- लखनऊ के पाल्यूशन कंट्रोल बोर्ड से नहीं मिली पॉलीथिन के लिए एनओसी

आगरा। जहर उगलती पॉलीथिन की फैक्ट्रियां अब तक अवैध रूप से संचालित हो रही थीं। उन्हें प्रदेश के पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड से एनओसी नहीं मिली थी। इस बीच करोड़ों टन पॉलीथिन का निर्माण हुआ और खुलेआम जहर का प्रयोग होता रहा। वहीं जिम्मेदार प्रशासन आंख बंद करके बैठा रहा।

10 हजार मीट्रिक टन खपत

शहर पॉलीथिन की बड़ी मंडी हैं। यहां हर साल 10 हजार मीट्रिक टन पॉलीथिन की खपत होती हैं। इसके लिए फैक्ट्रियों से हर रोज लाखों टन पॉलीथिन तैयार की गई और बाजारों में बेची गई। इन फैक्ट्रियों को संचालित करने के लिए एनओसी की जरूरत होती थी, लेकिन बिना परमीशन ही उत्पादन किया गया। सालोंसाल पॉलीथिन का जहर बाजार में बेचा गया। इस बीच करोड़ों मीट्रिक टन पॉलीथिन प्रदूषण फैला रही है। खासबात यह है कि अधिकारियों ने इस बीच एक भी फैक्ट्री पर कार्रवाई नहीं की। प्रदेश के मुखिया के आदेश के बाद पॉलीथिन रोकने पर जद्दोजहद शुरू की गई है। फिर भी फैक्ट्रियों तक पहुंच अब तक दूर बनी हुई है। शहर में हजारों टन पॉलीथिन मौजूद है। फैक्ट्री, होलसेलर, दुकानदार सभी के पास पॉलीथिन का बड़ा स्टॉक पड़ा है। वे अब भी ग्राहकों को पॉलीथिन दे रहे हैं, पर कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति ही की जा रही है। पालीथिन अब भी जहर उगल रही है।

13 फैक्ट्री कराई गई थी बंद

पिछली सरकार में पॉलीथिन बनाने वाली फैक्ट्रियों पर बड़ी कार्रवाई की गई थी। जहर उगलने वाली 13 फैक्ट्रियों को बंद किया। एक भी फैक्ट्री को एनओसी नहीं दी गई। पॉलीथिन रोकने को लेकर बड़ा अभियान भी चलाया गया।

चोरी छिपे संचालित फैक्ट्रियां

शहर के साथ जिलेभर के अलग-अलग इलाकों में चोरी छिपे फैक्ट्रियां संचालित हो रही हैं। यहां तक की गांवों में फैक्ट्रियां खोल दी गई, जहां पालीथिन बनाई जा रही हैं। इन पर प्रशासन पहुंच नहीं पा रही है।

लाखों किलो माल डंप

जिले में पालीथिन की खपत हजारों किलो में हैं। यही कारण है कि बंद के आदेश के बाद भी पॉलीथिन का बड़ा माल बाजार में पड़ा हुआ है। रविवार को पूरी तरह से 50 माइक्रान की पॉलीथिन प्रतिबंधित होने के बावजूद अधिकांश दुकानों में हैं। गोदामों और होलसेल में अब तक लगभग 5 लाख किलोग्राम माल डंप पड़ा हुआ है। इसे पालीथिन के व्यापारी निकालने की जुगाड़ में हैं।

Posted By: Inextlive