-यूपी भर्ती बोर्ड के तत्कालीन चेयरमैन के रिटायर होने से अटका मामला

बरेली:

सपा सरकार के समय पुलिस में हजारों पदों की भर्ती प्रक्रिया अब तक लटकी हुई है. मुख्य परीक्षा और मेडिकल में पास 8678 अभ्यर्थियों को अभी तक ट्रेनिंग पर नहीं भेजा गया है. इससे आहत अभ्यर्थियों ने राष्ट्रपति से इच्छा मृत्यु मांगी है. उन्होंने राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन फ्राइडे को एसीएम को सौंपा.

हाईकोर्ट जाने से फंसा मामला

ज्ञात हो 2013 में तत्कालीन सपा सरकार ने पुलिस में 41,610 पदों पर आवेदन मांगे थे. इसमें 22 लाख अभ्यर्थी शामिल हुए थे. प्रारंभिक लिखित परीक्षा, शारीरिक दक्षता परीक्षा व मुख्य लिखित परीक्षा में पास 55 हजार अभ्यर्थियों को चिकित्सा परीक्षण के लिए बुलाया गया. इनमें से 38,315 अभ्यर्थियों को अंतिम चयन के बाद 16 जुलाई 2015 को ट्रेनिंग पर भेज दिया गया था. शेष पदों को अग्रसारित कर दिया गया. इसके विरोध में कुछ अभ्यर्थी हाईकोर्ट चले गए. वहां से उपेंद्र तोमर आदि के मामले में हाईकोर्ट ने इन अभ्यर्थियों को जल्द नियुक्ति देने के आदेश दिए.

चेयरमैन से कर चुके मुलाकात

यूपी पुलिस बोर्ड ने 13 अगस्त 2018 में 8786 अभ्यर्थियों को चिकित्सा परीक्षा के लिए बुलाया. इसमें 6786 अभ्यर्थी पास हुए. इसके बावजूद अभी तक मेडिकल परीक्षण में सफल अभ्यर्थियों को नियुक्ति प्रदान नहीं की गई है. इस मामले में वह कई बार मुख्यमंत्री, गृहसचिव व यूपी भर्ती बोर्ड के चेयरमैन राजकुमार विश्वकर्मा से भी मिल चुके हैं. अभ्यर्थियों ने बताया कि मेडिकल परीक्षण तत्कालीन चेयरमैन जीपी शर्मा के कार्यकाल में कराया गया था. जो दिसंबर 2018 में रिटायर हो गए. अब मौजूद चेयरमैन कहते हैं कि जिन्होंने मेडिकल कराया है, वह नियुक्ति देंगे. इससे अभ्यर्थी टेंशन में हैं.

यह रहे मौजूद

कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन करने वालों में अनुज कुमार, कैलाश शर्मा, ज्ञानेंद्र कुमार, अनिरुद्ध सिंह, मीना राठौर, कुलदीप सिंह, पुष्पेंद्र, महावीर सिंह, रुबी परवेज, वसुधा द्विवेदी, सतीश कुमार, मोहम्मद नाजिम खान, कमल कुमार व राघवेंद्र सिंह आदि मौजूद रहे.

Posted By: Radhika Lala