पुणे में तिलक पुरस्कार समारोह में पीएम मोदी ने एनसीपी प्रमुख शरद पवार के साथ स्टेज शेयर किया। इतना ही नहीं दोनों नेताओं को हंसी-मजाक भी करते देखा गया। एनसीपी में विभाजन के बाद पहली बार पीएम व पवार की इस मुलाकात को लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चा काफी तेज हो गयी है। यहां पढ़ें पूरा मामला...

पुणे (पीटीआई)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने और एनसीपी प्रमुख शरद पवार के मंगलावर को एक साथ स्टेज शेयर करने के बाद से सियासी गलियारों में चर्चा तेज हो गयी है। दोनों नेताओं की स्टेज पिक्चर्स के सामने आते ही अलग-अलग तरीके से कयास लग रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को पुणे में लोकमान्य तिलक राष्ट्रीय पुरस्कार समारोह में एनसीपी प्रमुख शरद पवार के साथ स्टेज शेयर किया। यह पुरस्कार 1983 में लोकमान्य तिलक की विरासत का सम्मान करने के लिए गठित किया गया था और हर साल 1 अगस्त को तिलक की पुण्य तिथि पर प्रदान किया जाता है।

#WATCH | Maharashtra | Prime Minister Narendra Modi holds a candid conversation with NCP chief Sharad Pawar in Pune.
(Source: Maharashtra Dy CM Devendra Fadnavis YouTube) pic.twitter.com/JPowJFgVWT

— ANI (@ANI) August 1, 2023

पीएम व पवार ने किया हंसी-मंजाक
वहीं समारोह शुरू होने से पहले, दोनों नेताओं को हंसी-मजाक भी करते देखा गया। इस दाैरान शरद पवार पीएम मोदी की पीठ थपथपा रहे थे, जबकि राकांपा प्रमुख के भतीजे और डिप्टी सीएम अजीत पवार सहित अन्य लोग देख रहे थे। सके अलावा सीएम एकनाथ शिंदे और डिप्टी सीएम देवेंद्र फड़णवीस ने शरद पवार से हाथ मिलाया, वहीं अजित पवार ने मौका छोड़ दिया और अपने चाचा के पास से निकल गए। भाजपा और शिवसेना के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार में शामिल हुए अजित पवार के विद्रोह व शरद पवार की पार्टी में विभाजन के बाद पीएम और शरद पवार पहली बार मिले।

एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने ली चुटकी
कार्यक्रम में बोलते हुए एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि 'शिवाजी महाराज ने कभी किसी की जमीन नहीं छीनी।' इस टिप्पणी को भाजपा पर कथित तौर पर शिवसेना और राकांपा में विभाजन कराने पर पवार की चुटकी के रूप में देखा जा रहा है। कार्यक्रम से पहले, शरद पवार ने विपक्षी भारतीय गठबंधन के सदस्यों द्वारा पीएम मोदी के साथ मंच साझा नहीं करने के अनुरोध पर विचार नहीं किया। भारतीय गठबंधन के सदस्यों को लगा कि ऐसे समय में जब भाजपा के खिलाफ एकजुट मोर्चा बनाया जा रहा है तो यह विपक्ष के लिए अच्छा विकल्प नहीं होगा।

Posted By: Shweta Mishra