सेना से रिटायर 57 साल के एक अधिकारी सैकड़ों युवाओं को सैन्य बलों में भर्ती के लिए ट्रेनिंग दे रहे हैं। वे जम्मू और कश्मीर में अंतरराष्ट्रीय सीमा के नजदीक शहर में रोजाना दिन में दो बार युवाओं को कड़ा प्रशिक्षण देते हैं।


आरएस पुरा (पीटीआई)। सीमा के नजदीक सचेतगढ़ सेक्टर स्थित सतरायन गांव के निवासी कैप्टन शेर सिंह 2011 से ही स्थानीय युवाओं को सैन्य बलों में भर्ती के लिए 'मिशन ट्रेनिंग' शुरू किया है। वे सेना में 31 सालों तक अपनी सेवा दे चुके हैं। 2011 में सेना से रिटायर होने के बाद वे गांव के युवाओं को सैन्य बलों में भर्ती के लिए जरूरी प्रशिक्षण देते हैं।लिखित परीक्षा के लिए स्कूल शिक्षक भीचार महीनों के लाॅकडाउन अवधि को छोड़ दिया जाए तो उनकी ट्रेनिंग लगातार चल रही है। वे सुबह और शाम को युवाओं को प्रशिक्षण देते हैं। जम्मू जिला प्रशासन ने उनके साथ एक स्कूल शिक्षक को भी लगा रखा है जो युवाओं को सैन्य बलों में भर्ती के लिए होने वाली लिखित परीक्षा की तैयारी में मदद करता है।600 से ज्यादा युवा सैन्य बलों में भर्ती
कैप्टन शेर सिंह 1980 में जम्मू और कश्मीर राइफल्स में भर्ती हुए थे। उनका कहना है कि सीमावर्ती युवाओं की नौकरी के लिए पहली पसंद सेना या अन्य बल हैं। पिछले 9 सालों के दौरान उनके द्वारा प्रशिक्षित 3600 से ज्यादा युवा सैन्य बलों में भर्ती हुए हैं। इनमें दर्जनों लड़कियां भी शामिल हैं।गांव में भटकते रहते थे लक्ष्यहीन युवा


वे एक अनुभवी प्रशिक्षक रहे हैं। सेना में कमांडो ट्रेनिंग सहित उन्होंने कई कोर्स किए हैं। सिंह ने कहा कि जब वे रिटायर होकर गांव आए तो उन्होंने देखा कि युवा बिना लक्ष्य के इधर-उधर भटकते रहते हैं। उनमें से कुछ तो ड्रग्स का भी सेवन करते हैं। उनका कहना था कि हमारे युवा टैलेंटेड हैं और बहुत मेहनती हैं।1000 से ज्यादा युवा लेते हैं प्रशिक्षणउनका कहना था कि उन्हें समय पर सही दिशा मिल जाए तो वे आसानी से सफलता पा लेते हैं। उन्होंने कुछ लड़कों से इसकी शुरुआत की थी। समय बीतने के साथ अब उनके पास 1000 से ज्यादा युवा प्रशिक्षण लेने आते हैं। सिंह ने सेना में उनकी सेवा अवधि की आधी से ज्यादा तैनाती जम्मू-कश्मीर के विभिन्न स्थानों में रही है।केरल में भी दे चुके हैं युवाओं को ट्रेनिंगवे प्रशिक्षु युवाओं के साथ रोजाना 12 किमी दौड़ते हैं। यही उनकी फिटनेस का राज है। कोरोना महामारी के चलते मार्च से उन्होंने प्रशिक्षण बंद कर दिया था। अब जुलाई से दोबारा प्रशिक्षण शुरू कर दिया है। अब वे चार किमी कम दौड़ते हैं। दो साल उनकी तैनाती केरल में भी रही है। वहां अपनी तैनाती के दौरान उन्होंने हजारों युवाओं को रनिंग का प्रशिक्षण दिया था।

Posted By: Satyendra Kumar Singh