-परीक्षार्थी और सॉल्वर अरेस्ट, नहीं पकड़े गए सरगना

-गोरखपुर से बिहार कनेक्शन में फेल हो जा रही पुलिस

GORAKHPUR: शहर के अंदर विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में एक्टिव सॉल्वर गैंग के सामने पुलिस नतमस्तक हो गई है। कई सॉल्वर पकड़ने के बाद भी पुलिस असली सरगना तक नहीं पहुंच सकी। हर बार पुलिस दावे करती है कि जल्द गैंग पर शिकंजा कस जाएगा। लेकिन बड़े पैमाने पर चल रहे गैंग तक पुलिस पहुंच नहीं पा रही। एसटीएफ, क्राइम ब्रांच और थानों की अलक-अलग जांच पड़ताल में कोई ऐसा क्लू पुलिस के हाथ नहीं लगा, जिससे कामयाबी मिल सके। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि पूर्व में सामने आए मामलों की पड़ताल की जा रही है।

सॉल्वर की भरमार फिर भी पुलिस लाचार

शहर में ऑनलाइन परीक्षा केंद्रों की तादाद बढ़ती जा रही है। विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं का सेंटर बनने से संचालकों को काफी लाभ हो रहा है। लेकिन शहर कुछ केंद्रों पर इसकी आड़ में घिनौना खेल भी चल रहा। ऑनलाइन एग्जाम में असली परीक्षार्थी की जगह सॉल्वर बैठकर एग्जाम दे रहे हैं। इन सेंटर्स पर आए दिन सॉल्वर पकड़े जाने के बावजूद पुलिस लाचार नजर आ रही है। लोगों का कहना है कि यह संभव नहीं है कि बिना सेंटर संचालक की मर्जी के कोई भी व्यक्ति दूसरे की जगह परीक्षा दे सके। जबकि, हर एग्जाम में क्रास वेरीफिकेशन किया जा रहा है। ऐसे में आसानी से सॉल्वर का पहुंच पाना आसान नहीं रहा। लेकिन फिर भी कोई कार्रवाई नहीं हो पा रही।

सात से 10 लाख रुपए में होती सौदेबाजी

सॉल्वर गैंग की जांच से जुड़े पुलिस कर्मचारियों का कहना है कि तीन-चार साल के भीतर ऑनलाइन परीक्षाएं ज्यादा होने लगी हैं। इसका फायदा उठाते हुए सॉल्वर गैंग भी सक्रिय हो गया है। सॉल्वर गैंग के सदस्य कई चैनल में काम करते हैं। एग्जाम से लेकर परीक्षा कराने की सेटिंग तक के लिए अलग-अलग टीमें अपने-अपने टारगेट की तलाश करती हैं। इस गैंग से जुड़े लोग परीक्षा के अनुसार कीमत लेते हैं। कम से कम सात लाख रुपए से लेकर 10 लाख रुपए तक में सौदा तय करके परीक्षा दिलाई जाती है। इसमें सबकी भूमिका के अनुसार रुपए तय होते हैं।

इस तरह से काम करता है चैनल

किस- किस एग्जाम में कौन बैठ रहा है। उसकी तलाश की जाती है।

एग्जाम की अहमियत के अनुसार सॉल्वर गैंग उसकी कीमत तय करता है।

परीक्षार्थी मिलने पर उससे मिलते-जुलते चेहरों वाले सॉल्वर खोजे जाते हैं।

फिर सेंटर पर सेटिंग कराकर सॉल्वर को परीक्षा केंद्र पर भेजा जाता है।

परीक्षा के पूर्व पेशगी और बाद में तय सौदे के अनुसार पेमेंट लेकर सॉल्वर लौट जाते हैं।

ज्यादातर सॉल्वर खुद प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते हैं। या तो वह कोचिंग सेंटर में टीचर होते हैं।

हर बार एफआईआर, रसूख के आगे सब बेकार

सॉल्वर के पकड़े जाने पर परीक्षा केंद्रों की भूमिका भी संदिग्ध हो जाती है। परीक्षा केंद्रों की भूमिका का जिक्र तो एफआईआर में किया जाता है। लेकिन आगे की विवेचना फाइलों में दब जाती है। जबकि, सॉल्वर गैंग के पकड़े जाने पर हर बार सेंटर्स भी सवालों के घेरे में रहते हैं। एसटीएफ हो क्राइम बा्रंच किसी भी टीम की जांच में सॉल्वर गैंग के अलावा अन्य किसी पर कार्रवाई नहीं होती। इसमें परीक्षा केंद्र संचालकों के अलावा वह लोग भी शामिल हैं जो छात्रों को खोजकर उनकी जगह सॉल्वर अरेंज करते हैं। पुलिस से जुड़े लोगों का कहना है कि व्हाट्सअप पर सक्रिय गैंग की जानकारी होने पर पुलिस उनके रसूख के आगे फेल हो जाती है।

हाल के दिनों में सामने आए मामले

13 अगस्त 2019: स्वास्तिक आनलाइन प्रकाश कांपलेक्स पर वास्तविक अभ्यर्थी की जगह परीक्षा दे रहा नवलेश कुमार पकड़ा गया। गया, बिहार निवासी नवलेश बिहार के रविशंकर की जगह एग्जाम दे रहा था।

06 अगस्त 2019: पिपराइच एरिया के जंगल धूसड़ में ई टेक्निकल सेंटर पर एसएससी की आनलाइन परीक्षा में बिहार के जहानाबाद के बलजीत कुमार सिंह, नालंदा के सुबोध कुमार, थल्लू बिहार के राजेश कुमार और नालंदा के राहुल कुमार को क्राइम ब्रांच की टीम ने पकड़ा था।

31 अक्टूबर 2018: रेलवे की ग्रुप डी की परीक्षा में स्वास्तिक सेंटर से बिहार के जहानाबाद निवासी साल्ॅवर दिनेश कुमार और नालंदा के राजीव कुमार पकड़े गए।

14 सितंबर 2018: नौसढ़ के स्वास्तिक सेंटर से यूपीपीसीएल के एग्जाम में बस्ती के अलमास, गोरखपुर के दिलीप कुमार और छपरा के रोशन कुमार और मुजफ्फरपुर राजीव यादव पकड़े गए थे।

नोट: पूर्व में भी आधा दर्जन से अधिक मामले सामने आ चुके हैं।

सॉल्वर पकडृे जाने के मामले की तफ्तीश की जा रही है। इसमें सेंटर्स की भूमिका की पड़ताल चल रही है। सबूत सामने आने पर संबंधित लोगों के खिलाफ भी मुकदमे में कार्रवाई होगी।

सत्य प्रकाश सिंह, इंस्पेक्टर एसटीएफ गोरखपुर

पिपराइच में पकड़े गए सॉल्वर गैग के संबंध में जांच चल रही है। फरार चल रहे शातिरों की तलाश में टीम जुटी है। उनके पकड़े जाने पर पता चल सकेगा कि कौन-कौन लोग रैकेट से जुड़े हुए हैं।

प्रवीण कुमार सिंह, सीओ क्राइम ब्रांच

Posted By: Inextlive