-दीनदयाल हॉस्पिटल में पीपीपी मॉडल पर एक साल पहले से तैयार है सिटी स्कैन सेंटर

-मगर स्टाफ न होने से मरीजों को फ्री सिटी स्कैन की नहीं मिल रही सुविधा, धूल फांक रही हैं मशीनें

जिले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल पं। दीनदयाल उपाध्याय चिकित्सालय में पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप यानि पीपीपी मॉडल पर सिटी स्कैन सेंटर चलाने की शासन की योजना पर पानी फिर रहा है। शासन के आदेश के बाद यहां मरीजों को बेहतर सुविधाओं के साथ उनका फ्री सिटी स्कैन कराने के लिए सिटी स्कैन सेंटर तो तैयार कर लिया गया है, लेकिन इसमें अब तक न तो किसी रेडियोलॉजिस्ट डॉक्टर की नियुक्ति हुई है और न ही ट्रेंड टेक्निशियन की। इस सेंटर में एक साल पहले सिटी स्कैन के लिए मशीनें लाकर स्टॉल कर दी गई हैं, लेकिन इसे शुरू कराने के लिए न तो शासन स्तर पर गंभीरता दिखाई जा रही है और न ही हॉस्पिटल प्रबंधन की ओर से।

भीड़ कम करने के लिए है योजना

हॉस्पिटल में मरीजों को सिटी स्कैन की सुविधा दी जा रही है। मगर सिर्फ एक ही मशीन होने से उस पर लोड ज्यादा रहता है। टेक्निशियन की मानें तो यहां रोजाना सैकड़ों मरीजों का सिटी स्कैन होता है। कभी-कभी तो हालत यह देखने को मिलती है कि दोपहर तक मरीजों की लंबी लाइन लगी रहती है। चूंकि मशीन काफी पुरानी हो चुकी है इसमें इसमें खराबी भी आती है। इस वजह से मरीजों को चार से पांच दिन का समय दिया जाता है। ऐसे में अगर पीपीपी मॉडल पर बने स्कैन सेंटर को शुरू करा दिया जाए तो मरीजों को काफी राहत मिलेगी।

नहीं मिलता पत्र का जवाब

सिटी स्कैन मशीन के अक्सर खराब होने और मरीजों की भीड़ कम करने के लिए ही शासन ने यहां पीपीपी मॉडल पर सिटी स्कैन सेंटर डेवलप कराया है। सरकार ने इस सेंटर को चलाने की जिम्मेदारी पूणे की कृष्णा डायग्नोस्टिक सेंटर को दी है। लेकिन जबसे यहां यह मशीन लगी है तब के बाद से कंपनी का कोई भी अधिकारी उसकी आज तक सुधि लेने नहीं आया है। अधिकारियों का कहना है कि हॉस्पिटल प्रबंधन की ओर से इसे लेकर कई बार कृष्णा डायग्नोस्टिक को पत्र लिखकर सेंटर को शुरू कराने की सिफारिश की गई है। लेकिन कभी भी पत्र का कोई जवाब नहीं मिला।

जाना पड़ता है निजी लैब

सूत्रों की मानें तो लैब में कुछ मशीनें काफी पुरानी हो चुकी हैं और इसे अब बदलना जरूरी है। बार-बार खराब होने के कारण मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। तय समय पर जांच या सिटी स्कैन की सुविधा न मिलने से मरीजों को जांच कराने के लिए मजबूरन निजी पैथोलॉजी का सहारा लेना पड़ता है। जो सिटी स्कैन मरीजों का यहां फ्री में होता है, वहीं बाहर में उन्हें 1500 से 2000 खर्च करना पड़ता है। वहीं इमरजेंसी में आने वाले मरीजों को जांच की जरूरत पड़ने पर सबसे ज्यादा परेशानी होती है। उनके पास रिपोर्ट के इंतजार करने का समय नहीं रहता है। इसलिए उन्हें भी जांच के लिए प्राइवेट लैब में जाना पड़ता है।

वर्जन--

इस संबंध में हॉस्पिटल प्रबंधन की ओर से उक्त संस्था को कई बार पत्र लिखा गया है, लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं आया। अब शासन स्तर पर ही कोई बात बन पाएगी।

डॉ। मेजर विपुल कुमार, सीएमएस, जिला अस्पताल

Posted By: Inextlive