RANCHI: रांची की आबोहवा जानलेवा होती जा रही है। शहर के लोग हर दिन हवा में घुले जहर को सोख रहे हैं। राजधानी में एयर से लेकर साउंड पाल्यूशन तक लोगों की उम्र घटा रहे हैं। मामले को लेकर राज्य सरकार और प्रदूषण कंट्रोल विभाग दोनों ने 655.5 करोड़ का एक्शन प्लान बनाया, लेकिन सारा प्लान ही फेल हो गया। इस प्लान को भारत सरकार ने भी स्वीकृति दी। प्लान में कई ऐसे उपाय बताए गए थे, जिससे बढ़ रहे प्रदूषण पर अंकुश पाया जा सकता था। लेकिन प्लान के अनुसार कोई काम नहीं हुआ। करोड़ों का यह प्लान पूरी तरह फेल होकर रह गया।

पाल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने भी स्वीकारा

पाल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने खुद माना है कि झारखंड में मौजूद 80 उद्योग सबसे अधिक प्रदूषित हैं। इसमें कॉस्टिक सोडा की एक, 18 थर्मल पावर प्लांट, एक डिस्टलरी, तीन आयरन स्टील प्लांट, 48 स्पंज आयरन इंडस्ट्रीज, छह सीमेंट फैक्ट्री और दो कॉपर इंडस्ट्रीड शामिल हैं। बावजूद इसके इन उद्योगों को कन्सेंट टू ऑपरेट दिया गया है।

हाईकोर्ट ने जारी किया है नोटिस

झारखंड के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड पर हाईकोर्ट के आदेश का भी असर नहीं होता। हाईकोर्ट ने झारखंड सरकार समेत 26 कंपनियों को नोटिस भेजा था। जिसमें प्रदूषण फैलाने वाली 26 कंपनियां शामिल हैं। जिसमें एमएस जिंदल स्टील एंड पॉवर लिमिटेड, बिहार फॉउंडरी एंड कॉस्टिंग लिमिटेड, गौतम फेरा अलॉइस यूनिट फाउंडरी एंड कास्टिंग लिमिटेड, मां छिन्नमस्तिका स्पोंज आयरन लिमिटेड, झारखंड इस्पात लिमिटेड, अनिंदिता स्टील लिमिटेड, आलोक स्टील इंडस्ट्रीज, रामगढ़ स्पंज आयरन, श्रीराम पॉवर एंड स्टील, वेंकटेश आयरन एंड अलोया इंडिया लिमिटेड, चितपुरी स्पंज आयरन लिमिटेड दुर्गा पॉवर स्पंज आयरन लिमिटेड, विशाल स्पंज आयरन लिमिटेड, ब्रहमपुत्र मेटालिक लिमिटेड, कोलकाता कारबाइड प्राइवेट लिमिटेड, दयाल फरो अलोया यूनिट और पीएलआर आउटसोसिंर्ग कंपनी रामगढ़ शामिल हैं।

लोगों की जिंदगी के पांच साल कम

झारखंड में बढ़ते प्रदूषण ने यहां के लोगों की उम्र औसतन साढ़े चार साल तक कम कर दी है। सबसे ज्यादा गोड्डा में लोगों की उम्र पांच साल तक घटी है। वहीं रांची सहित 17 जिलों में लोगों की करीब चार साल उम्र कम हुई है। लोग ज्यादा बीमार हो रहे हैं। यह दावा शिकागो यूनिवर्सिटी की शोध संस्था एनर्जी पॉलिसी इंस्टीट्यूट एट द यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो (ईपीआईसी) ने प्रदूषण के असर के विश्लेषण के जरिए किया है।

चार जोन में बंटी है रांची

स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने जांच के लिए शहर को चार जोन में बांटा था। झारखंड हाईकोर्ट एरिया में सामान्य से 50 से 45 डेसिबल, अलबर्ट एक्का चौक पर 65 से 55, कचहरी चौक पर 65 से 55 और अशोकनगर में 55 से 45 डेसिबल ध्वनि प्रदूषण होना चाहिए। वहीं रांची में ध्वनि प्रदूषण 84 डेसिबल रिकॉर्ड किया गया। सबसे ज्यादा ध्वनि प्रदूषण शहर के रिहायशी इलाकों में पाया जा रहा है।

वायु प्रदूषण का स्तर भी हुआ दोगुना

ध्वनि प्रदूषण के साथ वायु प्रदूषण का स्तर भी बढ़ रहा है। रात 10 बजे से सुबह 6 बजे के बीच पीएम-10 मानक से छह गुना (671) अधिक हो जा रहा है। सामान्य तौर पर यह 100 (क्यूबिक प्रति मीटर) होना चाहिए। पीएम-2.5 (धूल के छोटे कण) भी सामान्य से दोगुने स्तर तक पहुंच जा रहे हैं। दिन के 2 बजे से रात 10 बजे की अवधि में पीएम-10 का स्तर 275.96 (क्यूबिक प्रति मीटर) रिकॉर्ड किये जा चुके हैं। 24 घंटे में पीएम 2.5 का स्तर भी सामान्य स्तर (60) से बढ़कर 117 क्यूबिक प्रतिमीटर दर्ज किया गए हैं।

Posted By: Inextlive