मथुरा के एक गांव में बेहद सामान्य शिक्षक और किसान के परिवार में जन्मे पंडित श्रीकांत शर्मा की शुरुआती शिक्षा मथुरा में ही हुई। हर आम युवा की तरह इनके भी कुछ सपने थे हालांकि उस सपने में सियासत की दुनिया तो कतई नहीं थी। ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा की जिम्मेदारियों बिजली विभाग को लेकर उनके विजन और पर्सनल लाइफ समेत कई अहम मसलों पर दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के सीनियर न्यूज एडिटर धर्मेंद्र सिंह ने उनसे विस्तार से बातचीत की...


प्रोफाइलपंडित श्रीकांत शर्माजन्म: 1 जुलाई 1970बर्थ प्लेस: ग्राम गांठोली, जिला-मथुरा, यूपीएजुकेशन: ग्रेजुएट (राजनीति विज्ञान), पीजीडीएवी कॉलेज (दिल्ली विवि)पिता: स्व. श्री राधा रमन शर्मामाता: स्व.  श्रीमती शारदा देवीवाइफ: श्रीमती शालिनी शर्माबच्चे: दो बेटे, शुभम व सार्थकक्रिकेट से भी गहरा लगाव
इंटरमीडिएट पास करने के बाद श्रीकांत शर्मा अपनी आगे की पढ़ाई पूरी करने और मन में पल रहे क्रिकेटर बनने के सपने को हकीकत बनाने की ख्वाहिश लिए पहुंच गए राजधानी दिल्ली। गेजुएशन करने के लिए दिल्ली के पीजीडीएवी कॉलेज में दाखिला ले लिया। लेकिन यहीं से श्रीकांत शर्मा की जिंदगी बदलने लगी। क्रिकेट के मैदान से निकलकर उनकी जिंदगी सियासत की फील्ड में चौके छक्के लगाने को बेताब होने लगी। फिर क्या था, एबीवीपी के बैनर तले छात्र संघ अध्यक्ष बनने से शुरू हुआ सफर बीजपी की राष्ट्रीय राजनीति से होते हुए अब यूपी के ऊर्जा मंत्री और प्रदेश सरकार के प्रवक्ता तक आ पहुंचा है। प्रखर वक्ता और जुझारू व्यक्तित्व के तौर पर पहचान रखने वाले श्रीकांत शर्मा का सपना फिलहाल प्रदेश के हर घर, खासकर समाज के आखिरी पायदान पर खड़े व्यक्ति के जीवन में रोशनी बिखेरना है। पॉलिटिकल करियर1989-90 में एबीवीपी से जुड़ाव के बाद आपने चलो कश्मीर आंदोलन में हिस्सा लिया


1991-92 में पीजीडीएवी कॉलेज में छात्र संघ के अध्यक्ष बनेभारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) के सदस्य2012 में उत्तर प्रदेश और गुजरात के चुनाव में मीडिया मैनेजमेंट2014 के हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भी मीडिया प्रबंधन2014  राष्ट्रीय सचिव, नेशनल मीडिया टीम का हिस्सा, बीजेपी हिमाचल प्रदेश भाजपा प्रभारी2017  विधायक मथुरा, वृंदावन2017 ऊर्जा मंत्री और प्रवक्ता, उत्तर प्रदेश सरकारसवाल: आप बीजेपी केंद्रीय संगठन में रहे, अब अपने गृह प्रदेश में सरकार का अभिन्न हिस्सा हैैं और बड़ी जिम्मेदारी है आपके पास, इस सफर को कैसे देखते हैैं?जवाब: मैैं पार्टी का सिपाही हूं, जो भी जिम्मेदारी मिलती है, उसे निष्ठा और ईमानदारी से निभाते हूं। छात्र जीवन में विद्यार्थी परिषद के नाते संगठन में काम करने का मौका मिला, फिर युवा मोर्चा में सक्रिय जिम्मेदारी मिलने के साथ ही हिमाचल प्रदेश का प्रभारी रहा। अब यूपी में ऊर्जा मंत्री के तौर पर जिम्मेदारी का निर्वहन कर रहा हूं। मैैं राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का धन्यवाद देता हूं, जिन्होंने मेरे जैसे सामान्य परिवार से जुड़े व्यक्ति को जिम्मेदारी दी, जिसने 12वीं तक की शिक्षा गांव में ली हो। निश्चित रूप से इतनी जिम्मेदारी मिलना मेरे लिए सौभाग्य की बात है।

सवाल: संगठन या फिर सरकार, आपके लिए अधिक चुनौतीपूर्ण क्या रहा?जवाब: संगठन में रहकर संगठन का विस्तार अधिक से अधिक हो और ज्यादा से ज्यादा लोग संगठन से जुड़े। हमारा मूल विचार संगठन का विस्तार और लोगों को जोडऩा है। जब सरकार में आते हैैं तो सरकार की हर योजना का लाभ अधिक से अधिक लोगों को मिले। पंक्ति में पीछे खड़े व्यक्ति का भला हो और उसे सबसे पहले योजना का लाभ मिले। मैैं सौभाग्यशाली हूं कि मैैं खुद उपभोक्ता रहा हूं और एक उपभोक्ता को ही मेरी पार्टी ने ऊर्जा मंत्री का दायित्व दिया है। उपभोक्ता के नाते क्या-क्या समस्याएं आती रहती हैैं, पार्टी और मेरी यही प्राथमिकता है कि गांव या कहीं भी किसी भी उपभोक्ता को उक्त परेशानियों का सामना न करना पड़े।सवाल: स्मार्ट मीटर तो आपके मुख्य एजेंडे में था, पर अभी रफतार नहीं मिल पाई?
