--आंगनबाड़ी सेविकाओं पर पुरुष पुलिस ने दिखाई गुंडागर्दी

--डीएसपी से लेकर इंस्पेक्टर तक ने सड़क पर किया हिंसा का नाच

--गंभीर आपराधिक मामलों की जांच में फिसड्डी पुलिस, अधिकांश मामले सीबीआई को रेफर

सिटी के राजभवन चौक पर मंगलवार को खाकी का चक्रव्यूह नजर आया। एक महिला को दस-दस पुलिसकर्मी घेरकर लाठियां बरसा रहे थे। ये महिलाएं आंगनबाड़ी सेविकाएं थीं जो अपने आंदोलन के दौरान सीएम आवास का घेराव करने जा रही थीं। इनको काबू में करने के लिए रांची पुलिस ने सड़क पर ही चक्रव्यूह रच डाला। कोतवाली डीएसपी अजीत विमल और इंस्पेक्टर श्यामानंद मंडल ने अपनी टीम के साथ बीच सड़क पर महिलाओं पर जमकर लाठियां बरसाईं। इन आंगनबाड़ी सेविकाओं को काबू में करने के लिए न तो महिला पुलिसकर्मियों को बुलाया गया और न ही किसी तरह के नियम कानून का पालन किया गया। सरेआम बीच सड़क पर निहत्थी महिलाओं पर पुलिस ने जमकर मर्दानगी दिखाई। महिलाओं के हाथ, पैर, पीठ किसी भी चीज का लिहाज नहीं रखा गया, जमकर लात, घूंसे, लाठियां और थप्पड़ बरसाए गए। इस घटना में कई सहायिकाएं घायल हो गईं।

गंभीर मामलों की जांच में फेल

इन महिलाओं पर हिंसा का प्रयोग करने वाली यह पुलिस वही है जो कई गंभीर मामलों की जांच में फेल हो जाती है। कई मामलों को सीबीआई को रेफर कर दिया गया, क्योंकि उन्हें सुलझा पाना पुलिस के बूते से बाहर है। शहर में छिनतई, चोरी, लूट समेत नशीले पदार्थो की बिक्री पर भी काबू नहीं कर पाने वाली पुलिस महिलाओं के विरुद्ध अपनी सारी काबिलियत सड़क पर दिखाती रही।

महिला को पुरुष पुलिसकर्मी क्यों मारेंगे?

महिला सेविकाओं ने कहा कि पुलिस का काम कानून का पालन करना है। यह कहां का कानून है कि हम महिला सेविकाओं को पुरुषकर्मी दौड़ा-दौड़ा कर पीटेंगे? जो लोग हथियारों से लैस रहते हैं उनके सामने तो यह पुलिस पंगु बनी रहती है।

88,000 सेविकाएं हैं आंदोलन पर

झारखंड राज्य आंगनबाड़ी कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा के बैनर तले ये महिलाएं पिछले 21 अगस्त से आंदोलन पर हैं। राज्य में इनकी संख्या लगभग 88,000 है। सेविकाओं ने सरकार के समक्ष कई मांगों को रखा है। इसमें आंगनबाड़ी कर्मियों का स्थायीकरण, जनवरी 2018 में हुए समझौते को लागू करना, मानदेय के स्थान पर वेतन देना, न्यूनतम वेतन लागू करना, समान काम के लिए समान वेतन सहित स्वास्थ्य बीमा देने की मांग है।

Posted By: Inextlive