छानबीन के दिए आदेश, पीएफआई के एजेंट्स को फंडिंग करने वालों की तलाश तेज

एसडीएम और एसीएम को देना होगा पूरा ब्योरा, गतिविधियों पर रखनी होगी नजर

Meerut। नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के विरोध में 20 दिसंबर को मेरठ में हुई हिंसा प्रस्तावित थी। इस हिंसा के लिए शहर में लंबे समय से प्लानिंग चल रही थी। अनीस खलीफा की गिरफ्तारी के बाद हिंसा की इस प्लानिंग में से परदा हटा। खलीफा के पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) और एसडीएफआई से कनेक्शन ने साफ कर दिया कि 20 दिसंबर की हिंसा देश में सक्रिय प्रतिबंधित संगठनों की साजिश का नतीजा थी। वहीं मेरठ पुलिस-प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। सरकार ने मेरठ के अधिकारियों से इस संबंध में जबाव-तलब किया है। पूछा है कि आखिर किस तरह पीएफआई मॉडल मेरठ में कैसे पहुंचा और कैसे वर्किंग में था?

आखिर क्या होता है मीटिंग्स में?

20 दिसंबर की हिंसा में मेरठ समेत प्रदेश के विभिन्न जनपदों में पीएफआई की गतिविधियों के खुलासे के बाद गृह विभाग ने जवाब-तलब किया है। गृह विभाग ने पूछा है कि आखिर वरिष्ठ पुलिस-प्रशासनिक अधिकारियों की हर माह आतंकी गतिविधियों के संबंध में होने वाली मीटिंग्स में क्या होता है? आखिर मेरठ समेत वेस्ट यूपी में केरल के संगठन (पीएफआई) ने जड़ें जमा ली और आपको कानोकान खबर भी नहीं हुई। वरिष्ठ अधिकारियों से लेकर थाना पुलिस को फेल्योरनेस का जिम्मेदार ठहराया है। गौरतलब है कि पूर्व में भी केंद्रीय और राज्य गृह मंत्रालयों ने 20 दिसंबर की घटना का पुर्वानुमान न लगा पाने पर खुफिया एजेंसियों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए थे। वहीं यूपी सरकार के गृह विभाग ने डीएम-एसएसपी समेत वरिष्ठ अधिकारियों को पीएफआई मॉडल के खिलाफ कार्रवाई के संबंध में भी ब्योरा तलब किया है।

कैसे पहुंचे बाहरी युवक?

पुलिस सूत्रों के मुताबिक हिंसा के दौरान अलग-अलग क्षेत्रों में भीड़ उग्र हो गई, और पुलिसबल और पैरा मिलिट्री फोर्स पर 'अटैक' कर दिया। 20 दिसंबर को शहर के एक साथ एक ही समय 6 अलग-अलग जगहों पर हिंसा भड़की, और भीड़ की अगुवाई कुछ ऐसे नौजवान कर रहे थे जिन्हें किसी ने शहर में पहले कभी नहीं देखा था। ये युवक पीएफआई के एक्टिव मेंबर थे जो हिंसा की घटनाओं को अंजाम देकर फरार हो गए। पुलिस के पास मौजूद वीडियो और फोटोग्राफ्स में इनमें चेहरे हैं किंतु शिनाख्त नहीं हो पा रही है। वहीं खुफिया इनपुट ने पुलिस-प्रशासन के होश उड़ा रखे हैं। खुफिया विभाग ने बताया कि एक प्लानिंग के तहत 20 दिसंबर से पूर्व सीएए के विरोध में संगठनों की गतिविधियों पर पीएफआई की नजर थी। पुलिस-प्रशासन की गतिविधियों पर भी पीएफआई नजर बनाए हुए थी।

कोडवर्ड को डीकोड कर रही पुलिस

पुलिस गिरफ्त में पीएफआई की गतिविधियों का मेरठ में संचालन कर रहे अनीस खलीफा ने पूछताछ में कुछ कोडवर्ड बताए हैं। पुलिस इन कोडवर्ड को डीकोड करने का प्रयास कर रही है। हिंसा के दौरान पीएफआई ने युवाओं और बच्चों को मोहरा बनाया था, हालांकि इस ऑपरेशन में महिलाओं को शामिल करने का इरादा भी आतंकी संगठन का था। किंतु मेरठ में ऐसा संभव नहीं हो सका। पीएफआई ने बाहरी ट्रेंड युवकों को बुलाकर स्थानीय युवकों से मुलाकात कराई थी। इन बाहरी युवकों की नौचंदी ग्राउंड, बिजली बंबा बाईपास, समर गार्डन आदि स्थानों पर खेल के मैदानों में स्थानीय लड़कों से मुलाकात कराई गई थी। खेल-खेल में बाहरी युवकों ने ट्रेनिंग दी, जिसके चलते तमाम आशंकाओं के बाद भी पुलिस को अवांछनीय गतिविधियों की भनक तक न लग सकी। पुलिस के मुताबिक अनीस खलीफा पीएफआई के दिल्ली और लखनऊ में सक्रिय सदस्यों के संपर्क में था। जबकि वेस्ट यूपी के कई जनपदों में हिंसा की प्लानिंग मेरठ में ही बनाई गई थी।

