RANCHI : पलामू जिले के सतबरवा थाना एरिया के बकोरिया में माओवादियों के साथ मुठभेड़ के दौरान 12 नक्सलियों को पुलिस ने मार गिराया है। सोमवार की देर रात 12 बजे से दो बजे तक पुलिस और माओवादियों के बीच यह मुठभेड़ चली। 2013 में लातेहार के कटिया में पुलिस पार्टी पर हुए नक्सली हमले में शामिल और शहीद बाबू लाल पटेल के पेट में बम प्लांट करनेवाला अनुराग उर्फ डॉक्टर भी इस मुठभेड़ में मारा गया है। वह इस इलाके में माओवादियों का एरिया कमांडर था, जिसपर पुलिस ने पांच लाख का ईनाम घोषित कर रखा था। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, गुप्त सूचना मिलने के बाद झारखंड पुलिस ने सीआरपीएफ के साथ मिलकर इस ऑपरेशन को अंजाम दिया। माओवादियों के खिलाफ पुलिस की इस बड़ी कामयाबी पर डीजीपी डीके पांडेय ने कहा कि यह तो शुरूआत है। अगर नक्सली मुख्यधारा में नहीं लौटेंगे तो उनके खिलाफ आगे भी ऐसी कार्रवाई चलती रहेगी।

स्कॉर्पियो से जा रहे थे नक्सली

पुलिस को सूचना मिली थी कि पलामू जिले के सतबरवा जंगल इलाके में माओवादी कैंप कर रहे हैं और किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने की फिराक में है। इसके बाद जिले के एसपी मयूर पटेल की अगुवाई में जिला पुलिस और सीआरपीएफ की टीम बनाई गई। इसके बाद स्कॉर्पियो पर सवार होकर जा रहे माओवादियों पर पुलिस ने फायरिंग शुरू कर दी। माओवादियों ने भी गाड़ी रोककर पुलिस टीम पर गोली दागना शुरू कर दिया। करीब तीन घंटे तक दोनों तरफ से फायरिंग होती रही। गोलीबारी शांत होने के बाद जब पुलिस ने स्कॉर्पियो को सर्च किया तो उसमें 12 माओवादी मृत पड़े थे। नक्सली जिस स्कॉर्पियो से जा रहे थे उस पर पश्चिम बंगाल का नंबर प्लेट था। ङ्खक्च 60श्व 2011 नंबर की इस गाड़ी के मालिक की पहचान भी हो गई है। गाड़ी पश्चिम बंगाल के मंटू साह व एन झरना सरकार के नाम पर रजिस्टर्ड है।

मीटिंग करने गया था 'डॉक्टर'

पुलिस के साथ मुठभेड़ में मारा गया पांच लाख का ईनामी नक्सली अनुराग उर्फ डॉक्टर वेस्ट बंगाल में एक मीटिंग में शामिल होने के लिए गया था। अपन अन्य माओवादी सहयोगियों के साथ जब वह स्कॉर्पियो से लौट रहा था तो पुलिस के साथ उसकी मुठभेड़ हो गई।

पारा टीचर निकला नक्सली

मुठभेड़ के बाद घटनास्थल से पुलिस ने 12 माओवादियों का शव बरामद किया है। इसमें दो शव की पहचान हो चुकी है। एक शव उदय यादव का है, जो पारा टीचर था। वह लातेहार जिले के मनिका थाना क्षेत्र के नेवार का रहनेवाला था। दूसरा शव माओवादियों के जोनल कमांडर अनुराग का है। मुठभेड़ स्थल से पुलिस ने आठ राइफल, एक देसी कटटा और 250 कारतूस बरामद किया है।

जवानों को मिला ईनाम

मंगलवार की सुबह डीजीपी डीके पांडेय और अन्य वरीय पुलिस अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर पुलिस की हौसला अफजाई की। इस दौरान उन्होंने माओवादियों के खिलाफ इस ऑपरेशन में शामिल सीआरपीएफ और जिला पुलिस जवानों को पुरस्कार के तौर पर तीन लाख रुपए दिए। दूसरी तरफ, पलामू के आईजी ए नटराजन और एसपी मयूर पटेल सोमवार की देर रात से ही घटनास्थल पर कैंप कर रहे हैं। आईजी ए नटराजन ने बताया कि मुठभेड़ के बाद से ही पुलिस का सर्च ऑपरेशन चल रहा है।

जेजेएमपी ने पुलिस को दी थी सूचना

सोर्सेज के मुताबिक, जेजेएमपी ने पुलिस को माओवादियों की गतिविधियों की सूचना दी थी। उनकी सूचना पर ही पुलिस और सीआरपीएफ ने इस मुठभेड़ में सफलता पाई है। नक्सली संगठन जेजेएमपी के बारे में कहा जाता है कि इसे पुलिस और सीआरपीएफ का सहयोग मिलता रहता है और पुलिस ने ही इसे माओवादियों के खिलाफ लड़ाई में इस्तेमाल के लिए खड़ा किया है। झारखंड में जेजेएमपी और टीपीसी (तृतीय प्रस्तुति कमेटी) दो ऐसे संगठन हैं जिन्हें पुलिस ने माओवादियों के खिलाफ लड़ाई के लिए खड़ा किया है। इनमें संगठन से बगावत कर अलग होने वाले नक्सली शामिल हैं। झारखंड के कई हिस्सों में इनकी पकड़ अच्छी है और ये लेवी वसूला करते हैं। ये दोनों संगठन पुलिस पर कभी हमला नहीं करते।

Posted By: Inextlive