निगम के विकास पर राजनीति का ब्रेक
अधर में शहर के विकास के कई प्रस्ताव
पार्षदों और कर्मचारियों के बीच हो रहा विवाद Meerut। नगर निगम के आला अधिकारियों की गैरहाजिरी के चलते शहर का विकास प्रभावित होने लगा है। गत माह बोर्ड बैठक में हुए हंगामे के बाद स्थगित हुए प्रस्ताव अभी तक बोर्ड बैठक तक ही नही पहुंच सके हैं, ऐसे में उन प्रस्तावों पर चर्चा या निर्णय की स्थिति कब तक साफ होगी यह भी अभी निश्चित नही है। ऐसे में निगम की कार्यप्रणाली और शहर के विकास पर निगम कर्मचारियों व पार्षदों की आपसी राजनीति ने भी ब्रेक लगा दिया है। एक तरफ जहां पार्षद बाबू के निलंबन पर अड़े हुए हैं तो वहीं दूसरी तरफ निगम कर्मचारियों में भी इस घटना के बाद विरोध में लामबंद हो गए हैं ऐसे में शहर का विकास पूरी तरह थम गया है योजनाएं अधर में अटक गई हैं।विकास कार्यो पर ब्रेक
गत माह करीब सात माह बाद निगम स्थित टाउन हॉल में बोर्ड बैठक हुई। इससे पहले की विकास कार्यो पर निगम अधिकारियों व पार्षदों में कोई बातचीत हो पाती अधिकांश मुद्दों पर टकराव की स्थिति उत्पन्न हो गई, हंगामे के कारण कई बार बोर्ड बैठक को रोका गया। अंत में बैठक को स्थगित करना पड़ गया। इस बोर्ड बैठक में कई नए मुददों पर चर्चा होनी थी लेकिन बोर्ड बैठक रुकने से मुददे तो दूर प्रस्ताव भी पास नही हुए जिसका खामियाजा शहर के लोगों को भुगतना पड़ रहा है।
अधर में ये प्रस्ताव अवैध रुप से चल रहे बीओटी ठेके के संबंध में निर्णय शहर के मार्गो पर बंद पर स्ट्रीट लाइट के संचालन के संबंध में वार्डो में कर्मचारियों की अनुपस्थिति के संबंध में निर्माण विभाग, विज्ञापन विभाग और मार्ग प्रकाश विभाग के बोओटी के संबंध में जलकल विभाग के नलकूपों से हटाए गए चौकीदारों की बहाली के संबंध में डूडा द्वारा निगम कालोनियों में बनाई गई सड़कों के संबंध में जनता अपने प्रतिनिधि को इसलिए चुनती हैं कि समस्याओं का समाधान कराया जा सके, लेकिन बोर्ड में हंगामे से बोर्ड की छवि को खराब किया गया और शहर का विकास भी प्रभावित हो रहा है। जल्द बोर्ड बैठक गठित कर कार्यो को शुरु कराया जाएगा। सुनीता वर्मा, महापौर