रिमांड के दौरान थाने में पियूष को पहले उपदेश दिया फिर पप्पी ले ली

KANPUR : कल तक का हीरो अचानक जीरो हो गया। शहर में अपने मिजाज के लिए चर्चित सीओ स्वरूप नगर राकेश नायक को डीआईजी ऑफिस से अटैच कर दिया गया है। उन पर और कड़ी कार्रवाई भी हो सकती है। वजह। वो ज्योति हत्याकांड के आरोपी पीयूष को कैमरे के सामने पुचकारते-दुलारते पकड़े गए। वो इंसान जिस पर अपनी मासूम पत्नी के कत्ल का इल्जाम हो, वो इंसान जिससे पूरा शहर नफरत कर रहा हो,उसे वो पुलिस अधिकारी पुचकारे जिस पर मामले की जांच की जिम्मेदारी है तो हंगामा बरपा जाना ही था। बहुत आसान है इस हरकत के लिए राकेश नायक को लानत भेजना पर आईनेक्स्ट हमेशा अपने पाठकों को खबर की गहराइयों तक ले जाता है और हम आज भी यही करेंगे।

हम पुलिस से सबसे बड़े आलोचक हैं जब पुलिस गलत काम करे। लालित्यम साड़ी के मालिक के कत्ल और कर्नलगंज थाने में लड़की के अर्धनग्न नग्न परेड के मामले में आईनेक्स्ट ने पुलिस की बखिया उधेड़ने में कोई कमी नहीं रखी। मेडिकल कॉलेज में घुस कर डॉक्टर्स की पिटाई के मामले में आईनेक्स्ट ने पुलिस के एक एक गुनाह गिनाए लेकिन हम किसी को तब तक गलत नहीं ठहराते जब तक वो दोषी न हो। राकेश नायक ने जिस समय पीयूष को दुलराया था उस समय वहां आईनेक्स्ट का फोटोग्राफर मौजूद था। इसलिए हम अपने पाठकों को हकीकत बताएंगे।

राकेश नायक एक इमोशनल और दार्शनिक प्रवृत्ति के इंन्सान हैं जो उन्हीं के शब्दों में गलती से पुलिस में भर्ती हो गया है। मसखरी की आदत और फोटो छपवाने की लत पुलिस वाले के लिए एडिशनल बुराइयां हैं।

पर ये आदतें फ्राइडे को राकेश नायक को भारी पड़ गई। अपराधी से पुचकार कर बात करने की अदा उस वक्त अच्छी नहीं लगती जब आरोपी पीयूष जैसा हो जिसके काले कारनामों से पूरा शहर वाकिफ हो। आरोपी से पूछताछ के पहले नायक अक्सर उसे कोल्ड ड्रिंक ऑफर करते हैं, सबको अपना भाई बोलते हैं,आरोपी को भी। फ्राई डे को राकेश नायक ने पीयूष के साथ जो कुछ किया वो उनके लिए कोई ताज्जुब की बात नहीं है जो उन्हें जानते हैं। पर राकेश नायक को ये समझना होगा कि वो पुलिस की नौकरी में हैं और वर्दी की कुछ जिम्मेदारियां और अपेक्षित व्यवहार होते हैं। विनम्र होना अच्छी बात है पर जघन्य आरोप में गिरफ्तार अपराधी और बाकी लोगों में फर्क होता है। पीयूष को माथे पर चुम्बन को कोई भी जस्टिफाई नहीं कर सकता पर ये भी नहीं भूलना चाहिए कि ये वही राकेश नायक हैं जिसने विकलांगो के लिए क्या नहीं किया और वो भी निस्वार्थ। विकलांगों को ट्रैफिक में लगाने की उनकी योजना को प्रदेश सरकार ने सराहा। अगर राकेश नायक से कोई गलती हो गई है तो फैसले से पहले उनका ट्रैक रिकॉर्ड भी देखा जाना चाहिए। दर्शन शास्त्र विषय चुनकर पीपीएस में सलेक्ट हुए राकेश नायक को पुलिस की नौकरी का दर्शन समझना होगा। उम्मीद है इस घटना से समझ में आ गया होगा।

Posted By: Inextlive