गरीबी की रेखा तय करने के लिये पुराने आंकड़ों का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा. आयोग योजनाओं का लाभ बीपीएल परिवारों तक ही सीमित रखने के पक्ष में नहीं हैं. योजनाओं को इसके ऊपर के परिवारों तक भी ले जाने का प्लान है.


32 रुपये के लिये 32 हजार बातें सुन चुके मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने प्रेस कान्फ्रेंस कर सफाई दी कि यह आइडिया उनका नहीं था. आइडिया को थोड़ा चेंज करते हुए उन्होने कहा कि गरीबी का आधार 32 रुपये नहीं होगा और यह तय करने के लिये एक सर्वे काराया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट में दिए गये एक हलफनामें में सरकार ने अपनी सफाई पेश की है. प्लानिग कमीशन के डिप्टी चेयरमैन मोंटेक सिंह आहलूवालिया और रूरल डेवलपमेंट मिनिस्टर जयराम रमेश ने ज्वाइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि 32 रुपए को गरीबी रेखा का आधार मानना आयोग की राय नहीं थी.  मोंटेक ने कहा, 'वह तेंडुलकर समिति की राय थी. उसी के आधार पर आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के सवालों के जवाब देते हुए वह हलफनामा दायर किया था.'


उन्होने यह भी ऐलान किया है गरीबी की रेखा तय करने के लिये पुराने आंकड़ों का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा. जयराम रमेश ने कहा कि गांवों में एक सर्वे के बाद ही गरीबी रेखा का नया आधार बनाया जाएगा. उनका कहना है कि जनवरी 2012 तक यह सर्वे रिपोर्ट आएगी.  

मोंटेक सिंह ने यह भी बताया कि आयोग योजनाओं का लाभ बीपीएल परिवारों तक ही सीमित रखने के पक्ष में नहीं हैं. आयोग योजनाओं को इसके ऊपर के परिवारों तक भी ले जाना चाहता है.

Posted By: Divyanshu Bhard