- दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने आबादी का बम और हम अभियान के तहत जानी लोगों की राय

दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने आबादी का बम और हम अभियान के तहत जानी लोगों की राय

BAREILLY:

BAREILLY:

तेजी से बढ़ती आबादी अनेक समस्याओं को जन्म दे रही है। इन समस्याओं के पीछे कोई न कोई वैज्ञानिक कारण भी है। बढ़ती आबादी का सबसे बड़ा प्रभाव पर्यावरण पर पड़ रहा है। जिससे जीवन संबंधी अनेक समस्याएं जन्म ले रही हैं। प्राकृतिक संसाधनों का दोहन, स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं, गरीबी व बेकारी, नैतिक मूल्यों का पतन और क्राइम में इजाफा बढ़ती आबादी की ही देन हैं। जनसंख्या विस्फोट से हो रहे घातक असर को कम किए जाने के लिए क्या उपाय किए जाने चाहिए इन्हीं मुद्दों पर दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने 'आबादी का बम और हम' अभियान के तहत एक्सपर्ट से बात की। क्या है उनका सुझाव आइए जानते हैं

शिक्षा का प्रसार - 80 प्रतिशत जनसंख्या गांवों में निवास करती है। जनसंख्या में वृद्धि देश के लिए अभिशाप बनती जा रही है। गरीबी, बेरोजगारी तथा महंगाई आदि समस्यायें दिनों दिन बढ़ती जा रही हैं। गांवों में शिक्षा की कमी और अज्ञानता के कारण तथा नगरों में गंदी बस्तियों के लोगों में शिक्षा की कमी के कारण जनसंख्या नियंत्रण का कोई भी कार्यक्रम सफल नहीं हो पा रहा है।

परिवार नियोजन - जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए परिवार नियोजन के विभिन्न कार्यक्रम का प्रचार-प्रसार अति आवश्यक है। परिवार नियोजन कार्यक्रम को जन आंदोलन का रूप दिया जाना चाहिए।

विवाह की आयु में वृद्धि करना - हमारे देश में आज भी बाल विवाह की प्रथा है। अत: बाल विवाह पर कारगर कानूनी रोक लगायी जानी चाहिए। साथ ही लड़के-लड़कियों की विवाह की उम्र भी बढ़ाई जानी चाहिए।

संतानोत्पत्ति की सीमा निर्धारण - परिवार, समाज और राष्ट्र के हित में संतान की सीमा निर्धारण करना अति आवश्यक है। जनसंख्या विस्फोट से बचने के लिए प्रत्येक दम्पत्ति के संतानों की संख्या क् या ख् करना अति आवश्यक है। चीन में इसी उपाय को अपनाकर जनसंख्या वृद्धि में नियंत्रण पा ि1लया गया है।

सामाजिक सुरक्षा- हमारे देश में वृद्धावस्था, बेकारी अथवा दुर्घटना से सुरक्षा न होने के कारण लोग बड़े परिवार की इच्छा रखते हैं। यहां सामाजिक सुरक्षा के कार्यक्रमों में बेरोजगारी भत्ता, वृद्धावस्था, पेंशन वृद्धा-आश्रम चलाकर लोगों में सुरक्षा की भावना जाग्रत की जाए।

सन्तति सुधार कार्यक्रम - जनसंख्या की वृद्धि को रोकने के लिए सन्तति सुधार कार्यक्रम को भी अपनाया जाना चाहिए। संक्रामक रोगों से ग्रस्त व्यक्तियों के विवाह और सन्तानोत्पत्ति पर प्रतिबंध लगाया जाये।

जीवन स्तर को ऊंचा उठाने का प्रयास - देश में कृषि व औद्योगिक उत्पादन को बढ़ाकर लोगों के जीवन स्तर को ऊंचा उठाने के प्रयास किये जाने चाहिए। जीवन स्तर के ऊंचा उठ जाने पर लोग स्वयं ही छोटे परिवार के महत्व को समझने लग जायेंगे।

स्त्री मनोरंजन का साधन नहीं - नागरिकों की कार्यकुशलता एवं आर्थिक उत्पादन की क्षमता को बनाये रखने के लिए सार्वजनिक व घरेलू स्वास्थ्य सुविधा एवं सफाई पर ध्यान देना आवश्यक है। डाक्टर, नर्स एवं परिचारिकाओं आदि की संख्या में वृद्धि किया जाना चाहिए। इस बात का विशेष ध्यान रखा जाये कि गांवों में स्त्री पुरुषों के लिए एकमात्र मनोरंजन का साधन न रहे।

यौन शिक्षा - समाज में यौन संबंधों को छिपाने की चीज समझा जाता है। लोग यौन संबंधी बातें तथा उससे जुड़ी समस्याओं पर खुलकर बातें करने से कतराते हैं। यौन संबंधी जानकारी न होने के कारण लोग असमय तथा अधिक बच्चे पैदा करते हैं। यौन संबंधी जानकारी से जनसंख्या वृद्धि को रोकने में सहायता मिल सकती है।

जन संपर्क - स्वयंसेवी संगठन लोगों के बीच जाकर उनसे बातचीत कर जनसंख्या वृद्धि से उत्पन्न समस्याओं की जानकारी देते हैं। उन्हें नुक्कड़ नाटक, सांस्कृतिक कार्यक्रम के जरिए अवेयर कर सकते हैं। समाचार पत्र-पत्रिकाएं इसमे अहम रोल अदा कर सकते हैं।

बढ़ती आबादी से मानव निर्मित ही नहीं बल्कि, प्राकृतिक संसाधन भी घटते जा रहे हैं। आबादी पर रोक लगाने के लिए लोगों का अवेयर होना बेहद जरूरी है।

अनुराधा गोयल, प्रोफेसर, सोशियोलॉजी, बीसीबी

मानसिक, इकोनॉमी तरीके से हम आगे नहीं बढ़ पाएंगे। एडवांस कंट्री की तरह आगे बढ़ने पर मुश्किलें आएंगी। प्रत्येक व्यक्ति तक पर्याप्त सुविधाएं मुहैया कराने में दिक्कतें आएंगी। रोकने के लिए एजुकेटेड होने आवश्यक है।

हेमा खन्ना, साइकोलॉजिस्ट

समाज के प्रत्येक वर्ग को शिक्षित करने की जरूरत है। जो लोग भगवान की देन समझ कर बच्चे पैदा करते रहते हैं, उन्हें खासकर अवेयर करने की जरूरत है।

अरुण अग्रवाल, एडवोकेट

Posted By: Inextlive