खिलाड़ियों पर लगा प्रतिबंध, लेकिन अधिकारी बचे
वैसे जिस तरह का फ़ैसला बीसीसीआई के अधिकारियों ने किया उसका अनुमान काफी हद तक सबको था. आख़िरकार शाम होते-होते बीसीसीआई ने अपने निर्णय में पूर्व टेस्ट तेज़ गेंदबाज़ एस श्रीसंत और स्पिनर अंकित चव्हाण पर आजीवन प्रतिबंध लगा दिया.इसके साथ ही राजस्थान रॉयल्स के अमित सिंह को पांच साल और सिद्धार्थ त्रिवेदी को एक साल के लिए निलंबित किया गया है. युवा स्पिनर हरमीत सिंह को सबूतों के अभाव में छोड़ दिया गया.
बीसीसीआई के इस फैसले पर जाने-माने खेल पत्रकार और क्रिकेट समीक्षक प्रदीप मैगज़ीन कहते हैं, "किसी भी खिलाड़ी पर अगर मैच फिक्सिंग के आरोप के आधार पर प्रतिबंध लगाया जाए तो दुख तो होता है, लेकिन अभी इस मामले में पुलिस की जांच चल रही है, बोर्ड के एक बड़े अधिकारी के रिश्तेदार जो ख़ुद आईपीएल में एक फ्रैंचाइज़ी के अधिकारी है और एक फ्रैंचाइज़ी के मालिक के खिलाफ़ भी केस चल रहे हैं. ऐसे में अगर सिर्फ खिलाड़ियों के ख़िलाफ कार्रवाई हो तो ऐसा लगता है कि बोर्ड अपने आप को बचाने के लिए झुंझलाहट और जल्दबाजी में कदम उठा रहा है."'पुलिस केस'
उन्होंने कहा, ''सब लोग बस इस बात में उलझ जाएं कि देखों कितना अच्छा किया, खिलाड़ियों को सज़ा दे दी और सबका ध्यान उनसे हट जाए. एक तरफ यह साफ-सुथरा आईपीएल चलाने की बात करते है लेकिन अगर ऐसे ही चलता रहा तो सफाई कहां से होगी, क्योंकि खिलाड़ी भी तो उन्हीं अधिकारियों के प्रभाव में आएंगे जैसा अधिकारी चलाना चाहेंगे."वहीं बीसीसीआई द्वारा इन दिनों दक्षिण अफ्रीका पर बनाए जा रहे दबाव को लेकर प्रदीप मैगज़ीन कहते हैं, "मुझे समझ में नहीं आता कि क्यों उसे भारत का दौरा छोटा रखने के लिए मजबूर किया जा रहा है. आखिरकार क्यों सचिन के 200वें मैच का इतना ज़िक्र हो रहा है. इससे अधिक महत्वपूर्ण था कि भारत दक्षिण अफ्रीका से कहता कि आप एक बड़ी सिरीज़ रखिए क्योंकि उसमें दिलचस्पी अधिक थी.''उन्होंने कहा, ''अब इसमें किसकी दिलचस्पी होगी कि वेस्टइंडीज जैसी कमज़ोर टीम भारत आकर खेले. अगर सचिन दक्षिण अफ्रीका में अपना 200वां मैच खेलते तो अच्छा होता. बीसीसीआई दक्षिण अफ्रीका के बोर्ड को समझाना चाहता है कि हारून लोगार्ट को आपने अपना मुख्य कार्यकारी क्यों बनाया, अब हम आपको बताएंगे कि कैसे यह दौरा आपके अनुसार होगा जो सरासर गलत है इससे उसकी अपनी छवि खराब हुई है."