International Womens Day International Women's Day 2020: अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर पीएम मोदी ने अपने तमाम सोशल मीडिया हैंडल्स की कमान 7 महिलाओं को सौंपी। जिसमें पहला नंबर था फूड बैंक की शुरुआत करने वाली स्नेहा मोहनदास का उसके बाद आई बॉम्ब ब्लास्ट सरवाइवर मालविका अय्यर फिर कशमीर की आरिफा उसके बाद गोरमाटी कला से जुड़ी विजया पवार वॉटर वॉरियर कल्पना रमेश कानपुर की कलावती और मुंगेर की वीणा देवी इन सभी ने अपनी कहानी भी सोशल मीडिया पर शेयर कीं। आइये जाने कौन हैं आज की खास ये सात महिला रतन और क्या है इनकी कहानी।

कानपुर। International Women's Day: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ दिन पहले घोषणा की थी कि उनके जीवन को प्रेरित करने वाली महिलाओं में से कुछ को ये मौका मिलेगा कि वे इंटरनेशनल वोमेनंस डे पर उनके सोशल मीडिया अकाउंटस को हैंडल करेंगी और अपनी लाइफ स्टोरी शेयर करेंगी। इस क्रम में सात महिलाओं को सलेक्ट किया गया और उन्होंने आज सोशल मीडिया अकाउंट्स के माध्यम से देश की जनता से कनेक्ट किया। मिलिए इन सातों से।

Greetings on International Women&यs Day! We salute the spirit and accomplishments of our Nari Shakti.
As I&यd said a few days ago, I&यm signing off. Through the day, seven women achievers will share their life journeys and perhaps interact with you through my social media accounts.

— Narendra Modi (@narendramodi) March 8, 2020फूड बैंक चेन्नै की फाउंडर स्नेहा मोहन दास

स्नेहा मोहन दास ने एक विडियो ट्वीट करते हुए बताया कि वह फूड बैंक की संस्थापक हैं। उन्होंने 2015 में चेन्नै में आई बाढ़ से कुछ पहले फूड बैंक की स्थापना की थी। स्नेहा को ऐसा करने की इंस्परेशन अपनी मां से मिली थी, जो उनके दादाजी के जन्मदिन पर बच्चों को घर बुला कर खाना खिलाती थीं। स्नेहा ने इसी सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए सोचा कि क्यों कुछ ऐसा करें कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को भोजन मिल सके। इस तरह भूख से लड़ने के लिए उन्होंने फूड बैंक स्टार्ट किया। इसके लिए स्नेहा ने बताया कि वह फेसबुक पर लोगों से कनेक्ट करती हैं और फूड बैंक के काम को आगे बढ़ाती हैं। फूड बैंक चेन्नै नाम से इस फेसबुक पेज पर लोगों से अपने-अपने राज्यों और शहरों के नाम से फेसबुक पेज बनाने की अपील डाली गई और उनकी हेल्प से पूरे देश में 18 जगहों पर फूड बैंक की शुरूआत हुई। इसके बाद एक फूड बैंक दक्षिण अफ्रीका में भी शुरू हुआ।

You heard of food for thought. Now, it is time for action and a better future for our poor.
Hello, I am @snehamohandoss. Inspired by my mother, who instilled the habit of feeding the homeless, I started this initiative called Foodbank India. #SheInspiresUs pic.twitter.com/yHBb3ZaI8n

— Narendra Modi (@narendramodi) March 8, 2020बीकानेर बॉम्ब ब्लास्ट में हाथ खो देने वाली मालविका अय्यर

मालविका अय्यर का कहना है कि उन्होंने जीवन के सबसे कठिन दौर में अपने हाथ खो देने के बाद भी हार नहीं मानी। अपने दर्द से उबर कर वे अब एक मोटिवेशनल स्पीकर होने के साथ-साथ दिव्यागों के राइटस के लिए भी काम कर रही हैं. मालविका ने बताया कि जब बीकानेर बॉम्ब ब्लास्ट हुए थे वो 13 साल की थीं इस हादसे में उन्होंने अपने दोनों हाथ खो दिए थे और उनके पैर भी बुरी तरह से जख्मी हो गए थे। पर वो हारी औऱ टूटी नहीं, अपनी कहानी सुनाते हुए मालविका ने शेयर किया कि सच को एक्सेप्ट करना सबसे बड़ा इनाम है जो हम अपने को दे सकते हैं। हम अपने जीवन को कंट्रोल नहीं कर सकते, पर अपना विजन पॉजिटिव रख सकते हैं।यही सबसे ज्यादा मायने रखता है कि आपने चुनौतियों का सामना कैसे किया।

