- बोर्ड ने कहा, नर्सिग होम भी मेडिकल वेस्ट के अनुपालन में कर रहे अनदेखी

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PATNA : मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट में लापरवाही को लेकर बिहार स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने कार्रवाई शुरू कर दी है। अस्पतालों पर जुर्माना लगाने के बाद शहर के नर्सिग होम के खिलाफ भी सख्त रुख अपनाने का निर्णय लिया है। बोर्ड की ओर से बताया कि सभी संबंधित पक्षों से पहले ही आवश्यक सिस्टम डेवलप करने को कहा गया है। लेकिन करीब डेढ साल की अवधि में इस दिशा में अपेक्षित सुधार नहीं हुआ है। करीब 20 से 35 प्रतिशत मामले में इसकी अनदेखी हो रही है। बोर्ड के अध्यक्ष डॉ अशोक घोष ने कहा कि स्वास्थ्य से संबंधित यह गंभीर मामला है और इसमें त्वरित कार्रवाई जरूरी है। पटना के कई पॉश इलाकों, इंस्टीट्यूशन एरिया और गली-गली में नर्सिग होम धड़ल्ले से चल रहे हैं। लेकिन मेडिकल वेस्ट के निपटारे में पीछे हैं।

घनी आबादी के बीच खतरा

छोटे और बडे़ दोनों ही प्रकार के नर्सिग होम पटना के तमाम रिहाइशी इलाकों में चल रहे हैं। इनमें अधिकांश के पास मेडिकल वेस्ट को कैटेगरी में चिन्हित कर अलग कर डिस्पोजल करने की व्यवस्था नहीं है। पॉल्यूशन बोर्ड के एक अधिकारी ने बताया कि इसके कारण नर्सिग होम धनी आबादी के बीच इनफेक्शन और बीमारी फैल सकती है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए बोर्ड ने इनके उपर कड़ी कार्रवाई की थी और अब आगे भी ऐसे डिफाल्टरों पर नजर रखी जा रही है।

नहीं मिलेगा अधिक समय

डॉ अशोक घोष ने बताया कि नर्रि्सग होम चलाने वाले बोर्ड से मेडिकल वेस्ट के अनुपालन करने के लिए अधिक से अधिक समय की मांग कर रहे हैं। सभी नर्सिग होम को पत्र लिखकर यह स्पष्ट कर दिया गया है कि अधिकतम एक से तीन माह का समय ही दिया जा सकता है। बोर्ड का कहना है जब नर्सिग होम शुरू होता है तभी से मेडिकल वेस्ट के डिस्पोजल की व्यवस्था होनी चाहिए।

पटना में ही बुरा हाल

यदि नर्सिग होम के द्वारा मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट के तरीके को देखे तो पता चलता है कि इस मामले को नर्सिग होम गंभीरता से नहीं लेते हैं। पटना में न्यू बाईपास पर सैंकड़ों की संख्या में खुले हुए नर्सिग होम है। कई तो घनी आबादी के बीच में चलते हैं। ऑपरेशन, इम्पलांट और इलाज के दौरान बचे वेस्ट के कारण कम मात्रा में प्रदूषण भी घातक साबित हो सकता है। पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की जांच में पहले यह पाया गया है कि मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट के लिए जिन बातों का गंभीरता से पालन होना चाहिए, वह अधिकांश मामलों में नहीं किया जाता है।

कोट

प्रदूषण एक गंभीर मामला है। इस मामले में बहुत अधिक समय नहीं दिया जा सकता है। नर्सिग होम और हॉस्पिटलों के लिए वेस्ट मैनेजमेंट के कम्पलाइंस एक ही है। उसका नियमानुसार मैनेजमेंट तय गाइडलाइन के मुताबिक होना चाहिए।

- डॉ अशोक घोष, चेयरमैन बिहार स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड

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सरकार को गंभीरता से विचार करते हुए छोटे नर्सिग होम को मौका मिलना चाहिए। क्योंकि वे प्रदूषण से निपटने के लिए महंगी मशीने नहीं लगा सकते हैं। मेडिकल वेस्ट के उठाव की भी व्यवस्था मिले तो बेहतर होगा।

- रंजीत कुमार कार्यकारी महासचिव बिहार स्वास्थ्य सेवा संघ

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3 माह पहले ही हुई थी कार्रवाई

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अस्पताल और मेडिकल संस्थानों को बंद करने का दिया गया था आदेश।

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सरकारी और प्राइवेट हॉस्पीटल और संस्थान के खिलाफ जारी किया गया था नोटिस।

-73

डेंटल क्लीनिक को बंद करने के लिए सिविल सर्जन को लिखा गया था लेटर।

-74

पैथोलॉजी और डायग्नोस्टिक सेंटर को भी बंद करने का जारी किया गया था आदेश।

Posted By: Inextlive