25 जिले में कुल सीएचसी व सरकारी हॉस्पिटल्स की संख्या।

10 हजार करीब है इनमें प्रतिदिन आने वाले मरीजों की संख्या।

03 करोड़ की प्रतिदिन जिले में होती है दवाओं की बिक्री।

36 कुल थोक व फुटकर दवा लाइसेंस

04 अब तक सरकारी हॉस्पिटल्स के लिए कुल निर्गत प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र के लाइसेंस।

-मरीजों को जल्द ही सरकारी हॉस्पिटल्स में मिलेंगी सस्ती दवाएं

-डॉक्टर्स लिखेंगे दवाओं का साल्ट नेम, आसपास नहीं बिकेंगी ब्रांडेड दवाएं

ALLAHABAD: जल्द ही सरकारी हॉस्पिटल्स के डॉक्टरों को पर्चे पर ब्रांड नेम की जगह साल्ट लिखना पड़ेगा। सरकार पूरी तरह से व्यवस्था में बदलाव करने में लगी है, ताकि मरीजों को सस्ती दवाएं उपलब्ध कराई जा सकें। इसके पहले चरण में सरकारी हॉस्पिटल्स में प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र खोले जा रहे हैं। इसके बाद डॉक्टरों को साल्ट लिखने के कड़े आदेश दिए जाने हैं। खुद स्वास्थ्य मंत्री ने इस बात की तस्दीक की है।

खोले जा रहे जेनेरिक मेडिकल स्टोर

पूर्व में ही सरकारी डॉक्टरों को दवाओं का साल्ट लिखने के आदेश दिए गए थे लेकिन इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। अब सरकार इसी आदेश को लेकर पूरी तरह प्रतिबद्ध नजर आ रही है। उप्र सरकार ने इसी के पहले चरण में पूरे यूपी में 1008 प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र खोलने का निर्णय लिया है। वहीं अकेले इलाहाबाद मंडल में 120 ऐसे मेडिकल स्टोर खोले जाने हैं जहां सस्ती जेनेरिक दवाएं मिलेंगी। फिलहाल एसआरएन हॉस्पिटल सहित प्रतापगढ़, कौशांबी और फतेहपुर के डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में यह मेडिकल स्टोर खुलने जा रहे हैं।

कड़ाई से होगा आदेश का पालन

प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र खुलने के बाद डॉक्टरों को साल्ट नेम लिखने के लिए बाध्य किया जाएगा। प्रदेश सरकार की मानें तो इसका कड़ाई से पालन कराया जाएगा, जिससे कि मरीज सीधे सस्ती जेनेरिक दवाएं परचेज करें। अभी तक पर्चे पर ब्रांडेड दवाएं लिखी जाती हैं। अगर यह दवाएं हॉस्पिटल के स्टोर में नहीं होती तो मेडिकल स्टोर पर दूसरे ब्रांड नेम से ऊंचे दाम पर मरीज को खरीदनी पड़ती हैं। लेकिन साल्ट नेम लिखे जाने के बाद यह दवा प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र पर आसानी से उपलब्ध होगी।

60 से 70 फीसदी तक मिलेगी छूट

ब्रांडेड दवाओं के मुकाबले जेनेरिक दवाएं काफी सस्ती हैं। 60 से 70 फीसदी तक सस्ती होने से इलाज पहले की अपेक्षा काफी सस्ता हो जाएगा। फिलहाल डॉक्टर्स ब्रांडेड नेम लिखकर मरीज को महंगी दवा खरीदने को बाध्य करते हैं। ऐसे में जो जेनेरिक दवा महज 10 से 20 रुपए की है वह ब्रांडेड नेम के साथ 80 से 90 रुपए तक बिकती है। जानकारी नही होने पर जनता महंगा इलाज कराने को मजबूर है और इसका फायदा दवा कंपनियां उठा रही हैं।

अभी सरकारी हॉस्पिटल्स में प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र खोले जा रहे हैं। इसके बाद डॉक्टर्स को दवाओं का साल्ट नेम लिखने के लिए प्रेरित किया जाएगा, जिससे मरीजों को सस्ती जेनेरिक दवाएं उपलब्ध हो सकें। सरकार निचले पायदान तक सस्ता और सुलभ इलाज पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है।

-सिद्धार्थनाथ सिंह, स्वास्थ्य मंत्री, उप्र सरकार

ब्रांड की जगह साल्ट नेम लिखने का आदेश पुराना है लेकिन अब इसका पालन कराया जाना है। फिलहाल सरकारी हॉस्पिटल्स में तेजी से प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र खोले जा रहे हैं।

-डॉ। गिरिजाशंकर बाजपेई, सीएमओ

Posted By: Inextlive