अपराध और जुल्म की क्रूरता से बेल्हा में कांप रही है इंसानियत

हर रोज हो रही घटनाओं को देख सुरक्षा को लेकर आशंकित हुए लोग

जिले में मजाक बन चुकी है पुलिसिंग, अपराधियों के हौसले हुए बुलंद

pratapgarh@inext.co.in

PRATAPGARH :

अपराधी मस्त, पुलिस पस्त, जनता त्रस्त, इन दिनों जिले के हालात ऐसे ही हैं। अपराधियों के जेहन से पुलिस का खौफ निकल चुका है। उनके जुल्म की क्रूरता से इंसानियत कांप रही है। सुरक्षा को लेकर जिले के लोग आशंकित हैं। कुंडा और मानधाता क्षेत्र में मंगलवार को जो घटना हुई, उससे यह साबित हो चुका है कि पुलिस अपराधियों की बढ़ती सक्रियता को रोक पाने में नाकाम है। बुत बन चुकी पुलिस पर से लोगों का विश्वास उठने लगा है।

कानून व्यवस्था हुई शर्मसार

कुंडा के ताजपुसरियावां में एक दलित को जलाए जाने की घटना ने कानून व्यवस्था का सिर शर्मसार कर दिया है। मानधाता में रोडवेज बस को रोक कर उसके अंदर बैठे व्यक्ति को गोली मार दी गई, यह भी अपराधियों के बेखौफ व बेलगाम होने की पुष्टि करती है। इसके पूर्व में भी कुंडा, कंधई सहित अन्य इलाकों में कई हत्याएं हो चुकी हैं। अपराधी जिले में खुलेआम कानून को रौंद रहे हैं। खून की होली खेल रहे अपराधियों के कलेजे में पुलिस कानून का खौफ नहीं पैदा कर पा रही। बेकाबू हो चुके अपराध से लोगों में दहशत पैदा हो गई।

पुलिस के वजूद पर खड़ा हुआ सवाल

अपराधियों की सक्रियता के पीछे अब लोग पुलिस और सियासी गठजोड़ को वजह मानने के लिए मजबूर हो गए हैं। बढ़ती घटनाओं को देखते हुए लोगों ने अब यह कहना शुरू कर दिया है कि पुलिस अपना वजूद और अस्तित्व राजनीतिज्ञों की कोठरी में गिरवी रख दिया है। शायद यही वजह है कि वह खुल कर अपराधियों के गिरेबान को कस नहीं पा रही। क्योंकि घटनाओं को बेखौफ हो कर अंजाम देने वालों के सिर पर उनके सियासी आकाओं का हाथ होता है। दबी जुबान लोगों की मानें तो जिले में अपराध बेलगाम होने के पीछे यह एक बड़ी वजह है।

बाक्स

सवालों के कठघरे में खड़ी हुई खाकी

जिले में गुनाह की फैलती टहनियों को काटने में पुलिस की नाकामी लोगों की सुरक्षा पर बड़ा सवाल बन चुकी है। इधर पखवाड़े भर से एकाध दिन छोड़ दिया जाय तो हर रोज अपराधियों ने घटनाओं को अंजाम दे कर पुलिस और कानून दोनों को चैलेंज दिया है। प्रश्न यह उठता है कि आखिर पुलिस अपराध को रोक पाने में नाकाम क्यों है। ऐसी कौन सी वजह है जिसके चलते अपराधियों के कलेजे से पुलिस का खौफ दफा हो चुका है। सवाल यह भी है कि ऐसे हालात में आखिर लोग अपनी सुरक्षा को लेकर पुलिस पर विश्वास कैसे करें?

Posted By: Inextlive