-सिंगल यूज वाली पॉलीथिन पर लगा बैन, स्टेशन और रनिंग ट्रेन में भी रहेगी रोक

-चलती ट्रेंस में क्लीनिंग स्टाफ आकर कलेक्ट करेंगे बॉटल और प्लास्टिक वेस्ट

GORAKHPUR: पॉलीथिन लेकर सफर करना अब मुसीबत का सबब बन सकता है। रेलवे एडमिनिस्ट्रेशन एनवायर्नमेंट को बचाने के लिए पॉलीथिन फ्री कैंपस की मुहिम छेड़ी है। इसके तहत अब स्टेशन कैंपस और चलती ट्रेंस में सिंगल यूज वाली पॉलीथिन पर बैन रहेगा। अगर कोई पैसेंजर पॉलीथिन में सामान लेकर चलने की सोच रहा है, तो वह अपने इस आइडिया को ड्रॉप कर दे और अब बायो डिग्रेडेबल बैग्स या कंटेनर लेकर ही सफर के लिए निकले। फिलहाल रेलवे ने इसको सख्ती के साथ लागू करने की तैयारी की है। नियम तोड़ने वालों पर सख्त कार्रवाई करने के साथ उनके जुर्माना भी वसूल किया जाएगा। एनई रेलवे के सभी डिवीजन में इसे लागू कर दिया गया है।

जंक्शन पर हाेगी निगरानी

दुनिया के सबसे बड़े प्लेटफॉर्म का तमगा हासिल करने वाले जंक्शन को साफ-सुथरा और पॉलीथिन फ्री बनाने के लिए रेलवे ने कमर कस ली है। अब जंक्शन पर पॉलीथिन के इस्तेमाल पर बैन लगाने के साथ जिम्मेदारों को इसकी मॉनीटरिंग की जिम्मेदारी सौंपी जा रही है। जो पैसेंजर्स पॉलीथिन का इस्तेमाल करते मिलेगा, उसके खिलाफ कार्रवाई भी की जा सकती है। वहीं, सफाईकर्मियों को भी इस बात के लिए निर्देशित किया गया है कि जंक्शन पर अगर कोई पॉलीथिन या इसके मैटेरियल्स मिलें, तो इसे तत्काल डिस्पोज करें।

चलती ट्रेंस में भी व्यवस्था

जंक्शन के साथ ही चलती ट्रेंस में भी सिंगल यूज वाली पॉलीथिन पर रोक रहेगी। प्लास्टिक के साथ ही खाने के लिए इस्तेमाल होने वाले थर्माकोल के प्लेट, ग्लास और सामान भी लोग नहीं ले जा सकेंगे। पैसेंजर्स वॉटर बॉटल का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसको भी इधर-उधर न फेंक दिया जाए, इसके लिए जिम्मेदारों ने ट्रेन में चलने वाले सफाई-कर्मचारियों को यह जिम्मा सौंपा है कि अगर उन्हें खाली बॉटल नजर आए, उसे तत्काल वहां से हटाएं और इसको प्रॉपर डिस्पोज करने के लिए इसे बॉटर क्रशर मशीन में डालें।

गोरखपुर में लगी है बॉटल क्रशर

गोरखपुर की बात करें तो यहां जुलाई 2018 में रेलवे स्टेशन पर तीन 'बॉटल क्रशिंग मशीन' लगाई गई। प्लास्टिक की बोतलें डिस्पोज कर रही थीं। मगर पैसेंजर्स की उदासीनता की वजह से यह मशीनें स्टेशन के कोने में धूल फांक रही हैं। आम यात्री मशीन को कूड़ादान समझकर खाली प्लास्टिक की बोतलों की जगह खाने-पीने का सामान और अन्य कचरा डाल देते थे। वहीं, जिम्मेदारों ने भी लोगों को उस तरह से अवेयर नहीं किया, जैसा उन्हें करना चाहिए। इसकी वजह से इधर-उधर बॉटल पड़ी नजर आ जाती हैं, जिसे देखने पर सफाई कर्मी उसे डिस्पोज करते हैं।

न चोक होंगी नालियां, न ठगे जाएंगे पैसेंजर

पैसेंजर्स को पानी पीने के बाद बोतलों को बोगियों में छोड़ देते हैं या प्लेटफार्मो पर ही फेंक देते हैं। अवैध वेंडर इन बोतलों में फिर से पानी भरकर पैसेंजर्स को बेचते हैं। गोरखपुर के प्लेटफॉर्म पांच से आठ तक यह धंधा जोरों पर है। अन्य स्टेशनों की भी यही स्थिति है। इसके अलावा कचरा उठाने वाले इन बोतलों के लिए रेल लाइनों पर दौड़ते रहते हैं। गंदगी तो फैलती ही है, स्टेशन पर संदिग्ध लोगों के घुसने की आशंका बनी रहती है। यही नहीं प्लास्टिक की बोतलों से नालियां भी चोक होती रहती हैं। बारिश के वक्त हर पल जल जमाव की आशंका बनी रहती है। अगर बॉटल का टाइमली और प्रॉपर डिस्पोजल हो जाएगा, तो इन चीजों की संभावना भी कम हो जाएगी।

इन चीजों पर बैन

प्लास्टिक ट्राउन

प्लेट

ग्लास

कैरीबैग

बॉक्स -

खुद करेंगे पहल

रेलवे के जिम्मेदारों ने पॉलीथिन पर बैन सिर्फ लोगों के लिए ही नहीं, बल्कि अपने लिए भी लगाया है। अब रेलवे की होने वाली सभी डिपार्टमेंटल मीटिंग में भी प्लास्टिक और थर्माकोल के सामान से परहेज रहेगा। वहीं, अब पैकेज्ड ड्रिंकिंग वॉटर की जगह ऑफिसर्स आरओ के पानी का इस्तेमाल करेंगे। इससे प्लास्टिक यूज में कमी आएगी और इसके डिस्पोजल की टेंशन से आजादी मिलेगी। साथ ही रेलवे अब टोटियों में भी आरओ के वॉटर की सप्लाई करने का प्लान बना चुका है। जल्द सभी को टोटियों से भी आरओ का पानी पीने का मौका मिलेगा।

वर्जन

सिंगल यूज होने वाली पॉलीथिन पर बोर्ड के निर्देश पर बैन लगाया गया है। ग्लास, प्लेट और कैरीबैग का इस्तेमाल नहीं होगा। चलती ट्रेंस में भी इसके प्रॉपर डिस्पोजल की तैयारी की जा रही है।

- पंकज कुमार सिंह, सीपीआरओ, एनई रेलवे

Posted By: Inextlive