- केरल के पुट्टींगल मंदिर में आग से 300 लोगों की मौत के आई नेक्स्ट ने शहर के मंदिरों का किया रियलिटी चेक

- मंदिरों में उमड़ रही भीड़ के मुताबिक नहीं हैं सुरक्षा इंतजाम, आने-जाने के रास्ते बेहद संकरे

- प्रसाद और मेला दुकानदारों ने कर रखा है मंदिर प्रांगड के अंदर तक कब्जा, नंगे तारों पर सजावट

KANPUR : केरल के पुट्टींगल मंदिर में आतिशबाजी से लगी आग में करीब 100 लोगों की मौत हो गई और 300 से ज्यादा श्रद्धालु गंभीर घायल हो गए। इस घटना के बाद नवरात्र के दिनों में सिटी के दो महत्वपूर्ण मंदिर बाराहदेवी व तपेश्वरी देवी मंदिर में आई नेक्स्ट ने रियलिटी चेक किया तो यहां भी हालात चिंताजनक दिखे। भीड़ को संभालने के लिए पुलिस तो दिखी लेकिन अन्य इंतजामों में प्रशासन ने अनदेखी कर रखी है।

बाराहदेवी मंदिर

सबसे पहले हाल देखते हैं शहर के दक्षिण क्षेत्र के बाराहदेवी मंदिर की ओर। यहां शहर के अलावा आसपास के जिलों से भी श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। मंदिर के करीब आधा किलोमीटर दूर से ही भीड़ का रेला चला आ रहा है। मंदिर के मुख्य द्वार के पहले पुलिस ने बैरियर लगा रखा है, जिससे एक-एक करके ही लोग आ जा सकते हैं। हालांकि बैरियर के अगल-बगल का हिस्सा खुला होने से वहां से भी लोगों का आना-जाना जारी दिखा। बैरियर के पास कोई मेटल डिटेक्टर नहीं है, जिससे कोई भी आसानी से किसी भी तरह का आग्नेय अस्त्र लेकर मंदिर परिसर के अंदर जा सकता है।

भगदड़ मची तो क्या होगा?

मंदिर के द्वार में घुसते ही दोनों तरफ दुकाने लगी हुई हैं और बीच में ठेले भी खड़े होने से रास्ता बहुत संकरा हो गया है। अगर जरा भी भगदड़ मचेगी तो यहां से भागने के चक्कर में हादसा हो सकता है। यही नहीं मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार में दर्शनाथियों की भारी भीड़ धक्कामुक्की करती हुई आगे बढ़ती दिखी। मेटल डिटेक्टर लगा जरूर है लेकिन उसमें से गुजरकर कोई भक्त नहीं जाते दिखा।

लाइटिंग के लिए नंगे तार दौड़ाए

मंदिर प्रांगण में मेला भी लगा है। जिसमें लगे कई झूले जनरेटर से चलाए जा रहे हैं। अगर एक चिंगारी निकल कर किसी तंबू कनात से लगाई गई दुकान पर गिर पड़े, तो पूरे मेले में लगी दुकानों को आग से बचाना मुश्किल हो जाएगा। इसके अलावा मेले में दुकानों में लाइटिंग के लिए जो तार दौड़ाए गए हैं। वह भी पूरी तरह से असुरक्षित हैं। उनके भी टूट कर गिरने का खतरा मंडरा रहा है। सबसे खास यह कि मंदिर के आसपास कहीं कोई आग बुझाने का इंतजाम नहीं दिखा। यहां तक कि दमकल भी नहीं खड़ी है। अगर आग लगी तो फायर ब्रिगेड के आने तक हालात भयानक हो जाना तय है।

तपेश्वरी मंदिर, बिरहाना रोड

आस्था की बात करें तो माता के मंदिरों में बिरहाना रोड स्थित तपेश्वरी देवी शहर का सबसे खास मंदिर है। नवरात्र पर यहंालाखों श्रद्धालुओं का आना-जाना होता है। यहां तो मंदिर के द्वार के पहले एक बेहद पतली गली से गुजरना पड़ता है। यह गली इतनी पतली है कि एक-एक करके ही लोग निकल सकते हैं। अंदर मंदिर प्रांगण में चारों तरफ प्रसाद के दुकानदारों ने अपनी दुकानें फैला कर लगा रखी हैं। इससे मंदिर की ओर जाने वाला रास्ता बहुत संकरा हो गया है। लोग एक दूसरे से धक्का-मुक्की करते हुए आगे बढ़ते हैं। ऐसे में जरा सी भी अफवाह भगदड़ का कारण बन सकती है। मंदिर के अदर पुलिस के जवान भक्तों को आगे बढ़ाते नजर आए। बाहर पुलिस चौकी भी बनाई गई है। जहां हर समय एनाउंसमेंट कर भक्तों को सचेत किया जा रहा है।

फायर विभाग की लापरवाही

बाराह देवी मंदिर की तरह यहां भी पारम्परिक मेला लगता है। इस मेले में करीब 150-200 दुकानें लगती है। साड़ी, कपड़ा के अलावा बहुत सा ऐसा सामान इन दुकानों पर लगा है जो बेहद ज्वलनशील है। इन दुकानों में लाइटें जलाने के लिए जो तार लगाए गए हों। उनके टूटने का खतरा नजर आ रहा है। दुकानों के अंदर भी जुगाड़ टेक्नालॉजी से तार बांध कर लाइटें जलाई जा रही है। अगर शॉर्ट सर्किट हो जाए तो सारी दुकानों को स्वाहा होने में ज्यादा देर नहीं लगेगी। इन दुकानों को फायर विभाग ने भी चेक नहीं किया है।

Posted By: Inextlive