- हार्मफुल गैसेज ने बढ़ाई दमा और अस्थमा मरीजों की परेशानी

- 20 माइक्रोग्राम घन मीटर बढ़ा एक्युआई

- 182 एक्युआई के साथ एयर क्वालिटी हुई खराब

GORAKHPUR: गोरखपुराइट्स की आबो-हवा 24 घंटे में खतरनाक हो गई। दिवाली के मौके पर जमकर आतिशबाजी हुई, तो वहीं खूब गाडि़यां भी दौड़ी, जिसकी वजह से एयर क्वालिटी इनडेक्स में काफी उछाल देखने को मिला। डीडीएमए की ओर से जारी रिकॉर्ड पर नजर डालें तो सिर्फ एक दिन में गोरखपुर का एयर क्वालिटी इनडेक्स 20 माइक्रोग्राम घन मीटर ऊपर पहुंच गया। इसकी वजह से 29 अक्टूबर की दोपहर तक गोरखपुर का एक्युआई 182 घनमीटर रिकॉर्ड किया गया। इससे 24 घंटे में ही गोरखपुर का पॉल्युशन तीन गुना बढ़ गया। एक्सप‌र्ट्स की मानें तो हेल्थ से जुड़े लोगों को इससे काफी मुश्किल भी हो रही है और सतह पर नमी होने की वजह से मुसीबत और भी बढ़ गई है।

बेहतर नहीं हो पा रहा पॉल्युशन लेवल

इस साल गोरखपुर में पॉल्युशन की कंडीशन बेहतर ही नहीं हो सकी है। कॉमर्शियल एरिया हो, रेसिडेंशियल या फिर इंडस्ट्रियल, सभी इलाकों में एयरक्वालिटी इनडेक्स या तो मॉडरेट जोन में रहा है या फिर उसकी क्वालिटी पुअर हो गई है। गोरखपुर में गाडि़यां बढ़ रही हैं और साथ ही पॉल्युशन लेवल भी इनक्रीज हो रहा है, जिससे लोगों का दम फूलने लगा है। बीते सालों में ऐसा पहली बार हुआ है जब गोरखपुर का एटमॉस्फियर करीब दस माह बीतने के बाद भी ग्रीन जोन तक नहीं पहुंचा है। वजह जो भी हो, लेकिन गोरखपुर के लोगों के लिए यह बिल्कुल ठीक नहीं है। अगर यही हाल रहा, तो हम सांस, दमा और अस्थमा के मरीज होंगे और जिंदगी भी दूभर हो जाएगी।

तेजी से बढ़ा है पीएम 10

पॉल्युशन का ग्राफ पिछली बार की तुलना में काफी ऊपर आया है। मगर सिर्फ सितंबर की बात की जाए, तो इस दौरान भी पॉल्युशन में दिन ब दिन उछाल देखने को मिल रहा है। पॉल्युशन की मॉनीटरिंग करने वाले साइंटिफिक असिस्टेंट सत्येंद्र यादव ने बताया कि इस माह में अब तक सात बार रीडिंग ली गई है, जिसमें हर बार पॉल्युशन लेवल इनक्रीज हुआ है। इसमें सबसे ज्यादा खतरनाक आरएसपीएम -10 है, जो लगातार डेंजर लेवल की तरफ बढ़ रहा है। अब ठंड आने वाली है, जिससे फॉग हो जाएगा और पॉल्युटेंट ऊपर नहीं जा पाएंगे, ऐसे में पॉल्युशन का ग्राफ और ऊपर बढ़ना तय है। यानि कि आने वाले महीनों में भी एयर क्वालिटी इंडेक्स नीचे नहीं आएगा और पूरे साल में पॉल्युशन लेवल ग्रीन जोन में नहीं पहुंच सकेगा।

लिमिट क्रॉस अब मुश्किलें बढ़ी

एक्सप‌र्ट्स की मानें तो हवा में मौजूद ऑक्सीजन को हम इनहेल करते हैं, जिससे हमारी सांसे चलती हैं। इसमें तरह-तरह के पॉल्युटेंट मौजूद होते हैं। इसमें एक लिमिट तक तो प्रॉब्लम नहीं होती, लेकिन जैसे ही लिमिट क्रॉस होती है, मुश्किलें बढ़ने लगती हैं। एयर क्वालिटी इनडेक्स (एक्युआई)इसी का मानक है। इसमें अगर किसी जगह का एक्युआई 50 या उससे कम है, तो इसका काफी थोड़ा असर ह्यूमन बींग पर पड़ता है, लेकिन जैसे-जैसे एक्युआई बढ़ता है, मुसीबत भी बढ़ जाती है।

जुलाई 2019

कैटेगरी - पीएम -10 एक्युआई

आवासीय 153.00 135

कॉमर्शियल 263.51 214

इंडस्ट्रियल 288.89 239

अगस्त 2019

कैटेगरी - पीएम -10 एक्युआई

आवासीय 152.32 135

कॉमर्शियल 276.67 227

इंडस्ट्रियल 322.24 272

सितंबर 2019

कैटेगरी - पीएम -10 एक्युआई

आवासीय 149.85 133

कॉमर्शियल 273.75 224

इंडस्ट्रियल 321.14 271

बॉक्स -

डस्ट बढ़ा सकती है परेशानी

एटमॉस्फियर में म्वॉयश्चर होने की डस्ट पार्टिकिल्स आसमान में नहीं जा पा रहे हैं। वहीं लगातार पॉल्युटेंट की मात्रा बढ़ने से मुसीबत भी बढ़ती ही जा रही है। पीएम 10 की बात करें तो इसमें शामिल छोटे-छोटे डस्ट पार्टिकिल्स सांस की नली के रास्ते बॉडी में आसानी से एंट्री कर जाते हैं, जिससे लोगों को दमा और अस्थमा जैसी प्रॉब्लम जकड़ सकती है। वहीं अगर घर में कोई प्रेग्नेंट लेडी है, तो इस बात का खास ध्यान रखना होगा कि डस्ट कम से कम उड़े, जिससे प्रेग्नेंट लेडी के साथ ही होने वाले बच्चे को भी कम परेशानी हो।

पॉल्युटेंट का लेवल अब बढ़ने लगा है। सर्दी के मौसम में यह ज्यादा हो जाता है। इसलिए अब जितना पॉसिबल हो सके, पॉल्युशन कम फैलाएं और बजाए पॉल्युशन का उपाय करने के फोकस इस बात पर हो कि पॉल्युशन कैसे न फैले? तभी इस प्रॉब्लम से बचा जा सकता है। आने वाले महीने इस लिहाज से काफी सेंसिटिव हैं।

- डॉ। गोविंद पांडेय, एनवायर्नमेंटलिस्ट

Posted By: Inextlive