- यूपी पुलिस में बलरामपुर मॉडल हुआ खास, बढ़ने लगा भाव

- सर्विलांस से कम हो गई थी अहमियत, सुर्खियों में नया प्रयोग

GORAKHPUR: यूपी पुलिस में मुखिबरों के दिन बहुरने के आसार जगे हैं। गोरखपुर जोन के बलरामपुर एसपी की मुखबिर रोजगार योजना चर्चा में है। योजना की सफलता पर इसे हर जिले में लागू किया जा सकता है। फिलहाल एक नए कदम से एक बार फिर से मुखबिर सुर्खियों में हैं। इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस की वजह से मुखबिरों की अहमियत कम हो गई थी। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि मुखबिरों की मदद से पुलिस अपने गुडवर्क कर पाती है। ईनाम के प्रोत्साहन से मुखबिर भी हेल्प करने में हिचकते नहीं हैं।

कभी था बोलबाला, सर्विलांस ने कम किया कद

एक जमाने में लूट, मर्डर, डकैती सहित अन्य संगीन मामलों में पुलिस अपने लोकल इनफॉर्मर्स की मदद लेती थी। लेकिन इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस का प्रभाव बढ़ने से मुखबिरों की अहमियत घट गई। धीरे-धीरे नए जमाने की पुलिस गली-मोहल्लों के मददगारों से कटती चली गई। इसका नतीजा यह रहा है कि भीतर की खबरों से पुलिस की पैठ कम हो गई। मुखबिरों की जरूरत होने पर पुलिस उनका खास ख्याल रखती थी। उनको जहां एक कैश रकम देने का नियम था। वहीं गाहे-बेगाहे सामान, गिफ्ट देकर खुश रखा जाता था। सबसे ज्यादा तवज्जो मुखबिरों को पुलिस तब देती थी जब उनके छोटे-मोटे अपराध में माफी मिल जाती थी। इसलिए मुखबिर भी पुलिस के काम में हर हद तक जाने को तैयार रहते थे। बताया जाता है कि मुखबिर तंत्र टूटने के पीछे पुलिस भी खुद जिम्मेदार है। पुलिस वालों को लगने लगा कि यह काफी खर्चीला है। कुछ पुलिस कर्मचारियों ने मुखबिरों को ही जेल भेजना शुरू कर दिया। भरोसा टूटने पर पुलिस के मुखबिरों ने दूरी बना ली।

हर जिले में फंड, नहीं होता कोई ऑडिट

पुलिस के लिए मुखबिर बेहद जरूरी होते हैं। पुलिस भले इनका इस्तेमाल न करें लेकिन लिखापढ़ी में मुखबिरों को इंकार नहीं किया जा सकता है। अपनी हर गिरफ्तारी में कहीं न कहीं पुलिस यह जिक्र करती है कि मुखबिर की सूचना पर संदिग्ध की तलाशी ली तब अभियुक्त की गिरफ्तारी हुई। हालांकि सर्विलांस ने पुलिस का काम आसान कर दिया है। फिर भी हर जिले में मुखबिर फंड खत्म नहीं हुआ। पुलिस से जुड़े लोगों का कहना है कि हर जिले में मुखबिरों के लिए पुलिस को शासन से कम से कम तीन लाख रुपए सालाना मिलते हैं। जरूरत के हिसाब से जिलों के कप्तान इस रुपए को खर्च करते हैं। लेकिन इस फंड का कोई हिसाब-किताब नहीं होता इसलिए इस पर किसी का जोर भी नहीं रहता।

बलरामपुर पुलिस की मुखबिर रोजगार योजना

गोरखपुर जोन के बलरामपुर जिले के एसपी देवरंजन ने घर बैठे रुपए कमाने की योजना लॉन्च की है। इसके लिए वह पूरे जिले में मुनादी करा रहे हैं। लाउडस्पीकर के जरिए बाजारों में घूमकर पुलिस कर्मचारी लोगों को मुखबिर रोजगार योजना से जुड़ने की सलाह दे रहे हैं। इसका पोस्टर भी जगह-जगह चस्पा किया जा रहा है। योजना में चोरी की बाइक और तमंचा की सूचना देने पर एक-एक हजार रुपए नकद पुरस्कार दिया जा रहा है। अवैध पिस्टल या रिवॉल्वर की सूचना पर पांच हजार रुपए, चोरी की कार की सूचना देने पर तत्काल एक हजार रुपए की मदद मुखबिर को मिल रही है। योजना की खास बात यह है कि मुखबिर सिर्फ एसपी के सीयूजी नंबर पर जानकारी देंगे। मुखबिर की सुरक्षा को देखते हुए इसे पूरी तरह से गोपनीय रखा जाएगा। नई योजना का लाभ भी पुलिस को मिलने लगा है। हाल के दिनों में तमाम लोगों के बारे में सीधी जानकारी एसपी तक पहुंची है।

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मुखबिर की सूचना पर धराए शातिर चोर

पब्लिक के घरों से कीमती सामान चुराकर उसे नेपाल में बेचने वाले दो शातिर पकड़े गए। सीओ क्राइम प्रवीण सिंह की अगुवाई में पुलिस टीम ने रसूलपुर में हुई चोरी का माल बेचने के लिए नेपाल जा रहे दो बदमाशों को दबोचा। जाहिदाबाद, लेबर कॉलोनी के पास मुखबिर की सूचना पर पुलिस पहुंची। टीम ने दो संदिग्ध युवकों को उठा लिया। पूछताछ में उनकी पहचान गोरखनाथ एरिया के सिधारीपुर के जमशेद और निजाम के रूप में हुई। दोनों के पास से मंगल सूत्र, 11 हजार रुपए नकदी सहित कीमती ज्वेलरी बरामद हुई। सीओ ने बताया कि 20 मई को दोनों ने एक घर में चोरी की थी। चोरी का ज्यादातर सामान इन लोगों ने नेपाल में बेच दिया था। दोनों के खिलाफ केस दर्ज करके पुलिस ने जेल भेज दिया।

Posted By: Inextlive