अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में देश भर से आये नामचीन कवियों व शायरों ने की शिरकत

-एक से बढ़ कर एक रचनाएं सुनाकर श्रोताओं की बटोरी वाहवाही

VARANASI

बीएचयू के एम्फीथियेटर ग्राउंड में बना विशाल पंडाल शुक्रवार को वाह वाह से गूंजता रहा। मौका था बीएचयू के युवा महोत्सव कार्यक्रम के अंर्तगत हुए अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का। नवगीतकार पं हरिराम द्विवेदी की अध्यक्षता में हुए सम्मेलन में देश भर से आये कवियों और नामचीन शायरों ने अपनी रचनाओं पेश कर श्रोताओं की खूब वाहवाही बटोरी। यश मालवीय ने अपनी रचना 'समय की मार सह लेना, नहीं रुकना मेरे भाई' से उत्साह भरा। मुंबई से पधारे प्रख्यात शायर सागर त्रिपाठी ने 'बस जुंबा के खोलते ही झूठ सारे बिक गये, मैं लिए सच को अकेला शाम तक बैठा रहा' सुना कर श्रोताओं की खासी दाद बटोरी। भाल चंद्र त्रिपाठी की रचना 'इन अश्कों में जो गुम है वह खजाना ढूंढ लेने दो, मै आवारा सही मुझको ठिकाना ढ़ूढ लेने दो' को श्रोताओं ने खासा पसंद किया। प्रसिद्ध गजलकार डॉ कुंवर बेचैन ने 'अपने मन में ही अचानक यूं सजल हो जायेंगे, क्या खबर थी कि आप से मिलकर गजल हो जायेंगे' सुनाया। वाहिद अली वाहिद ने अपने रचनाओं से श्रोताओं की दाद बटोरी। प्रियंका ओम नंदिनी ने देशभक्ति की रचनाएं प्रस्तुत की। ओमधीरज ने मुक्तक प्रस्तुत किया। संयोजन प्रो केके सिंह व प्रो वशिष्ठ अनूप का रहा। संचालन हरीश ने किया। कार्यक्रम के बतौर चीफ गेस्ट डीन ऑफ स्टूडेंट्स प्रो एमके सिंह शामिल हुए। धन्यवाद प्रो केके सिंह ने किया। इसके पूर्व छात्रों ने भी अपनी रचनाएं पेश की। संचालन शाश्वत उपाध्याय ने किया।

Posted By: Inextlive