RANCHI: वो अपनी समाधियों से उठकर नहीं आएंगे जो परंपराओं के नाम पर कौरव स्वरूप विचारों का समावेश मानव जाति के हृदय में कर गए हैं। नव अंकुरित विचारों की अभिव्यक्तियां ब्रम्हांड में यह संदेश दे रही हैं कि स्वस्थ्य रहें, शिक्षित बनें, संसाधनों का जरूरत के हिसाब से उपयोग करें और प्रकृति प्रदत्त सुविधाओं का सरंक्षण करते हुए आगे बढ़ें। सिटी की जनसंख्या 29 लाख के पार हो चली, जो व्यवस्थाओं को प्रतिदिन चुनौतियां दे रही हैं। बौनी व्यवस्था पर जनसंख्या विस्फोट का बढ़ता बोझ नई व्यवस्थाओं को हासिल करने के लिए ऐसी राहें भी चुन रहा है, जो आने वाली पीढि़यों के लिए घातक है। आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए भविष्य के अपराध का ताना-बाना बुनती आबादी वर्तमान पर भरोसा कर भविष्य को गर्त में डाल रही है। सवाल है कि आखिर जनसंख्या विस्फोट को रोकने के लिए वे कौन से महत्वपूर्ण कारक हैं, जिनकी पगडंडियों पर चलकर हम खुशहाल और सर्वसम्पन्न राजधानी के सपनों को साकार कर सकते हैं।

आखिर कैसे होगा नियंत्रण

आज पूरे विश्व के सामने ये यक्ष प्रश्न है कि जनसंख्या विस्फोट को कैसे रोका जाए। बियावान होते गांव अब शहरों में दस्तक दे रहे हैं। जनसंख्या को कंट्रोल करने के लिए सबसे जरूरी है जागरूकता। इसके साथ-साथ सरकार सटीक नीति का निर्धारण करे जो न केवल व्यक्तियों की संख्या की अनियंत्रित वृद्धि पर अंकुश लगाए बल्कि जनसंख्या के अनियंत्रण को भी रोके। शहरी क्षेत्रों में लोगों के बढ़ते हुए घनत्व को रोकने के लिए आवास, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी सुविधाओं को बढ़ाना होगा। साथ ही प्रकृति प्रदत्त संसाधनों के संरक्षण के लिए भी नीतियों को निर्धारण करना होगा ताकि जरूरत के हिसाब से ही उनका उपयोग हो सके।

जनसंख्या नियंत्रण के मुख्य बिन्दु

-परिवार नियोजन कार्यक्रम में नसबंदी पर जरूरत के स्थान पर अन्तराल पद्धति को प्रोत्साहित किया जाए।

-बालिकाओं की विवाह की आयु 21 वर्ष की जाए

-तेजी से आर्थिक विकास पर जोर

-गैर सरकारी संगठनों के माध्यम से जागरूकता अभियान।

-नए गर्भ-निरोधकों की तलाश

-प्रजनन दर कम की जाए

-कन्या शिक्षा के लिए प्राथमिकता पर जोर

क्या कहते हैं विशेषज्ञ

हम दो हमारा एक की नीति अपनाएं: नितिश प्रियदर्शी

विख्यात भूगर्भ शास्त्री डॉ नितिश प्रियदर्शी का कहना है कि जिस तरह से आबादी बढ़ रही है, उससे दस गुना ज्यादा बोझ पृथ्वी के रिसोर्स पर पड़ रहा है। भारत एक ऐसा देश है जहां कम उम्र में ही प्रजनन क्षमता विकसित हो जाती है। वह कहते हैं कि उस कॉन्सेप्ट को याद कीजिए जब हम दो हमारे दो का नारा पूरे देश में दिया जाता था। अब नए कांसेप्ट पर चलना होगा और कहना होगा कि हम दो हमारा एक। लोगों को शिक्षित बनाने के साथ-साथ सभी बिन्दुओं की जानकारी देते हुए जागरूकता कार्यक्रम की जरूरत है। व्यापक प्रचार-प्रसार हो। साथ ही कानून बनाया जाए।

पॉपुलेशन का डिस्ट्रीब्यूशन जरूरी: डॉ रानू कुमार

रांची यूनिवर्सिटी में समाजशास्त्र की एचओडी डॉक्टर रानू कुमार का कहना है कि राजधानी में जिस रफ्तार से जनसंख्या बढ़ रही है, उसके नतीजे भी खतरनाक रूप में सामने आ रहे हैं। उनका कहना है कि आबादी का घनत्व काफी बढ़ा है जिस वजह से समस्याओं ने भी अपनी जगह बना ली है। घनत्व बढ़ने से सफाई नहीं होने पर बीमारियां भी पनप रही हैं। समस्याएं जब होगी तो अपराध को भी जगह मिलेगी। सिटी में अपराध की घटनाओं में भी इजाफा हुआ है, क्योंकि आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं हो रही है। सरकार को गांव में ही रोजगार के रास्ते तलाशने चाहिए, गांव में रोजगारपरक इंडस्ट्री लगानी चाहिए, ताकि लोग गांव में ही अपना जीवनयापन कर सकें। शहर में आबादी का डिस्ट्रीब्यूशन उचित तरीके से हो तो समस्याओं को कम किया जा सकता है।

Posted By: Inextlive