-शासनादेश जारी होने के बाद मंदिरों के बाहर प्रसाद की दुकानों की दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने की पड़ताल

- बिना लाइसेंस के लगाए थे दुकान, श्रद्धालुओं ने बताया कि प्रसाद की क्वालिटी भी नहीं है बेहतर

बरेली : खाद्य सामग्री में मिलावट का बोलबाला है। मिलावट न करने का दावा सभी कर रहे हैं लेकिन शहर में शायद ही मिठाई की ऐसी कोई दुकान होगी जहां मिलने वाली खाद्य सामग्री हमारी सेहत के लिए पूरी तरह सेफ हो। ये तो मिठाई की दुकानों की बात हो गई। हैरत तो इस बात को लेकर है कि मिलवाटखोरों ने मंदिर के प्रसाद को भी नहीं छोड़ा। यहां सिर्फ मनमानी चल रही है। मंदिरों के बाहर बिना लाइसेंस के दुकानें सजी हुई हैं और बिना कोई रेट तय किए महंगे दामों में प्रसाद बेचा जा रहा है। प्रदेश सरकार ने ठगी और मिलावटखोरी को रोकने के लिए शासनादेश जारी किया था कि मंदिर के बाहर बिना लाइसेंस के प्रसाद नहीं बेच सकते हैं। खासतौर पर मथुरा-वृंदावन में ठाकुर जी का प्रसाद तैयार करने, बांटने एवं बेचने वालों के लिए लाइसेंस बनवाना अनिवार्य कर दिया है। इसके बाद दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम ने जब इन दुकानों पर जाकर रियलिटी चेक किया तो इनकी मिलावट में खेल निकला। दुकानदार गोलमोल जवाब देकर बचते दिखे।

धोपेश्वर नाथ में 12 दुकानें

कैंट क्षेत्र के सदर में भगवान शिव का प्राचीन मंदिर है। मंदिर के बाहर प्रसाद की करीब 12 दुकानें हैं। इन दुकानदारों के पास प्रसाद बेचने का लाइसेंस नहीं है। यही वजह है कि दुकानदार आस्था की आड़ मे श्रद्धालुओं को मनमाने तरीके से प्रसाद बेचते हैं। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम ने लाइसेंस मांगा तो उन्हें अपनी गलती का एहसास तो हुआ लेकिन मानने को तैयार नहीं हुए। दुकान के लिए उसे मंदिर ट्रस्ट को कीमत देनी पड़ती है।

200 रुपये किलो तक का है रेट

शहर में अलखनाथ मंदिर की एक खास पहचान है। मंदिर परिसर में प्रसाद की पांच दुकानें हैं। दुकानदारों ने प्रसाद का रेट बताने से आनाकानी की। जोर देने पर बताया कि भगवान शिव पर 151 रुपये का प्रसाद चढ़ता है, जिसमें एक नारियल, धतूरा, भांग, बेलपत्र और 200 ग्राम पेड़े होते हैं। मारुति नंदन को जो भोग लगता है उसमें जो बेसन के लड्डू चढ़ते हैं वह 200 रुपये किलो है। बताया कि दुकानदार घर पर लड्डू बनाते हैं।

जांच अब तक नहीं हुई

त्रिवटीनाथ मंदिर में प्रसाद की छह दुकानें हैं। जब टीम मंदिर परिसर पहुंची, वहां कुछ दुकानें बंद मिलीं। एक दुकानदार अपनी शॉप पर प्रसाद तैयार करता मिला। एफएसडीए के निरीक्षण के बारे में पूछने पर उसने बताया कि उनके पास कोई नहीं आया है। प्रसाद के रेट के बारे में बताया कि भगवान पर अलग-अलग तरीके का भोग चढ़ता है। भक्त अपनी श्रद्धा के अनुसार प्रसाद खरीदते हैं।

शासन से जो आदेश मिला है, उसे जल्दी ही लागू किया जाएगा। अब टीम दुकानों पर जाकर जवाब तलब कर रही है। उन्हें लाइसेंस लेने के लिए जोर दिया जा रहा है। लाइसेंस न लेने पर नोटिस दिया जाएगा।

संजय पाण्डेय, डिप्टी कमिश्नर एफएसडीए

पूरी तरह शुद्ध है प्रसाद

भगवान के लिए प्रसाद हम घर पर तैयार करते हैं, जो यह पूरी तरह से शुद्ध होता है। लाइसेंस लेने के लिए पैसे नहीं है। इसलिए हम बिना लाइसेंस के ही दुकान लगा रहे हैं।

बिहारीलाल, दुकानदार धोपेश्वरनाथ मंदिर

हम प्रसाद में लड्डू बेचते हैं। यह पूरी तरह से शुद्ध होता है। भगवान को चढ़ाया जाना होता है, इसलिए मिलावट कैसे कर सकते हैं, जो ऐसा कह रहे हैं वो गलत कह रहे हैं।

रोहित, दुकानदार अलखनाथ मंदिर

प्रसाद पूरी तरह से शुद्ध होता है। क्योंकि यह आस्था से जुड़ा है मामला है। हम मिलावट नहीं कर सकते हैं। बाकी दूसरे दुकानदार जो प्रसाद नहीं मिठाई बेचते हैं, वहां जरूर गड़बड़ी मिल जाएगी।

अंकित, दुकानदार त्रिवटीनाथ मंदिर

प्रसाद में कोई क्वालिटी नहीं होती है। ऐसे प्रसाद का क्या फायदा। इतने श्रद्धा भाव से खरीदते हैं। दुकानदार मंदिर के बाहर दुकान लगाकर मजबूरी में हमारा फायदा उठा रहे हैं।

प्रीति

दुकानदार मंदिर में हद से ज्यादा महंगा प्रसाद बेचते हैं। लेकिन उसकी क्वालिटी बिल्कुल भी अच्छी नहीं होती है। हमें ठगा जा रहा है। इन पर कार्रवाई होनी चाहिए।

- दीपिका

Posted By: Inextlive