फैसले के बाद सक्रिय

हिंसा के बाद मेरठ पुलिस ने पीएफआई से जुड़े दो आरोपी अमजद, जावेद और एसडीएफआई से नूर हसन व अब्दुल मुरीद को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया। वहीं 20 हजार के ईनामी अनीस खलीफा की गिरफ्तारी ने आतंकी संगठन की साजिश से परदा हटा दिया है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक मेरठ समेत वेस्ट यूपी में अयोध्या प्रकरण पर आए सुप्रीम कोर्ट के विवाद के बाद आतंकी संगठन सक्रिय हो गया था। क्योंकि अयोध्या प्रकरण पर फैसला सुप्रीम कोर्ट ने दिया था इसलिए हिंसा की पृष्ठभूमि नहीं बन पा रही थी। एकाएक सीएए पर फैसला आने के बाद आतंकी संगठन की ओर से बड़े पैमाने पर अधिनियम का दुष्प्रचार किया गया। पुलिस जांच में सामने आया कि इस संगठन का उद्देश्य देशभर में दंगे फसाद, सांप्रदायिक घटना और आगजनी कराना था। संगठन ने 9 नवंबर 2019 को अयोध्या फैसले को लेकर लोगों को उकसाने के लिए पोस्टर व पर्चे बांटे गए थे।

'लालच' और 'डर' को भुनाया

'इस कानून के लागू होने के बाद सभी मुस्लिमों को बांग्लादेश भेज दिया जाएगा.' 'जिन मुसलमानों के दो से अधिक बच्चे हैं उनको देश से बाहर भेज दिया जाएगा.' मुस्लिमों को सरकार की किसी भी योजना में लाभ नहीं मिलेगा.' 'सबके वोटर आईडी कार्ड और आधार कार्ड कैंसिल किए जा रहे हैं.' आदि ऐसे भड़काऊ वक्तव्य पीएफआई और एसडीएफआई ने मुस्लिम इलाकों में प्रचारित किए। शैक्षिक संस्थानों में भी बड़े पैमाने पर ऐसे वक्तव्यों का प्रचार-प्रसार किया गया। खासकर मुस्लिम युवाओं के मष्तिष्क में सोशल मीडिया के माध्यम से सरकार की नकारात्मक छवि को वीडियो और क्लिपिंग के माध्यम से भरा गया। हिंसा के लिए ऐसे युवाओं को आगे किया गया जो तेजतर्रार और सतर्क थे। उनके पीछे भीड़ को शामिल किया गया। पीएफआई के निशाने पर दिहाड़ी मजदूर, फेरीवाले, ठेल-ढकेल वाले भी थे, जिन्हें लालच देकर हिंसा में शामिल किया गया था।

सक्रिय है सर्विलांस

हिंसा में पीएफआई और एसडीएफआई के हाथ की पुष्टि के बाद पुलिस की सर्विलांस सेल सक्रिय हो गई। दोनों संगठन जहां-जहां अधिक सक्रिय हैं वहां से इनके चिह्नित एजेंट्स का रिकॉर्ड पुलिस खंगाल रही है। केरल, दिल्ली, असम व पश्चिम बंगाल से पुलिस जानकारी जुटा रही है।

पीएफआई और एसडीएफआई से जुड़े कौन-कौन पकड़े गए और उनके खिलाफ क्या कार्रवाई हुई? बरामदगी और पूछताछ में आरोपियों ने क्या बताया? इसकी तमाम जानकारी मेरठ, सहारनपुर, बिजनौर, मुजफ्फरनगर समेत कई जनपदों से गृह मंत्रालय ने मांगी है। 20 दिसंबर की हिंसा में दोनों प्रतिबंधित संगठनों की भूमिका उजागर होने के बाद पुलिस-प्रशासन को छानबीन के निर्देश दिए गए हैं।

अनिल ढींगरा, जिलाधिकारी, मेरठ

Posted By: Inextlive