Informers पर है पुलिस की नजरें
रखनी है नजर
इनमें नक्सल अफेक्टेड एरिया में तैनात एसपीओ व पुलिस इंफॉर्मर्स पर स्पेशल अटेंशन देने को कहा गया है। इसके तहत उनकी हर पल की एक्टिविटी के साथ ही उनके संबंध में पूरी इंफॉर्मेशन को अप-टू-डेट रखने को कहा गया है। इतना ही नहीं उन्होंने पुलिस की कितनी हेल्प की और इसका कितना बेनिफिट हुआ, इसका भी रिकार्ड रखना है।
स्टेट के डीजीपी राजीव कुमार ने भी सभी डिस्ट्रिक्ट हेर्डक्वार्टर को एसपीओ और इंफॉर्मर्स के बारे में पूरी इंफॉर्मेशन कलेक्ट करने को कहा है, ताकि अगर ये कुछ गलत करते हैं तो इसके बारे में समय रहते जानकारी मिल सके।
Information का होगा review
कई बार इन पुलिस इंफॉर्मर्स व एसपीओ द्वारा दी गई इंफॉर्मेशन गलत निकल चुकी है। इस बात का ध्यान रखते हुए पुलिस डिपार्टमेंट द्वारा इन इंफॉर्मर्स द्वारा अवेलेबल कराए गए इंफॉर्मेशंस को भी रिव्यू करने में सतर्ककता बरती जा रही है। इसका मेन मकसद है इनके किसी क्राइम में इन्वॉल्वमेंट की जानकारी रखना। इनके बारे में पूरी जानकारी मिल सके कि कहीं एरिया में होने वाले क्राइम में इनका इंवाल्वमेंट तो नहीं है।
Rape के मामले में arrest हुए थे 5 informers
कुछ महीने पहले तमाड़ में पुलिस के 5 इंफॉर्मर्स द्वारा एक महिला का रेप किया गया था। इस मामले में पुलिस ने उन्हें अरेस्ट भी किया था। रांची की ही एक दूसरी घटना डकैती के मामले में अरेस्ट किए गए क्रिमिनल्स में से भी एक पुलिस इंफॉर्मर था। रांची व आस-पास की एरिया में पुलिस इंफॉर्मर्स और एसपीओ के मर्डर व लूट जैसे इंसिडेंट्स में भी शामिल होने की बात सामने आयी है।
'मेरे कार्यकाल में एसपीओ या इंफॉर्मर्स के क्रिमिनल एक्टिविटिज में शामिल होने का मामला सामने नहीं आया है। हालांकि, इस बात पर नजर रखी जा रही है कि उनका आउटपुट क्या है.'
-रिचर्ड लकड़ा, एसएसपी, ईस्ट सिंहभूम
'लोग एसपीओ या इन्फॉर्मर नहीं बनना चाहते। इस कारण क्रिमिनल बैकग्र्राउंड के लोगों को ही इसमें लेना होता है. इनके क्रिमिनल एक्टिविटिज में शामिल होने इस संबंध में जानकारी मिलती रहती है.'
-एसके झा, एएसपी, वेस्ट सिंहभूम
'एसपीओ या इन्फॉर्मर्स क्रिमिनल बैकग्र्राउंड से ही आते हैं। इस कारण उन पर पूरी तरह से भरोसा नहीं किया जा सकता है। वैसे पूरा वेरीफिकेशन के बाद ही इन्हें रखा जाता है.'
-एसएन प्रधान, स्पोक्सपर्सन, झारखंड पुलिस