बनारस में अपराधी बेलगाम हैं. हर रोज चोरी, छिनैती, चेन स्नेचिंग, लूट की घटनाएं हो रही हैं. अपराध पर पुलिस लगाम क्यों नहीं लगा पा रही है इसी सवाल का जवाब तलाशने के लिए दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने एसएसपी आनंद कुलकर्णी के साथ मिलकर एक योजना बनायी. इसके तहत शहर की सुरक्षा का रिएलिटी चेक करने दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम पुलिस अधिकारी के साथ शहर की सड़कों पर निकली. इस रिएलिटी चेक को नाम दिया गया 'अॅापरेशन लूट'. इसमें लुटेरा के रूप धारण किया दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के रिपोर्टर ललित पांडेय और एडिशनल एसपी डॉ. अनिल कुमार. खुद को लुटेरों जैसा दिखाने के लिए रिपोर्टर ने हेलमेट से तो एएसपी ने रुमाल से अपना चेहरा ढका और बाइक पर सवार होकर निकल पड़े. इसके पहले रिपोर्टर ने डायल 100 पर चेन स्नेचिंग की सूचना दी. इसे अंजाम देने वाले बदमाशों के रूप में अपने हुलिया और लोकेशन की जानकारी दी. थोड़ी ही देर में यह सूचना वारयलेस से प्रसारित होने लगी. अब आगे क्या होता है? पढि़ए 'ऑपरेशन लूट' की खास रिपोर्ट.

चांदमारी चौकी से 'ऑपरेशन लूट' शुरू

शिवपुर थाने के चांदमारी चौकी अंतर्गत ट्रेड फैसिलिटी सेंटर से सुबह सात बजकर 12 मिनट पर रिपोर्टर ने डायल-100 को सूचना दी कि टीएफसी के अंतिम छोर पर स्टेडियम के पास बाइक सवार बदमाशों ने एक महिला की सोने की चेन छीन ली. शिकायतकर्ता ने बाइक व बदमाशों का हुलिया भी बताया. यूपी कॉलेज की ओर बदमाशों के भागने की खबर देते हुए बाइक उधर घुमा दी. चेन स्नेचिंग की सूचना पाकर लगभग नौ मिनट के अंदर डायल-100 की वैन टीएफसी पहुंच गई.

देखा पर करता रहा आराम (कचहरी)

लुटेरा बने बाइक पर सवार रिपोर्टर और पुलिस अधिकारी कचहरी चौकी पहुंची. कुछ देर तक पुलिस चौकी के पास खडे़ भी रहे, चौकी के अंदर आराम से कुर्सी पर लेटे एक सिपाही ने उन्हें देखा भी लेकिन कुर्सी छोड़कर उठा नहीं. इसके बाद एएसपी और रिपोर्टर बाइक से खजुरी की ओर बढ़े.

देखना भी जरूरी नहीं समझा (पांडेयपुर चौकी)

पांडेयपुर पुलिस चौकी के बाहर बाइक रोककर करीब पांच मिनट तक दोनों वहां रुके लेकिन किसी पुलिसकर्मी ने उनकी तरफ देखना भी जरूरी नहीं समझा. चौराहे पर अतिक्रमण और ऑटो वालों की मनमानी होती रही लेकिन इससे पुलिसकर्मियों को कोई मतलब नहीं है.

आराम ही करते रहे (पहडि़या चौकी)

अगले पड़ाव पर 'लुटेरे' पहाडि़या पुलिस चौकी पहुंचे. चौकी के पास बाइक लगाया और इत्मीनान से खड़े हो गए. चौकी के बाहर पीआरवी वैन में दो सिपाही बैठे हुए थे. उन्हें क्रास करते हुए चौकी के पास पहुंचे, दो से तीन सिपाहियों ने देखा लेकिन किसी ने कुछ पूछने की जहमत नहीं उठाई.

बेखौफ पार्क में किया वॉक (शहीद उद्यान)

बाइक सवार हुकुलगंज होते हुए चौकाघाट, मरी माता मंदिर से तेलियाबाग होकर मलदहिया से सीधे सिगरा शहीद उद्यान पार्क पहुंचे. नगर निगम कार्यालय के सामने से पार्क में इंट्री लिया. एएसपी और रिपोर्टर लगभग दस मिनट तक पार्क में टहलते रहे. रास्ते में उन्हें किसी ने नहीं रोका. पार्क के ईर्द-गिर्द कोई कर्मी नहीं था.

करते रहे साहब के आने का इंतजार (सिगरा थाना)

रिएलिटी चेक के क्रम में रिपोर्टर और एएसपी सिगरा थाना पहुंचे. सुबह के वक्त यहां सभी आराम के मूड में थे. थाना परिसर के अंदर गिनती के लोग नजर आ रहे थे. साफ-सफाई कर रहे कर्मचारी से रिपोर्टर ने पूछा कि साहब कहां है? जवाब मिला कि दस बजे के बाद आएंगे तभी कोई काम हो पाएगा. यहां भी किसी को मतलब नहीं कि थाने के अंदर कौन आ रहा है.

