Pitru Visarjan 2021 : पितृ पक्ष के अंतिम दिन को पितृ विसर्जन के नाम से जाना जाता है। आश्विन महीने की अमावस्या के दिन पितरों को विदाई दी जाती है। ऐसे में इस साल 6 अक्टूबर को पितृ विसर्जन वाले दिन महापुण्यदायक गजच्छाया योग बन रहा है। आइए जानें इसका महत्व और कैसे करें पितृ विसर्जन...

पं राजीव शर्मा (ज्योतिषाचार्य)। Pitru Visarjan 2021: पितृ पक्ष अर्थात श्राद्ध का प्रारम्भ 20 सितंबर से हुआ था और यह अब 6 अक्टूबर को समाप्त हो रहा है। पितृ पक्ष के दाैरान लोग अपने पुरखों की याद में तर्पण करते है। इसके अलावा श्राद्ध आदि करते हैं। इस बार 6 अक्टूबर 2021,बुधवार को श्राद्ध पक्ष में महापुण्यदायक "गजच्छाया" योग बन रहा है। इस योग में तीर्थ-स्नान,दान,जप एवं ब्राह्मणों को भोजन,अन्न,वस्त्रादि का दान व श्राद्ध करने का विशेष माहात्म्य माना गया है। सर्व पितृ श्राद्ध के दिन ज्ञात-अज्ञात तिथियों में मृतकजनों के निमित्त श्राद्ध कर्म करने से पितरों की शांति तथा श्राद्धकर्म कर्ता के घर में सुख-शांति एवं पारिवारिक सौभाग्य में वृद्धि होती है।

गजच्छाया योग
अमावस तिथि को सूर्य एवं चंद्र दोनों हस्त नक्षत्र में होने से यह गजच्छाया नामक योग का बनता है।शास्त्रों में इसकी बहुत महिमा है। इस योग में तीर्थ-स्नान,दान,जप एवं ब्राह्मणों को भोजन,अन्न,वस्त्रादि का दान व श्राद्ध करने का विशेष माहात्म्य माना गया है। पितृ पक्ष में यह विशिष्ट योग कल सूर्योदय से शाम को 4:35 बजे तक विशेष रूप से रहेगा।

श्रद्धा पूर्वक पितृ विसर्जन
आश्विन मास की अमावस्या को पितरों की विधिवत विदाई की जाती है। शास्त्रों में अपराह्न काल "कुतप काल" में श्राद्ध कर्म करने का विधान है। इस दिन ब्राह्मण भोजन,दानादि के बाद गौ ग्रास एवं पीपल पर जल-तिलाञ्जलि करना शुभ होता है। सांयकाल गृहद्वार के बाहर दीप प्रज्वलित कर श्रद्धा पूर्वक पितृ विसर्जन करना चाहिए। इससे पितृ प्रसन्न होंगे।

Posted By: Shweta Mishra