- सिटी के नौ थानों और 41 चौकियों में नहीं है फायर सेफ्टी के उपकरण

- आग लगी तो हो सकती है बड़ा हादसा, जरूरी डाक्यूमेंट भी हो सकते हैं राख

बरेली : बरेलियंस को सेफ्टी देने वाली पुलिस और उसके थाने खुद कितने सेफ हैं, यह डिपार्टमेंट के सीनियर अफसरों को नहीं दिखता। सिटी के नौ थानों और 41 चौकियों में आग बुझाने के न तो प्रॉपर अरेंजमेंट हैं और न ही फायर सेफ्टी के उपकरण। ऐसे में अगर किसी थाने में आग लगी तो केसों से जुड़े सभी महत्वपूर्ण डाक्यूमेंट राख हो सकते हैं। आग लगी तो सभी थाने सिर्फ फायर ब्रिगेड के भरोसे हैं।

स्टैंडर्ड से खिलवाड़

फायर सेफ्टी के रूल्स के मुताबिक, हर पुलिस स्टेशन और चौकियों में चार-चार फायर सेफ्टी के उपकरण होने चाहिए। मगर आधे से ज्यादा पुलिस स्टेशनों में स्टैंडर्ड के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। आग बुझाने के संसाधनों के बिना ही 41 चौकियां चल रही हैं।

शॉर्ट सर्किट की आंशका

कोतवाली, सुभाषनगर, कैंट, किला, सीबीगंज थानों में घोर लापरवाही देखने को मिल रही है। यहां मौजूद पुलिसकर्मियों की जान हमेशा खतरे में बनी रहती है। दरअसल इन थानों में दशकों पहले वायरिंग कराई गई थी। लेकिन समय पर मेंटेनेंस न होने के कारण तार जर्जर हो गए हैं। और वायरिंग खुली पड़ी है। इन्हीं खुले तारों के नीचे बैठकर पुलिसकर्मी अपना रोज का काम निपटाते हैं।

फुंक चुका है कैंट थाना

करीब तीन साल पहले खुराफातियों ने कैंट थाने को आग के हवाले कर दिया था। आग बुझाने के उपकरण न होने की वजह से ज्यादा नुकसान हुआ था। ऐसे में पुलिस स्टेशन में खड़े तमाम वाहन जलकर खाक हो गए थे।

वर्जन

पुलिस स्टेशन में कई साल से वायरिंग जर्जर है। इसके लिए अफसरों को अवगत कराया चा चुका है।

हरिश्चंद्र जोशी, सुभाषनगर इंस्पेक्टर

चौकी में आग बुझाने का उपकरण होना चाहिए। मगर यहां कोई भी उपकरण नहीं है।

सतवीर सिंह, सिविल लाइन्स चौकी इंचार्ज

जल्द ही थानों में जर्जर वायरिंग को रिपेयर कराया जाएगा। इसके अलावा सभी इंस्पेक्टरों का आग के संसाधन रखने के लिए आदेश दिया गया है।

अभिनंदन सिंह, एसपी सिटी

Posted By: Inextlive