--हटिया डैम फिल्टर प्लांट के बेड में गंदा पानी

--मटमैला और गंदे झाग का पानी पीती है आधी आबादी

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RANCHI (06 स्द्गश्च) : राजधानी रांची में कैसे पीने के पानी को सप्लाई की जा रही है। किस प्रकार सप्लाई करने से पहले इसे फिल्टर किया जाता है। इसकी एक-एक लेवल की जानकारी हम आपको लगातार दे रहे हैं। गोंदा, बूटी, रूक्का फिल्टर प्लांट की कार्यशैली से आपकों हम रूबरू करा चुके हैं। लगभग सभी में आलम एक सा ही मिला। इस बार बारी है हटिया डैम फिल्टर प्लांट की। शुक्रवार को हम धुर्वा डैम फिल्टर प्लांट की सच्चाई जानने पहुंचे। यहां का हाल भी बाकियों की तरह ही था।

गंदे झाग मिले पानी में

धुर्वा फिल्टर प्लांट में धुर्वा डैम से पानी लिया जाता है। इस प्लांट में दो एरिएशन हैं, जहां डैम का पानी इकट्ठा होता है। इस प्लांट की क्षमता नौ लाख गैलन पानी है। प्लांट में आठ बेड है, जिसमें छह काम कर रहा था और दो में सफाई का काम चल रहा था। लेकिन जिन बेड का प्रयोग हो रहा था, उसमें पानी देख ऐसा लगा जैसे यह किसी तालाब का पानी हो। पानी मटमैला ही नहीं था बल्कि उसमे गंदे झाग भी बन रहे थे। ड्यूटी पर तैनात मजूमदार ने बताया कि बेड में नीचे बालू बैठा है इसी कारण पानी ऐसा दिख रहा है। उसी बेड के पानी को संप में भेजा जाता है, जहां क्लोरीन मिलाकर उसे सप्लाई के लिए लटमा भेज दिया जाता है।

फिल्टर के बाद भी पानी गंदा

डॉक्टर कहते हैं पीने के पानी को कई बार फिल्टर किया जाना चाहिए। इसके बाद भी इसे इस्तेमाल करने से पहले उबाल लेना चाहिए। लेकिन सरकार के फिल्टर प्लांट में किसी भी मानक को पूरा नहीं किया जाता है। प्लांट में फिल्टर होने के बाद भी पानी गंदा ही नजर आता है। बेड की सफाई साल में कभी-कभार कर दी जाती है। सफाई नहीं होने के कारण बेड में मलवा बैठ गया है। टंकियां चारों और से काली पड़ गई और इनमे काई भी जम गया है, लेकिन मजूमदार का कहना था कि हर दो महीने में बेड की सफाई करा दी जाती है। यह कितना सच है वह बेड के हालत ही बयां कर रहे थे।

1962 में हुआ था शुरू

हटिया जलापूर्ति योजना की शुरुआत 1962 में हुई थी। यहां से फिल्टर होकर एक बड़ी आबादी को पानी सप्लाई की जाती है। पानी को फिल्टर करने के बाद लटमा जलागार भेज दिया जाता है। यहां से हटिया रेलवे कॉलोनी, हिनू, डोरंडा, ओवरब्रीज, मेकन, हरमू आदि क्षेत्र में पानी की सप्लाई की जाती है। 50 साल से भी अधिक होने के कारण फिल्टर प्लांट की मशीनरी, पाइप, भॉल्व, आदि सभी पुराने हो चुके हैं, जिस कारण इनमे बार-बार खराबी भी आती रहती है। इसके अलावा पाइप में लिकेज की संभावना बनी रहती है। लिकेज होने के वजह से भी बाहर का गंदा पानी पाइप में घूस जाता है और सप्लाई में गंदा पानी आने लगता है।

एरिएशन की साल में एक बार सफाई कराई जाती है, जबकि बेड को भी हर दो से तीने महीने में साफ किया जाता है। हमलोग सफाई का पूरा ख्याल रखते हैं। बाकि प्लांट से यहां सफाई पर विशेष ध्यान दिया जाता है। लैब भी है जहां पानी की टेस्टिंग भी की जाती है।

-----मजूमदार, फिल्टरेशन स्टॉफ

क्या कहते हैं डॉक्टर

गंदा पानी पीने से बीमारी होती है। इसका उपयोग करने से बचना चाहिए। गंदा पानी पीने से ज्यादातर डायरिया का खतरा बना रहता है। गंदे पानी में हानिकारक वैक्टेरिया होते हैं, जो शरीर को हार्म करते हैं। साफ पानी को भी उपयोग करने से पहले उबाल लेना चाहिए। हो सके तो एक चुटकी फिटकिरी भी मिला देना चाहिए।

-----डॉ एसपी मित्रा, फिजीशियन

Posted By: Inextlive