गुरुवार को हो रहे राष्ट्रपति चुनाव में यूपीए के उम्मीदवार प्रणब मुखर्जी साफ तौर पर अपने प्रतिद्वंद्वी पीए संगमा पर भारी पड़ते नजर आ रहे हैं और राजनीतिक पंडितों को उनकी जीत में संदेह नहीं है.

दरअसल राष्ट्रपति चुनाव को लेकर यूपीए गठबंधन की रणनीति खासी कामयाब रही जिसके चलते उसके उम्मीदवार को जेडीयू, सीपीएम और शिव सेना जैसी तीन विपक्षी पार्टियों का भी समर्थन मिला है।

हालांकि विपक्षी गठबंधन एनडीए में शामिल सबसे बड़ी पार्टी भाजपा पीए संगमा का समर्थन कर रही है। लेकिन संख्या बल के मामले में संगमा प्रणब से काफी पीछे हैं। इसलिए कांग्रेस को प्रणब के आसानी से राष्ट्रपति भवन में पहुंच जाने की उम्मीद है।

हालांकि प्रणब की उम्मीदवारी पर यूपीए में उस वक्त दरार दिखी जब ममता बनर्जी ने उनका समर्थन करने से इनकार कर दिया। लेकिन बाद में ममता ने भी ‘भारी मन से’ ही सही, प्रणब का समर्थन कर दिया।

रिकॉर्ड मतों से जीत की उम्मीद

यूपीए के रणनीतिकारों को राष्ट्रपति चुनाव में क्रॉस वोटिंग की कोई ज्यादा फिक्र नहीं है। संसदीय कार्यमंत्री पवन कुमार बंसल कहते हैं, “मेघालय के कुछ वोटों को छोड़ दिया जाए तो हमें क्रॉस वोटिंग की वजह किसी बड़े नुकसान की आशंका नहीं है, बल्कि हमें तो विपक्ष के बहुत से सांसदों और विधायकों का समर्थन मिल सकता है.” बंसल का कहना है कि सत्ताधारी गठबंधन के वोटों की संख्या 7.5 लाख तक जा सकती है।

भारी मतों से जीत दर्ज करने के लिए कांग्रेस के रणनीतिकारों ने समान विचारधारा वाली पार्टियों और सांसदों से संपर्क किया है जिनमें समाजवादी पार्टी से निष्कासित अमर सिंह और जया प्रदा के अलावा विजया माल्या और राजीव चंद्रशेखर शामिल हैं।

प्रणब राष्ट्रपति के पद के ऐसे पहले उम्मीदवार होंगे जो चुनाव में खुद भी अपना वोट डालेंगे। 2007 में प्रतिभा पाटिल ने 3,07,000 वोटों से चुनाव जीता था जबकि प्रणब के इससे भी ज्यादा रिकॉर्ड मतों से जीत की संभावना है।

Posted By: Inextlive