RANCHI: राजधानी में ऐसा कोई भी दिन नहीं है, जब लोगों को बिजली कटौती से परेशान ना होना पड़े। सरकार 24 घंटे बिजली देने का दावा करती है, लेकिन कभी भी 24 घंटे बिजली मिली नहीं। आलम ये है कि गर्मी हो या बरसात लोग मौसम से ज्यादा बिजली कटौती से परेशान हैं। जबकि खासकर शहर में रहने वाले उपभोक्ता बढ़े दर के हिसाब से बिजली बिल का भुगतान भी समय पर कर रहे हैं। झारखंड को राज्य बने डेढ़ दशक से ज्यादा समय हो गया, लेकिन बिजली की स्थिति जस की तस बनी हुई है। ऐसे में सवाल उठता है कि राजधानी के लोगों को आखिर अंधेरे से आजादी कब मिलेगी। जबकि फुल सप्लाई का दावा किया जाता है, इसके बावजूद बिजली गुल रहती है।

कमजोर ट्रंासमिशन नेटवर्क

बिजली विभाग का दावा है कि रांची में हर दिन फुल लोड करीब 300 मेगावाट बिजली मिलती है। इतनी बिजली शहर में 24 घंटे के लिए पर्याप्त है। लेकिन लोगों के घरों तक पूरे टाइम बिजली नहीं पहुंचती है। बार-बार कई इलाकों में बिजली कटती रहती है। अधीक्षण अभियंता अजीत कुमार ने बताया कि हर दिन शहर को फु ल लोड बिजली की सप्लाई की जाती है, लेकिन ट्रांसमिशन नेटवर्क कमजोर होने के कारण ग्रिड में बिजली पड़ी रहती है और लोगों को नहीं दे पाते हैं।

अधिकतर सड़कें अंधेरे में

शहर की प्रमुख सड़कों को छोड़कर जो लिंक रोड है और कॉलोनी की दूसरी सड़कें हैं वो अंधेरे में ही रहती हैं। शहर की प्रमुख सड़कों में स्ट्रीट लाइट लगी हैं, लेकिन जो दूसरी कनेक्टिंग सड़क है वहां लाइट नहीं रहती है। पूरी सड़क अंधेरे में रहती है। हालांकि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि सोलर लाइट से स्ट्रीट लाइट जलाई गई हैं। लेकिन अधिकतर सोलर स्ट्रीट लाइट भी खराब रहती हैं।

इंडस्ट्री की हालत खराब

बिजली नहीं रहने के कारण सबसे बुरी स्थिति की माइक्रो स्माल इंडस्ट्री यानी एमएसएमई की है। हालत यह है कि कई लोगों ने बिजली नहीं रहने के कारण इंडस्ट्री बंद कर दी है। झारखंड स्माल स्केल इंडस्ट्रीज जेसिया के सचिव अंजय पचेरीवाल बताते हैं कि बिजली की परेशानी से सबसे अधिक परेशान इंडस्ट्री के लोग हो रहे हैं। छोटे इंडस्ट्री वालों के पास डेडिकेटेड लाइन लेने की कैपासिटी नहीं होती है, और वो बिजली वितरण निगम का जो नेटवर्क है उसी के भरोसे अपनी इंडस्ट्री चलाते हैं। लेकिन मशीन चलते-चलते बीच में ही लाइट चली जाती है। इस कारण इंडस्ट्री वालों को काफ नुकसान उठाना पड़ता है। क्योंकि जो कच्चा माल मशीन के अंदर चलते रहता है वो कंटीन्यूटी में आता है। बीच में लाइट जाने के बाद कच्चा माल जाम हो जाता है। इसके बाद वह बेकार हो जाता है। हाल के दिनों में बहुत सारे इंडस्ट्री बिजली नहीं मिलने के कारण बंद हो चुके हैं।

विभाग के दावे फेल

रांची में बिजली वितरण सिस्टम दुरुस्त करने के लिए चल रही आरपीडीआरपी योजना का हाल बुरा है। काम शुरू होने के 2 वर्ष बीत चुके हैं, अब भी 50 प्रतिशत काम ठीक से पूरा नहीं हो पाया है। अब शेष 50 प्रतिशत काम एजेंसी पॉलीकैब को महज 3 माह में पूरा करना है, जो असंभव है। जिस गति से काम चल रहा है, वैसे में अगले 1 वर्ष में भी इसे पूरा होने की संभावना नहीं है। गौरतलब हो कि आरपीडीआरपी योजना अप्रैल 2016 में इस काम को पॉलीकैब को अलॉट किया गया। धरातल पर काम अगस्त-सितंबर 2017 में शुरू हुआ। मार्च तक बिजली काट कर काम को पूरा करना था, जो नहीं हुआ। अब इसका समय बढ़ाकर अक्टूबर किया गया है।

वर्जन

बिजली आपूर्ति तो हर दिन हो रही है, लेकिन ट्रांसमिशन लाइन ठीक नहीं रहने के कारण बिजली नहीं पहुंच पा रही है। जबकि हर दिन फुल लोड 300 मेगावाट बिजली सप्ला‌ई्र है।

अजीत कुमार, एसई, रांची विद्युत सर्किल

बिजली की स्थिति सही नहीं रहने के कारण कई छोटी कंपनियां बंद हो चुकी हैं। बिजली बिल का सही समय से पेमेंट करते हैं, लेकिन क्वालिटी की बिजली कभी नहीं मिलती है।

अंजय पचेरीवाल, सचिव, जेसिया, रांची

Posted By: Inextlive