Acceptance is the greatest reward we can give to ourselves. We can&यt control our lives but we surely can control our attitude towards life. At the end of the day, it is how we survive our challenges that matters most.
Know more about me and my work- @MalvikaIyer #SheInspiresUs pic.twitter.com/T3RrBea7T9

— Narendra Modi (@narendramodi) March 8, 2020कश्मीर की नमदा बुनकर आरिफा

कश्मीर की ट्रेडीशनल क्राफ्ट नमदा को सेव करने के लिए काम करने वाली आरिफा खुद भी नमदा बुनकर हैं।नमदा ऊन से कारपेट बुनने की आर्ट है। आरिफा ने अपनी कहानी शेयर करते हुए बताया कि आर्टिसन का कोर्स करते हुए उन्हें कई क्राफ्ट वर्कर के घर जाने का मौका मिला। वहां उनको समझ आया कि इस कला से जुड़े लोगों के हालात अच्छे नहीं है और ये धीरे धीरे खत्म हो रही है। वजह थी सही कीमत ना मिलने के चलते पैसे की कमी जिससे इस हुनर की इमेज राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी खराब हो रही थी। तब उन्होंने कश्मीर में रह कर नमदा क्राफ्ट को बचाने का डिसीजन लिया, और अब तक 7 सालों में वे अपने साथ 25 महिलाओं को जोड़ चुकी हैं। लगातार संघर्ष करते हुए वे धीमी रफ्तार से आगे बढ़ रही हैं।

I always dreamt of reviving the traditional crafts of Kashmir because this is a means to empower local women.
I saw the condition of women artisans and so I began working to revise Namda craft.
I am Arifa from Kashmir and here is my life journey. #SheInspiresUs pic.twitter.com/hT7p7p5mhg

— Narendra Modi (@narendramodi) March 8, 2020गोरमाटी कला से जुड़ी विजया पवार

पीएम मोदी के ट्विटर हैंडल को चलाने वाली एक औऱ इंस्पायरिंग महिला हैे विजया पवार, जो गोरमाटी आर्ट से जुड़ी हैं। विजया ने अपने मैसेज में गोरमाटी कला को बढावा देने और इनकरेज करने के पीएम को धन्यवाद दिया और फाइनेंशियल हेल्प के लिए आभार जाताया।वे इस कला के संरक्षण के लिए पूरी तरह से समर्पित हैं।गोरमाटी महाराष्ट्र के गांवों में रहने वाले बंजारा समाज का हैंडीक्राफ्ट है। विजया करीब 20 साल से इसके लिए काम कर रही हैं और आज उनके साथ एक हजार से ज्यादा महिलाएं जुड़ी हुई हैं।

You have heard about handicrafts from different parts of India. My fellow Indians, I present to you handicrafts of the Banjara community in rural Maharashtra. I have been working on this for the last 2 decades and have been assisted by a thousand more women- Vijaya Pawar pic.twitter.com/A3X47245E3

— Narendra Modi (@narendramodi) March 8, 2020वॉटर वॉरियर कल्पना रमेश

कल्पना रमेश ने अपना एक विडियो पीएम मोदी के ट्विटर हैंडल पर शेयर किया और बताया कि वे वॉटर वॉरियर हैं। प्रोफेशन ले कल्पना एक आर्किटेक्ट हैं। वो अमेरिका से हैदराबाद शिफ्ट हुई हैं औऱ यहां आने पर उन्हें कई बार पानी की समस्या से जूझना पड़ा, कई बार पानी के टैंकर मंगाने पड़े।तब उन्होंने तय किया कि वे पानी बचाने के लिए मूवमेंट शुरू करेंगी। इसके बाद करीब 8 साल पहले जब उन्होंने अपना घर बनाया तो पूरा ख्याल रखा कि पानी की एक बूंद भी बर्बाद न जाए और उसे सहेज कर रखा जाए। उनका मूवमेंट सक्सेजफुल रहा और 2016 में हैदराबाद में किसी को भी पानी की ज्यादा दिक्कत नहीं हुई। कल्पना ने बताया कि पानी सेव करने की इंस्परेशन उन्हें अपनी मां से मिली, उन्होंने पीएम मोदी के ट्विटर हैंडल का इस्तेमाल लोगों से पानी की बचत करने की अपील करने के लिए किया।

