- स्पो‌र्ट्स स्टेडियम में एथलेटिक्स कॉम्पटीशन के दूसरे दिन अव्यवस्थाओं के चलते प्लेयर्स हुए परेशान

-रेस से पहले खिलाडि़यों से चूना डाल बनवाया गया ट्रैक, रखवाए गए हर्डल

बरेली : श्री गुलाबराय इंटर कॉलेज की ओर से स्पो‌र्ट्स स्टेडियम में 65वां डिस्ट्रिक्ट लेवल स्कूल्स एथलेटिक्स कॉम्पटीशन हो रहा है। कॉम्पटीशन के दूसरे दिन खिलाडि़यों को खाना और पानी तक नहीं मिला जिससे वे बेहाल दिखे। टेक्निकल ऑफिसर खुद तो जूते पहने हुए थे जबकि उनको दौड़ना नहीं था। लेकिन रेस के लिए आए बच्चों को नंगे पैर ही ट्रैक पर दौड़ा दिया। उस पर भी ट्रैक में जगह-जगह गिट्टियां पड़ी हुई थीं जिससे कई खिलाडि़यों के पैर जख्मी हो गए। यहां तक कि खिलाडि़यों को खुद ही चूने से ट्रैक भी बनाना पड़ा। वहीं रेस के लिए हर्डल्स भी उन्हीं को रखना पड़ा। हैरत की बात तो यह थी कि स्कूल्स के जिन प्रिंसिपल्स को व्यवस्थाएं सुधारने और करने का जिम्मा मिला था, वे पंखे की हवा में आराम करते नजर आए।

रेस के बाद 100 रुपए

कॉम्पटीशन में खिलाड़ी पूरे दिन पसीना बहाते रहते हैं, लेकिन खाने-पाने के सामान की जगह उनको सिर्फ 100 रुपए दिए जाते हैं वो भी शाम को कॉम्पटीशन खत्म होने के बाद। यह 100 रुपए स्कूल की ओर से दिए जा रहे हैं। वहीं खिलाडि़यों से साफ तौर पर कहा गया है कि इतने रुपए में ही उन्हें खाने-पीने और आने-जाने की व्यवस्था करनी है। इतने कम रुपए में मैनेज करने में खिलाडि़यों को काफी परेशानी हो रही है।

हाथ में बिव पकड़कर दौड़े

एथलेटिक्स में खिलाडि़यों को बिव नंबर अलॉट किए जाते हैं, यह मैट या फिर कपड़े का बना होना चाहिए जिससे हवा दौड़ते वक्त यह सीने पर चिपका रहे, लेकिन यहां तो आनन-फानन में कागज के ही बिव नंबर खिलाडि़यों के सीने पर चिपका दिए गए, जिससे कई बार दौड़ते वक्त कागज निकल गया। इससे खिलाड़ी जूझते दिखे। वहीं कुछ खिलाडि़यों के तो बिव नंबर तक नहीं लगाया गया था।

सिर्फ तीन ही टेक्निकल ऑफीसर्स

हर साल डिस्ट्रिक्ट लेवल एथलेटिक्स प्रतियोगिता ठीक व नियमानुसार कराने की जिम्मेदारी के लिए मेजबान स्कूल को टेक्निकल ऑफिसर्स बुलाने पड़ते हैं। इस प्रतियोगिता में पूरे डिस्ट्रिक्ट की 8 जोन से करीब 20 इंटर कॉलेज के करीब 550 स्टूडेंट्स प्रतियोगिता में प्रतिभाग कर रहे हैं। लेकिन इतने बच्चों की प्रतियोगिता के लिए सिर्फ तीन टेक्निकल ऑफिसर्स ही नियुक्ति किए गए हैं। जबकि नियम की माने तो इतने खिलाडि़यों के लिए कम से कम 12 ऑफिसर्स होने चाहिए।

इतना मिलता है बजट

हर साल होने वाली डिस्ट्रिक्ट और मंडलीय प्रतियोगिताओं से पहले स्कूल प्रबंधन प्रति स्टूडेंट्स 15 रुपये लेता है। इस प्रतियोगिता में करीब 20 स्कूल्स प्रतिभाग कर रहे हैं ऐसे में लाखों रुपये का बजट डीआईओएस संघ में जमा होता है। इसी बजट से प्रतियोगिता का आयोजन होता है। वहीं खाने-पीने से लेकर हर चीज मुहैया कराने की जिम्मेदारी होती है लेकिन यहां शिक्षकों को तो समय से खाना दिया जा रहा है, लेकिन खिलाडि़यों को अपनी निजी व्यवस्था ही पेट भरने के लिए करनी पड़ रही है।

स्टूडेंट्स की बात

1. हम लोगों जब प्रतियोगिता में प्रतिभाग करने आए तो हमें कोई पैसे नहीं दिए गए, वापस लौटते समय 100 रुपये मिले, लेकिन आने-जाने और खाने का खर्चा इससे कई ज्यादा हो गया।

-तौहीद, सीएस इंटर कॉलेज, फरीदपुर

2. खाना तो दूर पानी के लिए भी किसी ने नहीं पूछा। थकान और भूख से हाल बेहाल हैं। जाते समय सौ रुपये दिए जाते हैं, लेकिन यह पर्याप्त नही हैं।

खालिद, सीएस इंटर कॉलेज, फरीदपुर

3. हम घर से ही खाना लाए थे वही खाया। बैठने को कोई इंतजाम नहंी है। लेडिज टॉयलेट में भीषण गंदगी है। ट्रैक भी बनाना पड़ रहा है।

गीतांजलि, कांति कपूर इंटर कॉलेज।

वर्जन

550 खिलाडि़यों के लिए तीन टेक्निकल ऑफिसर्स हैं, जबकि नियमानुसार 12 होने चाहिए, सारी व्यवस्थाएं बिगड़ी हुई हैं। स्टूडेंट्स से ही ट्रैक बनवाना पड़ रहा है। ऑर्गनाइजर तो झांकने तक नही आए हैं।

शाहिबे आलम, टेक्निकल ऑफिसर।

Posted By: Inextlive