Pitru Paksha 2021 : शास्त्रों में मनुष्य के तीन ऋणों का जिक्र किया गया है। इसमें पितृ ऋण को उतारने के लिए पितृ पक्ष सबसे उत्तम समय होता है। यहां पढ़ें श्राद्ध के प्रकार और किस समय किया गया श्राद्ध अति फलदायक होता है...


पं राजीव शर्मा (ज्योतिषाचार्य)। Pitru Paksha 2021: पितृ पक्ष 20 सितंबर से शुरू हुआ और यह अब 6 अक्टूबर तक चलेगा। शास्त्रों में मनुष्य के तीन ऋणों का जिक्र किया गया है। इसमें देव ऋण, ऋषी ऋण व पितृ ऋण में पितृ ऋण को श्राद्ध करके उतारना आवश्यक है। ब्रह्मपुराण के अनुसार आश्विन मास के कृष्ण पक्ष में यमराज यमपुरी से पितरों को मुक्त कर देते हैं और वे अपनी संतानों तथा वंशजों से पिंडदान लेने के लिए पृथ्वी पर आते हैं। सूर्य के कन्या राशि में आने के कारण ही आश्विन मास के कृष्णपक्ष का नाम 'कनागत' पड़ गया क्योंकि सूर्य के कन्या राशि में आने पर पितृ पृथ्वी पर आकर अमावस्या तक घर के द्वार पर ठहरते हैं। भाद्र पद शुक्ल पूर्णिमा से प्रारम्भ करके आश्विन कृष्ण अमावस्या तक सोलह दिन पितरों का तर्पण और विशेष तिथि पर श्राद्ध करना चाहिए। इस प्रकार करने से यथोचित रूप में 'पितृ व्रत' पूर्ण होता है। शास्त्रों में 12 प्रकार के श्राद्ध नित्य-श्राद्ध, नैमित्तिक- श्राद्ध ,काम्य-श्राद्ध , वृद्धि-श्राद्ध, सापिण्ड-श्राद्ध, पार्वण-श्राद्ध , गोष्ठ-श्राद्ध, शुद्धि-श्राद्ध , कर्माग-श्राद्ध, दैविक-श्राद्ध, औपचारिक-श्राद्धसांवत्सरिक-श्राद्ध।सभी श्राद्धों में सांवत्सरिक श्राद्ध सबसे श्रेष्ठ है,इसे मृत व्यक्ति की तिथि पर करना चाहिए।इस समय किया गया श्राद्ध अत्यन्त फलदायक
पितरों की प्रतिमा की प्रतिष्ठा मघा, रोहिणी,मृगशिरा एवं श्रवण नक्षत्र में रविवार, सोमवार एवं गुरुवार में तथा वृषभ,सिंह एवं कुम्भ लग्न में प्रशस्त माना गया है। वहीं दो वर्ष से पूर्व यदि किसी बालक की मृत्यु हो जाये, तो इसके लिए श्राद्ध या तर्पणादि करने की आवश्यकता नहीं है। इसके अलावा दिन का आठवां मुहुर्त कुतप काल कहलाता है। इसका समय 11:36 बजे से 12:24 बजे तक लगभग होता हैं। यह श्राद्ध में विशेष प्रशस्त होता है। इसमें किया गया श्राद्ध अत्यन्त फलदायक होता है।

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Posted By: Shweta Mishra