आंखों नींद से रहीं बोझिल (नदेसर चौकी)

बाइक अब बढ़ चली मलदहिया-तेलियाबाग-अंधरापुल होते हुए नदेसर पुलिस चौकी. यहां कुछ सिपाही मौजूद थे लेकिन बेहद ढीले-ढाले जैसे नींद से अभी भी जाग नहीं पाए हैं. बोझिल नजरों से बाइक सवारों को देखा पर कुछ पूछने की जहमत नहीं उठायी. ताजुब्ब यह था कि लुटेरों का हुलिया वायरलेस के जरिए बार-बार बताई जा रही थी फिर भी पुलिस की मुस्तैदी नहीं थी.

कांस्टेबल को कुर्सी से रहा प्यार (कैंट थाना)

बाइक सवार एएसपी और रिपोर्टर ने लगे हाथ कैंट थाना जाने का मन बनाया. दोनों पहुंचे तो यहां भी सफाई चल रही थी, एक कुर्सी पर हेडकांस्टेबल बैठे हुए थे. रिपोर्टर और एएसपी मुंह पर रूमाल बांध थाना के अंदर गए, पहरा पर मौजूद जवान और हेडकांस्टेबल ने देखा भी लेकिन पूछा नहीं कि दोनों यहां क्यों आए हैं? बस अपनी कुर्सी पर जमे रहे.

जहां की तहां खड़ी थी खाली हाथ (टीएफसी)

डायल-100 पर चेन स्नेचिंग की सूचना देने के दौरान दर्ज रिपोर्टर के मोबाइल नम्बर पर चांदमारी चौकी प्रभारी का फोन आया. करीब घटना के 45 मिनट बाद चौकी इंचार्ज अपने सिपाहियों के साथ टीएफसी पहुंच गए थे. रिपोर्टर और एएसपी ने तय किया कि चलके देखा जाए क्या पुलिस घटनास्थल पर पहुंची है. अर्दली बाजार होते हुए बड़ालालपुर, टीएफसी पहुंचने पर चार-पांच सिपाही खडे़ दिखे. हुलिया बताने के बाद भी उनके सामने से बाइक गुजरी लेकिन पुलिसकर्मियों ने बाइक रोकना मुनासिब नहीं समझा. इलाके में चेकिंग नहीं हो रही थी. कुछ दूर से वापस मुड़कर आने पर पुलिसकर्मी सतर्क हुई. बाद में एक पुलिसकर्मी ने एएसपी को पहचान लिया. फिर एएसपी ने पुलिसकर्मियों को जमकर लताड़ लगाई.

यूपी कॉलेज में फैंटम के सामने थे लुटेरे (यूपी कॉलेज)

यूपी कॉलेज भोजूबीर के पास मौजूद पुलिसकर्मियों को लुटेरों की मौजूदगी की सूचना दी गई और फिर से बाइक सवार स्नेचर्स का हुलिया भी बताया गया. लेकिन हालत यह थी कि वहां मौजूद लुटेरे बने रिपोर्टर और एएसपी पांच मिनट तक कॉलेज परिसर में टहलते रहे लेकिन फैंटम दस्ता सामने मौजूद होने के बावजूद किसी तरह की हरकत नहीं किया. एएसपी फैंटम दस्ता के पास पहुंचे और दो पुलिसकर्मियों को जमकर लताड़ लगाई. ड्यूटी प्वाइंट पर भी अंजान बने रहने पर फैंटम की जमकर क्लास ली गई.

सतर्क रहे कैंट इंस्पेक्टर 'लुटेरों' को दबोचा (कैंटोनमेंट)

पुलिस की सतर्कता को और परखने के लिए बाइक से रिपोर्टर व एएसपी कैंटोनमेंट एरिया की ओर बढ़े. जैसे ही जेएचवी मॉल स्थित नेहरू पार्क के पास पहुंचे थे कि सामने से कैंट इंस्पेक्टर मय फोर्स आते दिखे और बाइक के सामने जीप रोक दी. तुरंत उतरे सिपाहियों और कैंट इंस्पेक्टर विजय बहादुर ने तलाशी लेनी शुरू कर दी. साढ़े नौ बजे यानि की कुल दो घंटे के बाद पुलिस ने स्नेचर्स बने रिपोर्टर और एएसपी को पकड़ा. एएसपी डॉ. अनिल कुमार ने जब रूमाल मुंह से हटाया तो सभी पुलिसकर्मियों ने सैल्यूट मारना शुरू कर दिया.

Posted By: Vivek Srivastava