति रूपी पौधे ने आज पूरे विश्व में अपनी जड़ें जमा ली हैं। देश में लगभग सभी यूनिवर्सिटीज इसके द्वारा संचालित कोर्सेज को मान्यता देती हैं।

वकालत से संगीत प्रेम तक

बाबू बैजनाथ सहाय इलाहाबाद के एक संभ्रांत परिवार में पैदा हुए थे। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने वकालत शुरू कर दी। वो ब्रिटिश शासनकाल में इलाहाबाद म्यूनिसिपल बोर्ड के मेंबर भी रहे। वो समय ऐसा था जब शास्त्रीय संगीत कोठों व राजाश्रित गायकों के आपाधापी के बीच दम तोड़ रही थी। उसी समय प्रख्यात संगीतकार पं। विष्णु दिगम्बर पुलस्कर के आवाह्न पर भारतीय संगीत के समृद्धशाली गौरव को स्थापित करने और उसके उत्थान की परिकल्पना के साथ बाबू बैजनाथ ने अपने दो दोस्तों के साथ मिलकर इसकी संरचना की कल्पना की। क्9ख्म् में शिवरात्रि के दिन प्रयाग संगीत समिति की स्थापना की गई। उसके दो साल बाद ही क्9ख्8 में पं। विष्णु दिगम्बर अकादमी ऑफ म्यूजिक की स्थापना हुई। इसके कुछ सालों बाद क्9ब्8 में उन्होंने अपने अथक प्रयासों अल्फ्रेड पार्क यानी आजाद पार्क के पास पांच एकड़ जमीन प्राप्त करके प्रयाग संगीत समिति की दूसरी शाखा का निर्माण का कार्य शुरू किया। इसी बीच क्9ब्9 में उनकी अचानक मृत्यु हो गई, जिसके बाद उनके अधूरे कार्य को उनके भतीजे रामेश्वर सहाय ने पूरा कराया।

शाम को क्लासेज संचालित रखने का कांसेप्ट

प्रयाग संगीत समिति के स्थापना के समय से ही यहां पर संगीत की साधना करने के लिए शाम के समय का कंसेप्ट तैयार किया गया था। इस बारे में बाबू बैजनाथ सहाय के पौत्र और वर्तमान में संगीत समिति के सचिव अरूण कुमार कहते हैं कि इस कांसेप्ट के पीछे बाबू बैजनाथ की सोच यह थी कि दिन भर महिलाएं घर के कार्यो में व्यस्त रहती हैं। ऐसे में सिर्फ एक शाम का समय ही रहता है, जब वो संगीत की साधन के लिए निकाल सकती हैं। इसी कारण आज भी प्रयाग संगीत समिति में क्लासेज का समय शाम को ही रखा गया है। सिटी में ही संचालित संगीत समिति की सभी शाखाओं में शाम के समय विद्यार्थी संगीत की साधना करते हैं।

जाति-धर्म का अनूठा संगम

प्रयाग संगीत समिति में जाति व धर्म का अनूठा संगम देखने को मिलता है। यहां के सिलेबस में भी सबकी छाप दिखती है। संगीत समिति के सचिव अरूण कुमार ने बताया कि सिलेबस में गुरूवाणी और टैगोर संगीत को भी शामिल किया गया है। समिति में संचालित कोर्सेज में भारतीय शास्त्रीय संगीत की सभी विधाओं की शिक्षा दी जाती है, जिससे नई जनरेशन में भारतीय शास्त्रीय संगीत के प्रति जागरूकता बनी रहे और वो भारतीय संस्कृति को आत्मसात कर सकें।

कई देशों में संचालित हो रहे सेंटर्स

भारत ही नहीं प्रयाग संगीत समिति की शाखाएं पूरे विश्व में फैली हुई है और वहां शास्त्रीय संगीत का प्रचार-प्रसार हो रहा है। प्रयाग संगीत समिति की ओर से अमेरिका, यूके, कनाडा, मारिशस, रसिया, स्पेन, नेपाल समेत कई देशों में सेंटर्स स्थापित किए गए हैं। जहां विदेशी व भारतीय मूल के लोग भारतीय शास्त्रीय संगीत की शिक्षा ले रहे हैं। प्रयाग संगीत समिति के सचिव ने बताया कि अन्य कई देशों में भी इसके सेंटर्स खोलने पर विचार किया जा है।

Posted By: Inextlive