-ओवरलोडिंग के चलते मौत का शिकार बने 6 लोग

-पुलिस को पैसे देकर निकाला गया था गेंहू से भरा ट्रक

- टैंपो वाले ने भी बैठा रखी थी तीन गुना सवारियां

- आरटीओ व पुलिस एक्शन लेते तो नहीं होता हादसा

Meerut : आरटीओ व ट्रैफिक पुलिस की लापरवाही से लोगों की जान पर बन रही है। बुधवार को यही 'लापरवाही' 6 लोगों की मौत का कारण बन गई। इसके बावजूद टै्रफिक पुलिस या आरटीओ विभाग इतनी बड़ी घटना होने के बाद भी संजीदा दिखाई नहीं दिए। सड़कों पर ओवरलोड वाहनों का आवागमन धड़ल्ले से होता दिखाई दिया। लोग मानते हैं कि यदि ट्रक में क्षमता से अधिक गेंहू न भरा होता। टैंपो चालक ने मानकों के अनुरूप सवारियां बैठाई होती तो हादसा टल सकता था।

पैसे देकर निकाला

सूत्रों के मुताबिक जिस ट्रक से इतना बड़ा सड़क हादसा हुआ है। वह परतापुर चेक पोस्ट पर एक हजार रुपए देकर निकाला गया था। यह बात किसी से छिपी नहीं है कि चेकपोस्ट पर तैनात पुलिस वाले खुलेआम वसूली कर ट्रक चालकों को मौत का परमिट बांटते हैं, जिसकी कीमत सिर्फ 100-50 रुपए होती है। शहर से रोजाना औसत 700 से ज्यादा भारी वाहन गुजरते हैं, जिनमें से 500 वाहन ओवरलोड होते हैं। अगर पुलिस वाले जेब गर्म करने के चक्कर में न पड़कर ओवरलोड ट्रक पर कार्रवाई करते तो शायद हादसा होने से बच जाता।

ट्रक-टैंपो थे ओवरलोड

हादसे के बाद हुई जानकारी के अनुसार ट्रक में क्षमता से दस कुंतल ज्यादा वेट था, जिसके चलते ट्रक कट मारते ही पलट गया। साथ ही हादसे का शिकार हुए टैंपो में मानकों से तीन गुना सवारियां ज्यादा बैठा रखी थी। अगर टैंपो में मानकों के मुताबिक सवारियां होतीं तो हादसे में मरने वालों की संख्या 6 न होती।

रद नहीं होता लाइसेंस

पिछले 6 माह में मेरठ लगभग 465 सड़क हादसे हुए हैं, जिनमें से 57 मौत हुई हैं। लेकिन एक भी सड़क हादसे में आरोपी चालक का लाइसेंस रद नहीं हुआ है। इससे पता लगता है कि आरटीओ व ट्रैफिक पुलिस सड़क हादसों को लेकर कितना संजीदा है।

नहीं पकड़े गए आरोपी

हादसा होने के बाद से ही ट्रक व टैंपो के चालक फरार हो गए थे। पुलिस आरोपी चालकों का पता भी नहीं लगा पाई है कि टैंपो चालक किस मालिक का था तथा चालक कौन था।

ओवरलोडिंग की अभी रिपोर्ट नहीं आई है। रिपोर्ट आने के बाद ही ट्रक के ओवरलोडिंग होने की बात कही जा सकती है। हां टैंपो वास्तव में ओवरलोड था। उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

-ममता शर्मा, आरटीओ मेरठ

Posted By: Inextlive