जवाब: पूरे प्रदेश में 2021 तक का लक्ष्य है। ग्रामीण क्षेत्र में प्रीपेड मीटर लगा रहे हैैं, जबकि शहरी क्षेत्र में स्मार्ट कम प्रीपेड मीटर लग रहे। भविष्य हमारा यही है कि 2021 के अंत या 2022 के पहले क्वार्टर में टारगेट अचीव कर लेंगे। एक हजार से अधिक आबादी वाले गांवों में एबी कंडक्टर लगा रहे हैैं, जिससे जन और पशु हानि को रोका जा सके।सवाल: बिजली विभाग में पहले करप्शन की बहुत चर्चा होती थी, इस दाग को आपने कैसे धुला?जवाब: शुरुआत में जब मैंने विधानसभा में रोस्टर की घोषणा करते हुए कहा कि गांव में 18 घंटे, तहसील में 20 घंटे और जिला मु यालय में 24 घंटे बिजली दी जाएगी तो मेरे सहयोगी ही भरोसा नहीं कर पा रहे थे। उनके मन में शंका थी लेकिन मैैं स्पष्ट था क्योंकि हम विजन लेकर आए थे। लोगों के मन में सवाल था कि मंत्री ने घोषणा तो कर दी है लेकिन शायद इसे पूरा नहीं किया जा सकेगा। हम संकल्पबद्ध थे और आज हमने कर दिखाया। सबसे पहले हमने डिजाइन बनाया और ग्रिड की क्षमता बढ़ाई। पहले ग्रिड की क्षमता 18 हजार मेगावाट थी, आज 24500 मेगावाट है। हमने आयात क्षमता को बढ़ाया। जब आए थे तब आयात क्षमता 8 हजार मेगावाट थी, आज 12500 मेगावाट है। हमने ट्रांसमिशन और उत्पादन में खासा काम किया। यूपी ऐसा राज्य है, जहां दो साल में 3. 99 रुपये उत्पादन यूनिट की कास्ट को 3 रुपये लाया गया। पहले पूरे प्रदेश में ढाई लाख किमी एचटी-एलटी लाइन थी, आज पांच लाख से ऊपर एचटी एलटी लाइन हैं। पूरे प्रदेश में जाल बिछाया है, हर घर को सौभाग्य योजना में कनेक्शन दिए गए। अभी तक करीब 1 करोड़ 8 लाख फ्री कनेक्शन दिए जा चुके हैैं। हम अपेक्षा करते हैैं कि लोग समय से बिल जमा करें। अक्सर लोगों के घरों में गलत बिल जाता है, उस समस्या को भी दूर किया जा रहा है।  सवाल: अहम विभाग का जिम्मा आपके पास है, सरकार के प्रवक्ता भी हैैं, कैसे समय निकालते हैैं परिवार के लिए?जवाब: शुरुआत में जो ट्रेनिंग मिलती है, वह निश्चित रूप से आने वाले समय में काम आती है। बचपन से ही जब स्वयंसेवक के रूप में ट्रेनिंग मिली और जो सानिध्य मिला, मुझे आडवाणी जी का सानिध्य मिला, जगमोहन जी और अरुण जेटली के साथ काम करने का मौका मिला और पार्टी के अध्यक्ष राजनाथ सिंह जी के साथ काम किया, गडकरी जी और वैैंकेया नायडू जी के साथ काम किया फिर अमित भाई शाह के साथ काम किया। जीवन में टाइम मैनेजमेंट अपने पिता से सीखा, वह अध्यापक थे। टाइम मैनेजमेंट में मैैंने उन्हें ही फॉलो किया, वह मेरे आदर्श हैैं।सवाल: मोदी जी का भी ड्रीम था और चुनावी वादा भी कि घर-घर तक बिजली पहुंचे, इस पर काफी काम हुआ भी है, प्रदेश के लिए अगला एजेंडा क्या है आपका?जवाब: हमने विभाग को डिजिटलाइज्ड किया है। मेरा मकसद है करप्शन फ्री गवर्नेंस। बिजली कनेक्शन हो या लोड बढ़वाना या फिर बिल जमा कराना, सारी सुविधा ऑनलाइन है। तकनीकी का अधिक से अधिक लाभ उपभोक्ताओं को कैसे मिले, हम इस पर काम कर रहे हैैं। जो हमारे 10 किलोवॉट तक के उपभोक्ता हैैं और वे कनेक्शन के लिए आवेदन करते हैैं तो हमारी ओर से उन्हें मिठाई का डिब्बा दिया जाता है। इसी तरह 25 केवीए के ऊपर के ट्रांसफॉर्मर में मीटरिंग कर रहे हैैं। बिजली चोरी रोकने के लिए कटिया का नियमितिकरण कर रहे हैैं। 