अब आने वाले चुनाव में दिल्‍ली की जनता हर तरह से ठोंक बजा के अपनी सरकार का फैसला करने के लिये तैयार दिख रही है. ऐसे में उनके चुनाव का मापदंड वहां बीते दिनों होने वाले विकास कार्यों पर भी निर्भर करेगा. अब जनता फैसला करेगी उनके सात सांसदों में से किसने विकास के नाम पर क्‍या किया. ऐसे में गौर करने वाली बात यह है कि विकास के मुद्दे पर जो लोकसभा चुनाव लड़ा गया उसमें भाजपा कांग्रेस समेत लगभग सभी दलों ने विकास की राजनीति को ही मुद्दा बनाया लेकिन वो सफल कहां तक हुई. ऐसे में सिर्फ एक दिलचस्‍प बात यह रही कि 16वीं लोकसभा के गठन को आठ महीने बीत चुके हैं लेकिन बताया जा रहा है कि पीएम मोदी समेत सरकार के कई मंत्रियों और लोकसभा के ज्यादातर सांसदों ने अपनी सांसद विकास निधि से अभी तक एक रुपया तक खर्च नहीं किया है.

कितने मिलते हैं पैसे
एक अंग्रेजी अखबार की मानें, तो केंद्र शासित प्रदेशों समेत देश के सभी 36 राज्यों में से सिर्फ 10 के ही सांसदों ने अपनी सांसद निधि से कुछ काम करवाने की शुरुआत की है. वहीं दिल्ली, यूपी, महाराष्ट्र, असम और हिमांचल समेत कई राज्यों के सांसदों ने अभी तक अपने क्षेत्रों में विकास कार्यों के लिए फंड को खर्च करवाने की शुरुआत भी नहीं की है. ज्यादा जानकारी के लिये अगर मिनिस्ट्री ऑफ स्टैटिसटिक्स एंड प्रोग्राम की मानें तो, मई 2014 से 1 जनवरी 2015 के बीच सांसदों को MPLAD स्कीम के तहत पहली किश्त के रूप में कुल 1242.50 करोड़ रुपये मिल चुके हैं.
पैसे बचाने वालों में और कौन है आगे
गौर करें तो यूपी से लोकसभा के कुल 80 सांसद हैं. इन सांसदों में अपने पीएम नरेंद्र मोदी भी शामिल हैं. गौरतलब है कि इन्हें ही सबसे ज्यादा 197.50 करोड़ रुपये मिले हैं, लेकिन बीते छह महीने ऐसे रहे, जब से किसी भी सांसद ने विकास कार्य के लिए पैसों को खर्च करने की जरूरत नहीं समझी. ऐसे सांसदों में बीजेपी के 71 सांसद, 2 सांसद अपना दल के, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी, एसपी चीफ मुलायम सिंह यादव और उनकी बहू डिंपल समेत उनकी पार्टी के 5 सांसद भी शामिल हैं.
दिल्ली के सांसदों का क्या है हाल
अब बात करें दिल्ली के सांसदों की तो यहां के सात सांसद हैं. इन सात सांसदों में से एक ने भी पहली किश्त के रूप में मिले 2.5 करोड़ रुपयों से कुछ भी खर्च विकास कार्य के लिये नहीं किया है. दिल्ली की ही तरह हालात महाराष्ट्र, असम, हरियाणा, हिमांचल प्रदेश और केरल के भी हैं. बताते चलें कि MPLAD के तहत सांसदों को हर साल विकास कार्यों के लिये पांच लाख रुपये दिये जाते हैं. इस सांसद निधि का मकसद है कि सांसद स्थानीय जरूरतों के हिसाब से उनको पूरा करने के लिए तुरंत फंड को जारी कर सकें. वे इन पैसों को पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य, सफाई और सड़कों वगैरह पर खर्च कर सकते हैं, जो कि अभी तक कई राज्यों में नहीं किया गया.

Hindi News from India News Desk

 

Posted By: Ruchi D Sharma