Be a warrior but of a different kind!
Be a water warrior.
Have you ever thought about water scarcity? Each one of us can collectively act to create a water secure future for our children
Here is how I am doing my bit. @kalpana_designs pic.twitter.com/wgQLqmdEEC

— Narendra Modi (@narendramodi) March 8, 2020कानपुर की शौचालय बनाने के लिए प्रेणना देने वाली कलावती

कानपुर की झोपड़पट्टी में रहने वाली कलावती ने देखा कि उनके आसपास लोग कीड़े-मकोड़ों की तरह रहते हैं। कपड़े धोना औऱ नहाना तो दूर लोगों के पास पीने तक का साफ पानी नहीं था। तब उन्होंने लोगों के घरों में जाकर समझाया, और शौचालय बनाने के लिए घूम-घूमकर पैसा इकट्ठा किया। आखिरकार कुछ सालों की स्ट्रगल के बाद लोग समझने लगे की शौचालय जरूरी हैं और तब उनके निर्माण का काम शुरू हुआ। कलावती ने लोगों से 10-20-50 और 100 रुपये का दान लेकर काम शुरू करवाया। दो साल बाद उन्होंने 55 सीट का शौचालय और 11-11 हजार लीटर की दो पानी की टंकियां लगवाईं। बस्ती के गोगों के घरों में टोटियां पहुंचाईं। उन्होने समझाया कि स्वस्थ रहने के लिए स्वच्छता जरूरी है।कलावती कहती हैं कि लोगों को जागरूक करने में थोड़ा समय लगा, लेकिन उन्हें यकीन था कि लोग समझेंगे।आखिर उनका सपना पूरा हुआ। वे अब तक हजारों शौचालय बनवा चुकी हैं।कलावती ने महिलाओं से अपील की कि वे बाहर निकलकर फिर पीछे मुड़कर मत देखें औऱ लोगों के तानों से डरें नहीं।

मैं जिस जगह पे रहती थी, वहां हर तरफ गंदगी ही गंदगी थी। लेकिन दृढ़ विश्वास था कि स्वच्छता के जरिए हम इस स्थिति को बदल सकते हैं।
लोगों को समझाने का फैसला किया। शौचालय बनाने के लिए घूम-घूमकर एक-एक पैसा इकट्ठा किया।
आखिरकार सफलता हाथ लगी।
कलावती देवी, कानपुर #SheInspiresUs pic.twitter.com/t9b6deXt4g

— Narendra Modi (@narendramodi) March 8, 2020कमरे में मशरूम की खेती करने वाली मुंगेर की वीणा देवी

आखीरि नाम है बिहार के मुंगेर की रहने वाली वीणा देवी का जो 2013 से मशरूम की खेती कर रही हैं। उन्होंने महिलाओं को ऐसे मशरूम की खेती के बारे में बताया जो घर पर ही करके वे रोजी-रोटी पा सकती हैं। एक समय इन्होंने मशरूम के एक किलो बीज से मंगाकर अपने बेड के नीचे लगा दिए। कम जगह के चलते उन्होंने उसे साड़ी से ढंक दिया। वैज्ञानिकों के पूछने पर उन्होंने इस बारे में बताया और अच्छी फसल देखकर वो लोग फोटो खींचकर सबौर विश्वविद्यालय मुंगेर ले गए। उसी समय उनको मुख्यमंत्री ने पुरस्कृत भी किया, फिर वे सरपंच भी बनीं। वीणा जी ने अररिया, फारबिसगंज और किशनगंज में ग्रामीण महिलाओं को ट्रेनिंग भी दी और अपने गांव में ही हाट लगवाने की व्यवस्था की जहां वे औरों के साथ खुद भी मशरूम बेचती हैं।जेंडर इक्वेलिटी की बात करने वाली वीणा देवी मेहनत को ही आगे बढ़ने का मंत्र मानती हैं।

जहां चाह वहां राह… इच्छाशक्ति से सब कुछ हासिल किया जा सकता है।

मेरी वास्तविक पहचान पलंग के नीचे एक किलो मशरूम की खेती से शुरू हुई थी।

लेकिन इस खेती ने मुझे न केवल आत्मनिर्भर बनाया, बल्कि मेरे आत्मविश्वास को बढ़ाकर एक नया जीवन दिया।

वीणा देवी, मुंगेर #SheInspiresUs pic.twitter.com/MkfyZ8mnZp

— Narendra Modi (@narendramodi) March 8, 2020 Posted By: Molly Seth