31 अगस्त तक सभी बिजली थाने भी खुल जाएंगे। 50 प्रतिशत से अधिक लाइन लॉस वाले फीडर पर अभियान चला रहे हैैं। 2032 तक सिंगल डिजिट में लाइन लॉस लाना हमारा उद्देश्य है। एग्रीकल्चर फीडर को सेपरेट किया जा रहा है।  सवाल: शहरों में कई इलाकों में अंडरग्राउंड केबलिंग मुद्दा है, क्या कदम उठा रहे हैैं?जवाब: घनी आबादी वाले इलाकों में तारों का जाल होने के कारण दुर्घटनाएं होती हैैं, कई जगह बिजली चोरी भी होती है। उन जगहों को चिन्हित कर काम किया जा रहा है। इससे शहर भी खूबसूरत दिखता है। बनारस, मथुरा की कुंज गलियों में जाएं, वहां भी तारों का जाल हटाया गया है। सबसे पहले पवित्र स्थानों से तारों का जाल हटाया जा रहा है।सवाल: श्रीकांत शर्मा तनाव में कम दिखते हैं, कोई खास मंत्र?जवाब: मुझे लगता है कि ईमानदारी से टास्क पूरा करना चाहिए। जो काम हैैं, उसमें ही लगे रहें, तनाव महसूस नहीं होगा। टाइम मैनेजमेंट बहुत जरूरी है, काम को व्यवस्थित करना पड़ेगा। मैैं तनाव में इसलिए भी नहीं हूं क्योंकि मेरी आगे की योजना पूरी है। मैैंने 2032 तक कार्यक्रम तय कर रखा है। किस तरह से कौन कौन से क्षेत्रों में बिजली देनी है, यहीं बैठकर सब मॉनीटर कर रहा हूं। रात में भी दो घंटे मॉनीटरिंग करता हूं। मैैं और मेरा बैक ऑफिस काम करता रहता है ट्रांसफॉर्मर बर्निंग केसेस को लेकर। यह प्रबंधन है, ईमानदारी से काम करते हैैं तो तनाव नहीं होता।सवाल: बरसों से ही ऐसे ही है, फिटनेस का राज क्या है?जवाब: मैं बेहद सामान्य जीवन जीता हूं, अपने रुटीन को फॉलो करता हूं और हर दिन सुबह उठने के बाद एक घंटे योग करता हूं। जिससे मैं दिनभर फ्रेश फील करता हूं।सवाल: आपको क्या पसंद है?जवाब: मेरी यही पसंद है कि मैैं काम करता रहता हूं, मेरा जो काम है, उसे ही जीता हूं। जो जिम्मेदारी मिली, उसमें ही जीता हूं। लोगों को कम से कम असुविधा हो, यही मेरा प्रयास है।


सवाल: बिजली दरों को लेकर हंगामा मचा हुआ है, सरकार की मंशा क्या है?जवाब: देखिए दो चीजे हैैं। यूपीपीसीएल का घाटा लगातार बढ़ता गया क्योंकि आर्थिक अनियमितताएं यहां बहुत थीं। पूर्व की सरकारों का फोकस करप्शन ही था, कंज्यूमर नहीं। हमारा फोकस कंज्यूमर है। लगातार घाटे होते रहे, डिस्कॉम घाटे में चल रहे हैैं, उन्होंने अपना पक्ष नियामक आयोग में रखा है। सरकार का पक्ष है कि सरकार सब्सिडी देती है। लॉस्ट ईयर सब्सिडी 5 हजार 800 थी, इस बार 10 हजार 70 किया है, इसका लाभ हम गरीब उपभोक्ताओं को देते हैैं।सवाल: दो वर्ष में बिजली विभाग की सबसे बड़ी उपलब्धि आप क्या मानते हैैं?जवाब: किसानों को सस्ती से सस्ती बिजली मिल रही है। किसानों के घर तक बिजली पहुंचाने में 7. 24 पैसे कॉस्ट आती है, जबकि वर्तमान में किसानों से 1. 10 पैसे प्रति यूनिट के हिसाब से लिया जा रहा है। यूपी पहला ऐसा राज्य है, जहां बीपीएल परिवारों से पहले 100 यूनिट पर 3 रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से बिलिंग की जाती है। वहीं कई अन्य राज्यों में 30 रुपये, कहीं 40 रुपये तो कहीं 50 रुपये यूनिट तक है। Posted By: Shweta Mishra