- मामूली लगाव पर घर छोड़कर फरार हो जा रही किशोरियां

- कानूनन नहीं दे सकते मान्यता, दर्ज करनी पड़ रही एफआईआर

GORAKHPUR: शहर में कम उम्र के लवबडर््स पुलिस के लिए सिरदर्द बनते जा रहे हैं। मामूली से लगाव पर किशोरियां अपने ब्वॉयफ्रेंड संग घर छोड़कर फरार हो जा रही हैं। उनकी गलती का खामियाजा पुलिस भुगत रही। कानूनन पुलिस ऐसे लवबडर््स की मदद नहीं कर पा रही। मुकदमा दर्ज कराने से अपहरण के मामले बढ़ते जा रहे हैं। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि नाबालिग को बहला-फुसलाकर भगाने के मामले में अपहरण, रेप, पॉक्सो एक्ट जैसी धाराओं में एफआईआर दर्ज की जा रही है। इस तरह की शिकायतों में परिजनों के पीछे हटने से कभी-कभी प्रॉब्लम आती है।

दर्ज ना करें एफआईआर ताे लापरवाही

शहर में कम उम्र की लड़कियों के अपहरण के मामलों की शिकायतें रोजाना पुलिस तक पहुंच रही हैं। इनमें ज्यादातर ऐसे प्रकरण हैं जिनमें किशोरियां अपने किसी परिचित संग घर छोड़कर चली जा रही हैं। परिजनों की तहरीर पर पुलिस मुकदमा दर्ज करके कार्रवाई में जुट रही तो तमाम मुश्किलें सामने आ रही हैं। पुलिस कर्मचारियों का कहना है कि अभियुक्त को अरेस्ट करके किशोरी की बरामदगी की जाती है। ऐसे में आरोपित जेल भेज दिया जाता है। जबकि किशोरी के परिजनों संग घर न जाने की बात कहने पर उनको महिला संरक्षण गृह में भेजना पड़ता है। ऐसे में उसके बालिग होने तक वह संरक्षण गृह में रहती हैं। कई बार ऐसे मामलों में परिजन भी मुंह मोड़ ले रहे हैं। इसलिए शुरूआती सूचना से लेकर कार्रवाई पूरी करने तक पुलिस को तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। बिना लिखापढ़ी के कार्रवाई करने पर पुलिस पर सवाल खड़े होने लगते हैं।

घर ले जाने से करते इंकार

ऐसे मामलों में पुलिस की मुश्किल तब बढ़ जा रही। जब शिकायत के बाद पुलिस किशोरियों को खोजकर ला रही है। उनकी बरामदगी होने पर परिजन घर ले जाने से मना कर देते हैं। तब पुलिस इस मुश्किल में पड़ जाती है कि किशोरी का क्या करें। ऐसे में कोर्ट में पेश करने के अलावा कोई आप्शन नहीं बचता। यदि पुलिस की कार्रवाई में थोड़ी देर हुई तो लोग तमाम तरह के आरोप लगाने लगते हैं। ऐसे में पुलिस दो तरफा घिर जाती है। कई बार किशोरी के बरामद होने पर लोग नहीं चाहते कि उनका मामला कोर्ट तक जाए।

केस एक: किशोरी मिली तो साथ ले जाने से इंकार

नार्थ जोन के एक थाना क्षेत्र की रहने वाली क्भ् साल की किशोरी अपने परिचित युवक संग फरार हो गई थी। शिकायत होने पुलिस उसे खोजकर ले आई। उसकी बरामदगी के पूर्व परिजन पुलिस पर लापरवाही का दोष मढ़ रहे थे। किशोरी के वापस आने पर उसे साथ ले जाने से इंकार करने लगे। ऐसे में पुलिस मुश्किल में पड़ गई। बुधवार को शुरू हुआ प्रकरण करीब दो दिनों बाद सुलझ सका।

केस दो: पुलिस के दबाव में घर लौट सकी किशोरी

शहर के एक इंटर कॉलेज में पढ़ने वाली किशोरी का सोशल मीडिया के जरिए प्रेम संबंध हो गया। घूमने-फिरने के चक्कर में किशोरी एक दिन अचानक लापता हो गई। परेशान हाल परिजनों ने पुलिस को सूचना दी। दबाव पड़ने पर परिजन किशोरी को खोजकर ले आए। किशोरी के बरामद होने के बाद परिजन उसे घर ले जाने से मना करने लगे। पुलिस के दबाव पर किशोरी अपने घर लौट सकी।

अगस्त माह तक सामने आए मामले

वर्ष अपहरण रेप

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कई बार ऐसा होता है कि नाबालिग किशोरियां अपने किसी परिचित युवक संग चली जाती है। तहरीर के आधार पर मुकदमा दर्ज कार्रवाई की जाती है। कभी-कभी परिजन गुमशुदगी दर्ज कराते हैं। पहले तो वह किशोरी के बरामद करने का दबाव बनाते हैं। किसी तरह से पुलिस किशोरी केा खोजकर ले आती तो वह उसे घर ले जाने से मुकरने लगते हैं। ज्यादा मुश्किल तब आती है जब परिजन एफआईआर से भी मुकरने लगते हैं। ऐसे में पुलिस को घनचक्कर होना पड़ता है।

डीएन शुक्ला, रिटायर्ड डीएसपी

ऐसे मामलों में परिजन चाहते हैं कि उनकी बदनामी न हो। लेकिन आरोपी भी जेल चला जाए। मुकदमा दर्ज करके कार्रवाई करने की प्रक्रिया में कोर्ट में पहुंची पीडि़ताएं परिजनों संग जाने से इंकार कर देती हैं। क्योंकि वह अपनी मर्जी से आरोपित संग गई होती हैं। लिहाजा उनको संरक्षण गृह में भेजना पड़ता है। इन परिस्थितियों में पुलिस को दौड़भाग करनी पड़ती है। लेकिन ऐसी शिकायतों में पुलिस को कानून के हिसाब से कार्रवाई करनी चाहिए।

बीना, एडवोकेट, दीवानी कचहरी

Posted By: Inextlive