पाकिस्तानी हॉकी टीम के कोच अख्तर रसूल ने अनुभवी फॉरवर्ड शकील अब्बासी को रोजा रखने के कारण राष्ट्रीय शिविर से बाहर करके बड़े विवाद को जन्म दे दिया. बुधवार की इस घटना के बाद यह चर्चा जोर पकड़ सकती है कि क्या खिलाडिय़ों को मैचों या शिविर के दौरान रोजा रखना चाहिए या नहीं?


निर्देशों का उल्लंघन, अनुशासनात्मक कार्रवाईरसूल ने कहा कि अब्बासी ने निर्देशों और नीतियों का उल्लंघन किया इसलिए उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई. उन्होंने कहा, ‘शिविर शुरू होने से पहले ही फैसला किया गया था कि कोई भी खिलाड़ी रोजा नहीं रखेगा, क्योंकि इसके कारण ट्रेनिंग पर ध्यान लगाना संभव नहीं होता है. यदि अब्बासी रोजा रखना चाहते हैं तो उन्हें ऐसा घर में करना चाहिए.यह नेशनल कैंप है, ट्रेनिंग पर दें ध्यानयह राष्ट्रीय शिविर है और सभी खिलाडिय़ों को अपनी ट्रेनिंग पर ध्यान देने की जरूरत है. आगामी एशिया कप हमारे लिए ‘करो या मरो’ जैसा है. यदि हम उसे नहीं जीत पाते तो फिर विश्व कप के लिए क्वालीफाई नहीं कर सकते हैं.’ यह शिविर मलयेशिया में होने वाले एशिया कप की तैयारियों के लिए लगाया गया है.नहीं किया कोच के आदेश का पालन
अब्बासी ने पुष्टि की कि उन्होंने मुख्य कोच के आदेश का पालन नहीं किया, लेकिन कहा कि रोजा रखने के बावजूद वह ट्रेनिंग पर ध्यान केंद्रित कर सकते थे. उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि मैं दोनों काम कर सकता हूं. मेरा मानना है कि रोजा रखना या नहीं रखना किसी का निजी फैसला होना चाहिए.’

Posted By: Satyendra Kumar Singh