ह्मड्डठ्ठष्द्धद्ब : ¨रग रोड से चार किलोमीटर की दूरी पर उग्रवादियों ने सरेआम दो लोगों की हत्या कर डाली। हटिया -राउरकेला रेलवे लाइन से लाखों टन कोयला देश के विभिन्न हिस्सों में हर दिन जाता है। इसी साइट पर एसके कंस्ट्रक्शन के कर्मचारी विशाल रेड्डी और प्रहलाद सिंह पिछले कई दिनों से कार्य में जुटे थे। यहां मिट्टी की कटाई कर उसे रेलवे टै्रक के आसपास गिराने का कार्य चल रहा था। इतने में ही पीएलएफआइ उग्रवादी तीन बाइक पर वहां पहुंच गए और हत्याकांड को अंजाम दे डाला।

बजती रही घंटी, नहीं उठा फोन

घटना स्थल पदो मृतकों के तीन मोबाइल फोन पड़े हुए थे। लागातार घंटी बज रही थी लेकिन पोन किसी ने नहीं उठाया। इंजीनियर विशाल रेड्डी की पत्नी बार-बार फोन कर रही थी। दूसरी ओर प्रहलाद सिंह के मोबाइल की घंटी भी लगातार बज रही थी। लेकिन घटनास्थल पर मौजूद ग्रामीणों में से कोई भी फोन उठाने के लिये आगे नहीं आया।

इलाका में पसरा सन्नाटा

कांड के बाद पूरे इलाकें में सन्नाटा पसर गया। ग्रामीणों को आसपास आने की भी हिम्मत नहीं हुई। सभी दूर से ही घटना स्थल को देख रहे थे। खौफ का मंजर सभी के चेहरे पर साफ तौर से दिख रहा था। शव को उठवा कर गाड़ी पर रखने के लिए पुलिस ने ग्रामीणों से सहयोग भी मांगा, लेकिन उसमें भी साथ किसी ने नहीं दिया।

25 तक का दिया था अल्टीमेटम

एसके कंस्ट्रकशन कंपनी को उग्रवादियों ने लेवी का भुगतान करने के लिए 25 मार्च का समय दिया था। 25 मार्च को उग्रवादियों का दस्ता चरका नामक एक उग्रवादी के साथ साइट पर पहुंचा और लेवी की मांग की थी लेकिन कंपनी के कर्मियों ने संचालक के नहीं होने और सम्पर्क नहीं हो पाने की बात कहकर उन्हें टाल दिया था। उग्रवादियों ने साफ कर दिया था कि अखिलेश्वर गोप का कहना है कि बिना लेवी दिये अब काम दोबारा शुरु नहीं करना है लेकिन कौंपनी के संचालकों ने इसको गंभीरता से नहीं लिया। इतना ही नहीं कंपनी के लोगों ने इस बात की जाकारी पुलिस को भी नहीं दी।

होली से चल रहा था लेवी का मानमनौव्वल

कंपनी ने होली से पूर्व ही काम शुरु किया था और उग्रवादियों को लेवी भुगतान के लिये लागातार टाल रही थी.23 मार्च को रामनवमी से पूर्व काम बंद कर दिया गया था। 30 मार्च शुक्रवार को रेलखंड पर काम फिर से शुरु करने की तैयारी चल रही थी।

घटना की कहानी, कारु की जुबानी

5 घंटों तक लड़ा जिंदगी की जंग

घायल चालक कुलदीप उर्फ कारु ने कहासाहब, दिल दहल गया है, बाल बच्चों का चेहरा नजर आ रहा था जब भाग रहे थे। हमको कई किलोमीटर दूर तक दौड़ाया उग्रवादियों ने उसके बाद गोली मार दी। गोली लगने के बाद भी 5 घंटो से ज्यादा समय तक इधर उधर भागते रहे। छिपते रहे सर, कोई अपने घर का दरवाजा तक नहीं खोल रहा था। कई घंटों तक झाडि़यों और खेतों के नाले में पड़ा रहा, छिपा रहा, डर लग रहा था कि कहीं फिर उनलोगों के सामने न आ जाउं.पैर से लागातार खून बह रहा था, बहुत दर्द हो रहा था लेकिन परिवार की दूआ है कि जान बच गयी।

पीएलएफआइ ने लिया मुठभेड़ का बदला

रांची पुलिस ने गुरवार को तिलकेश्वर गोप के दस्ते के दो उग्रवादियों को मुठभेड़ में मार गिराया है। माना जा रहा है कि पीएलएफआई सूप्रीमो दिनेश गोप के इशारे पर अखिलेश्वर गोप ने कांड को अंजाम देकर पुलिस को खुली चुनौती तो दे ही डाली साथ ही गुरुवार के कांड का बदला भी ले लिया।

नक्सलियों का सेफ जोन है रांची-खूंटी का बॉर्डर

रांची-खूंटी का सीमावर्ती इलाका पीएलएफआइ का गढ़ रहा है। इन इलाकों से नक्सलियों के लिए रहने के ठिकाने के साथ-साथ अर्थतंत्र का भी जुड़ाव है। पूरे राज्य के विकास कार्याें में लगे ठेकेदारों, ईट-भट्ठों, क्रशर खदान, कारखानों, व्यवसायियों और अधिकारियों से लेवी वसूली का ब्लू प्रिंट तैयार होता है। यह सीमावर्ती इलाका इनके लिए फाइनेंशियल कॉरीडॉर बना है।

कहां-कहां नक्सलियों का है आशियाना

तुपुदाना ओपी क्षेत्र के गरसुल, अंबाटोली, कटहर टोली, सोदाग, चेटे, चिटुआदाग, बड़पहाड़ का इलाका इनका स्थाई ठिकाना बना है। लोग नाम बदलकर यहां निवास कर रहे हैं। इसकी भनक न तो पुलिस को होती है। न पड़ोस में रहने वालों को।

Posted By: Inextlive