पितृ पक्ष में पूजा की विधि का विशेष ध्यान रखा जाता है। इस दौरान पूजा की दिशा का अत्याधिक महत्व होता है। माना जाता है कि देवों ने और पितरों ने दिशाओं को बांट लिया है...


इस तरह से देवों के लिए पूर्व दिशा जबकि पितरों के लिए दक्षिण दिशा की मान्यता है। इसलिए पितरों का पूजन करते समय सभी कार्य उल्टे किए जाते हैं। पितरों का पूजन करते समय हमेशा दक्षिण की ओर मुख करके ही पूजन किया जाता है। इस दौरान यगोपवित को भी उल्टा ही धारण करना चाहिए। मालूम हो तिल और कुशा का प्रयोग पितरों के पूजन में प्रमुख चीजें हैं। इससे पूजा का उद्देश भी शीघ्र सफल होता है।भारत में कई जगहों पर पितृ पक्ष को अलग नामों से जानते हैं


पितृ पक्ष के दिन हमारे श्रद्धा निवेदन के दिन हैं। हमारे द्वारा अपने पितरों को याद करने के दिन हैं। उनकी वजह से ही हम इस दुनिया में हैं। भारत के अलग-अलग स्थानों में पितृ पक्ष को अलग-अलग नामों से जाना जाता है पर श्राद्ध का अर्थ हर जगह एक ही है। अपने देवताओं, पितरों और वंशजों के प्रति श्रद्धा प्रकट करना। माना जाता है कि जिन लोगों की आत्मा अपना शरीर छोड़कर चली जाती है, वे श्राद्ध पक्ष में पृथ्वी पर आते हैं। उन्हें प्रसन्न करने के लिए श्रद्धा के साथ शुभ संकल्प और तर्पण किया जाता है। पृथ्वी पर ये छोटी सी पूजा करने से ही पितरों को आसानी से शांति मिल जाती है।

इस तरह करेंगे तर्पण तो मिलेगा उचित फलफूल की थाली में विशुद्ध जल भरकर उस पर थोड़े काले तिल व दूध डालकर अपने समक्ष रखें एवं उसके आगे दूसरा एक खाली पात्र भी रख लें। तर्पण करते समय दोनों हाथों के अंगूठे और तर्जनी के मध्य कुशा लेकर अंजलि बना लें। अर्थात दोनों हाथों को परस्पर मिलाकर उस मृत व्यक्ति का नाम लेकर तृप्त नाम कहते हुए अंजलि में भरा हुआ जल दूसरे खाली पात्र में छोड़ दें। एक-एक व्यक्ति के लिए कम से कम तीन अंजलि का तर्पण करना आवश्यक है। अर्पित किए गए जल में से थोड़ा सा जल आंखों में अवश्य लगाना चाहिए। थोड़ा जल घर में छिड़क देना चाहिए और बचे हुए तिल को किसी ऐसे पीपल के पेड़ पर अर्पित कर देना चाहिए, जिसकी हमेशा पूजा होती चली आ रही हो।Pitru Paksha 2019: घी दान करने से हर गलती माफ करेंगे पितर, अलग-अलग वस्तुओं के दान का प्रभाव भी अलगश्राद्ध में लोहे के पात्र का इस्तेमाल न करें

श्राद्ध में सात पदार्थ बहुत महत्वपूर्ण होते हैं जिनमें गंगाजल, दूध, शहद, कुश और तिल प्रमुख हैं। श्राद्ध सोने चांदी और तांबे के पात्र से या पीतल के प्रयोग से करना चाहिए। श्राद्ध में लोहे का प्रयोग नहीं करना चाहिए। श्राद्ध में केले के पत्ते पर श्राद्ध भोजन परोसना निषेध है।-पंडित दीपक पांडेयPitru Paksha 2019: ऑनलाइन करें ई-पिंडदान, श्राद्ध के ये पैकेज हुए लांच

Posted By: Vandana Sharma