- एक तरफ श्रद्धा और दूसरी तरफ तिरस्कार

- विकृत पशुओं को भी बनाया कमाई का साधन

LUCKNOW: 'इ भगवान के मैनेजर हम सबका लुल्ल बना रहे हैं। हम सब भी लुल्ल होई गवा है। कऊनो गजब की फिरकी ले रहा है, तबहीं तो आस्था के नाम पर अंधविश्वास का खौफ दिखाकर जेब से गांधीछाप निकालने का कौनों मौका नाहीं छोड़त है। हर विकृत चीज को अद्भुत बताकर उसे भगवान का नाम देवत है और फिर शुरू होत है कमाई का धंधा। न इंसान और न ही कौनो जानवर। हर विकृत को अनोखा रूप देवत है और ओकर भगवान के मैनेजर जमकर मार्केटिंग भी करते है.'

बैल बाबा की जय हो

आई नेक्स्ट का पीके संडे को अवध गोला पर निकला। जब हजरतगंज चौराहे के पास जीपीओ पर पहुंचा। रोड किनारे का एक नजारा देखकर ठिठक गया। एक आदमी अपने साथ एक बैल को लेकर चल रहा था। बैल को अनोखा दिखाने के लिए उसे सीप से बनाए गए वस्त्र से सजाया गया था। बैल को देख वहां से गुजर रहे लोग हाथ जोड़ रहे थे और वह व्यक्ति उनकी मनोकामना के नाम पर उनसे पैसा वसूल रहा था।

कहीं आदर, कहीं तिरस्कार

आई नेक्स्ट का पीके इसके बाद आगे बढ़ा। कुछ दूरी पर उसे ऐसा ही नजारा दिखा लेकिन इस बार फिल्म थोड़ी उल्टी थी। बैल और साड़ का एक ग्रुप रोड किनारे खड़े थे। जिसके चलते ट्रैफिक व्यवस्था बिगड़ रही थी। वहां से गुजरने वाले लोग उन्हें देख कर कह रहे थे कि आवारा पशुओं के चलते ही हमारी सिटी बर्बाद हो रही है। कुछ देर बाद नगर निगम का कैटल कैचिंग दस्ता आया तो आवारा पशुओं को सरकारी गाड़ी में जबरन खींचकर भर ले गया। आई नेक्स्ट के पीके को दोनों सीन में यह फर्क समझ में नहीं आया कि अद्भुत दिखने वाले बैल को लोग पैसा चढ़ा रहे थे जबकि कॉमन दिखने वाले जानवर का तिरस्कार कर रहे थे।

पीके का सवाल

क्या किस्मत बदलने के लिए हम किसी अद्भुत चीज का सहारा लेना पड़ता है? क्या बिना मेहनत के वह अद्भुत चीज हमारे मन की मुराद पूरी कर सकता है? अगर ऐसा हो तो इंडिया व‌र्ल्ड कप बिना खेले ही जीत सकता है क्या? मतलब गौमाता के सामने हाथ जोड़ो और तुरंत भीषण ठंड से बचो। अंगुली में रत्नजडि़त अंगूठी पहनो और तत्काल विदेश यात्रा पर चले जाओ, क्या ऐसा हो सकता है?

Posted By: Inextlive