Pitru Paksha 2021 : धर्म ग्रन्थों में श्राद्ध पक्ष और पितृगणों की विशेष महत्ता बताई गई है। उनकी प्रसन्नता अत्यन्त आवश्यक होती है। अत: श्राद्ध पक्ष के सम्बन्ध में निम्नलिखित विशिष्ट बातों को श्रद्धा पूर्वक ध्यान में रखकर श्राद्ध का कार्य सम्पन्न करने से पितृगण अति प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं। यहां जानें श्राद्ध में क्या करें और क्या न करें...


पं राजीव शर्मा (ज्योतिषाचार्य)। Pitru Paksha 2021 : सभी व्यक्ति श्राद्ध पक्ष में अपने पितृगणों के नियमितत श्राद्धकर्म का कार्य करते हैं। शास्त्रों के अनुसार श्राद्ध के पांच प्रकार बताये गये हैं। 1. नित्य 2. नैमित्तिक 3. काम्य 4. वृद्धि (नान्दी श्राद्ध) 5. पार्वण श्राद्ध। प्रतिदिन पितृ देवताओं के निमित्त जो श्राद्ध किया जाता है उसे नित्य श्राद्ध कहते हैं। इसमें यदि जल से श्राद्ध कराया जाये तो भी पर्याप्त होता है। एकोदिष्ट श्राद्ध को नैमित्तिक श्राद्ध कहते हैं। किसी विशेष कामना की पूर्ति के लिए जब पितृों का श्राद्ध किया जाता है तो वह काम्य श्राद्ध कहलाता है। जब कुल में किसी प्रकार की वृद्धि का अवसर उपस्थित हो जैसे पुत्र जन्म, विवाह जैसे कार्य हों और श्राद्ध किया जाता है तो वह नान्दी श्राद्ध अथवा वृद्धि श्राद्ध कहा जाता है और इसके अतिरिक्त पितृ पक्ष अमावस्या या अन्य पर्व तिथियों पर जो श्राद्ध किया जाता है, उसे पार्वण श्राद्ध कहते हैं।श्राद्ध में क्या करें और क्या न करें कम्बल, चांदी, कुशा, काले तिल, गौ और दोहित्र की श्राद्ध में विशेष महत्ता बताई गई है। श्राद्ध में पिण्ड दान करते समय तुलसी का प्रयोग अवश्य करना चाहिए। इससे पितृ प्रसन्न होते हैं।


श्राद्ध में गौ निर्मित वस्तुयें जैसे- दूध, दही, घी आदि काम में लेना श्रेष्ठ होता हो। सभी धान्यों में जौ, तिल, गेंहू, मूंग, सावा, कंगनी आदि को उत्तम बताया गया है। आम, बेल, अनार, बिजौरा, नीबू, पुराना आवंला, खीर, नायिल, खालसा, नारंगी, खजूर, अंगूर, परवल, चिरौंजी, बैर, इन्द्र जौ, बथुआ, मटर, कचनार, सरसो इत्यादि पितृों को विशेष प्रिय होती हैं। अत: भोजन आदि में इनका प्रयोग करना श्रेष्ठ रहता है। श्राद्ध के निमित्त ब्राह्मण भोजन करवाया जाता है। यदि ब्राह्मण नित्य गायत्री का जाप करता हो, सदाचारी हो तो उसे करवाये गये भोजन का विशेष फल प्राप्त होता है। श्राद्ध में भोजन करने वाले ब्राह्मण को यथा सम्भव मौन रखना चाहिए।पितृ पक्ष में तम्बाकू, तेल लगाना, उपवास करना, दवाई लेना, दूसरों का भोजना करना, दातून करना आदि वर्जित माना गया है। श्राद्ध के निमित्त आये ब्राह्मणों को भोजन पकाते व खिलाते समय लोहे के पात्र का प्रयोग नहीं करना चाहिए।श्राद्ध पक्ष में मांस एवं मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए। श्राद्ध पक्ष में गाय का दान श्रेष्ठ माना गया है। यदि पितृों के निमित्त इस अवधि में गो दान किया जाये तो पितृगणों को विष्णु लोक की प्राप्ति होती है

श्राद्ध पक्ष के दौरान "पितृसूक्त" का पाठ करने से पितृगण अत्यन्त प्रसन्न होते हैं। ब्राह्मण भोजन के समय पितृसूक्त का पाठ करने से इसका तुरन्त फल प्राप्त होता है। यदि किसी व्यक्ति की अकाल मृत्यु हुई हो अथवा अपने पितृगणों के मोक्ष के लिए पितृ पक्ष सबसे उत्तम समय होता है। पिता का श्राद्ध ज्येष्ठ पुत्र को ही करना चाहिए। स्मृति ग्रन्थों के अनुसार पुत्र, पौत्र, प्रपौत्र, दौहित्र, पत्नी, भाई, भतीजा, पिता, माता, पुत्र-वधु, बहन, भांजा तथा सपिण्डजनों को श्राद्ध करने का अधिकार है लेकिन यथा सम्भव पुरूष को ही श्राद्ध करना चाहिए। श्राद्ध में सब्जी या सलाद आदि बनाते समय बैंगन का प्रयोग अत्यन्त निषेध है। इसके अलावा उड़द, मसूर, अरहर, गाजर, लौकी, शलजम, हींग, प्याज, लहसुन, काला नमक, काला जीरा, सिंघाड़ा, जामुन, कुल्थी, महुआ, अल्सी एवं चना यह वस्तुयें भी श्राद्ध में वर्जित होती हैं।

Pitru Paksha 2021: पितृ पक्ष में श्राद्ध का महत्व, जानें पितृ दोष का प्रभाव और उपाय Pitru Paksha 2021: 20 सितंबर से 6 अक्टूबर तक पितृ पक्ष

Posted By: Shweta Mishra