शहर के नालों से लेकर प्लॉस्टिक कचरे से अटे पडे़ शहर के नाले और डंपिंग ग्राउंड

Meerut. पूरा साल बीत गया पर नगर निगम शहर में पॉलीथिन बैन नहीं कर सका. इसी का नतीजा है कि गत वर्ष प्लास्टिक वेस्ट के कारण बरसात में जलभराव की समस्या से जूझने के बाद इस साल भी शहर के नाले और डंपिंग ग्राउंड प्लास्टिक वेस्ट से अटे हुए हैं. नालों की सफाई के दौरान सिल्ट में 30 प्रतिशत तक प्लास्टिक वेस्ट निकल रहा है. इस वेस्ट को डिस्पोज करना निगम के लिए भारी परेशानी बना हुआ है. हालत यह है कि लोहियानगर के कूड़ा डंपिंग ग्राउंड में भी पॉलीथिन कचरे का अंबार लगा हुआ है.

200 टन प्लास्टिक

एक अंदाजे के अनुसार शहर से रोजाना निकलने वाले 800 से 900 मीट्रिक टन कूडे़ में करीब 200 टन से अधिक रोजाना प्लास्टिक कचरा या पॉलीथिन निकलती है. इसके साथ ही शहर के नालों में सिल्ट से अधिक जलभराव का कारण भी पॉलीथिन ही हैं. नाले पॉलीथिन के कारण अटे हुए हैं. ऐसे में नालों की सफाई के बाद ये पॉलीथिन भी डंपिंग ग्राउंड में डाल दी जाती है, लेकिन नष्ट न हो पाने के कारण कई सालों से डंपिंग ग्राउंड में पॉलीथिन ढेर लगता जा रहा है.

पॉलीथिन पर बैन नहीं

- देव पार्क बागपत रोड

नगर निगम ने गत वर्ष मई माह में पॉलीथिन बैन के लिए अभियान की शुरुआत की थी. एनजीओ की मदद से नगर निगम ने जोरों शोरों से पॉलीथिन में सामान देने वाले व्यापारियों पर जुर्माने की कार्यवाही व अभियान शुरु किया था, लेकिन एक माह में अभियान की हवा निकल गई. अब पूरा साल बीतने के बाद भी निगम पॉलीथिन पर बैन नहीं लगा पाया है. इसी का नतीजा है कि आज वही पॉलीथिन निगम की परेशानी बना हुआ है.

गांवडी प्लांट भी हुआ डंप

कूड़ा निस्तारण के लिए गत वर्ष गांवडी में तैयार हुए कूड़ा निस्तारण प्लांट से कुछ राहत मिलने की उम्मीद थी लेकिन साल भर भी प्लांट की योजना परवान ना चढ़ सकी जिसके कारण से वहां लगा कूडे़ का ढेर आज आसपास के गांव में बीमारी का सबब बन चुका है. हालत यह है कि इसके बाद अब लोहियानगर में डंपिंग ग्राउंड में हजारों टन कूड़ा रोज सड़ रहा है इसमें सबसे अधिक मात्रा प्लास्टिक कचरे व पॉलीथिन की है.

अधर में प्लास्टिक बेचने की योजना

निगम ने गांवड़ी प्लांट से कम्पोस्ट खाद के साथ साथ प्लास्टिक, टीन, लोहा आदि चीजों को अलग-अलग करके बेचने की योजना भी बनाई थी. इस योजना के तहत प्लास्टिक व लोहे को अलग कर शेष कूड़े से बॉयो कंपोस्ट बनाने के साथ लोहा व प्लास्टिक को बकायदा टेंडर करके बेचा जाना था लेकिन यह योजना भी अधर में है.

-312 नाले नगर निगम क्षेत्र में

-24 बड़े नाले

-195 छोटे नाले

-93 अन्य नाले

2,39,400 मीटर नालों की कुल लंबाई

45,900 मीटर बड़े नालों की लंबाई

1,43,350 मीटर छोटे नालों की लंबाई

51,250 मीटर क्षेत्रीय नालों की लंबाई

सफाई कर्मचारियों की भरपूर व्यवस्था

नगर निगम में करीब तीन हजार से अधिक सफाई कर्मचारी हैं. इनमें 2208 अस्थाई और करीब 1076 स्थाई सफाई कर्मचारियों की फौज पिछले माह से शहर के नालों और सीवर लाइन की सफाई में जुटे हुए हैं. निगम का दावा है कि इस बार अलग अलग शिफ्ट में सफाई के काम में जुटे हुए हैं. इन काम में निगम ने अपनी जेसीबी, पोक लेन और फासी मशीन को भी लगाया हुआ है.

जलभराव के प्रमुख प्वाइंट

- नगर निगम कार्यालय के सामने रोड घंटाघर तक

- मैट्रो प्लाजा झंडे वाले की दुकान तक

- दिल्ली चुंगी के सामने

- मलियाना

- पिलोखडी रोड श्यामनगर

- प्रहलाद नगर

- माधवपुरम पुलिस चौकी

- सोतीगंज रोड

- जैदी सोसाइटी

- कैलाश पुरी

- गोला कुंआ

नालों से निकलने वाली सिल्ट में सबसे अधिक प्लास्टिक कचरा निकल रहा है. नालों के जाम होने का प्रमुख कारण प्लास्टिक है. हालांकि नालों से सिल्ट के साथ प्लास्टिक निकाली जा रही है, लेकिन उसके निस्तारण के लिए भी प्रयास किया जा रहा है.

- गजेंद्र सिंह, नगर स्वास्थ्य अधिकारी

Posted By: Lekhchand Singh