-पहली वाइफ की डेथ के बाद बेटे की आस में की दूसरी शादी

-दूसरी वाइफ से बेटियां हुई तो उसे छोड़ पहली वाइफ के बेटे की शरण में पहुंचा

-अब दूसरी वाइफ और बेटियों को कर रहा परेशान

-पुलिस से भी नहीं मिल रही है हेल्प

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JAMSHEDPUR : पहली वाइफ की डेथ के बाद बेटे की चाह में दूसरी महिला से शादी की। बेटे की चाह में एक के बाद एक 5 बेटियां ही पैदा हुई तो अब बुढ़ापे में मुक्ति की तलाश में वापस पहली पत्नी से हुए उसी बेटे की शरण में चला गया, जिसकी कभी अपने पिता से बनती नहीं थी। अब बाप-बेटे मिलकर दूसरी वाइफ और उनकी बेटियों को घर से बेदखल करना चाहते हैं। ऐसे में वे डर के साए में जीने के लिए मजबूर हैं। पुलिस से भी उन्हें कोई हेल्प नहीं मिल रही है। यह कहानी बागबेड़ा थाना एरिया की है।

मोक्ष की तलाश में की दूसरी शादी

बागबेड़ा निवासी मनमोहन झा की पहली शादी के बाद उनका बेटा रितेश पैदा हुआ। बाप-बेटे की आपस में नहीं बनती थी। इस कारण विवाद के बाद बेटा रितेश शादी कर अलग हो गया और बर्मामाइंस में रहने लगा। अब मनमोहन झा को चिंता हुई कि बेटा नहीं होने से अंतिम समय में उन्हें मुक्ति कैसे मिलेगी, तो उन्होंने हीरा देवी से दूसरी शादी कर ली।

बेटे की आस में पैदा हुईं पांच बेटियां

अब मनमोहन झा को हीरा देवी से भी एक बेटा चाहिए था, जिससे मोक्ष की प्राप्ति हो और इसी चाह में एक के बाद एक पांच बेटियां प्रीति, स्नेहा, लक्ष्मी, रिंकी और वंदना हुईं। अब मनमोहन झा को चिंता होने लगी कि बेटा नहीं होने पर मुक्ति कैसे मिलेगी। दूसरी वाइफ और बेटियों को उनकी हालत में छोड़ कर मनमोहन अपनी पहली वाइफ के बेटे की शरण में चले गए, ताकि उन्हें दो वक्त का खाना और आखिरी समय में बेटा मुखाग्नि दे।

घर पर कब्जे के लिए की पिटायी

उधर, हीरा देवी ने दूसरों का काम करने अपनी बेटियों को तो पाला ही, कुछ पैसे जोड़ कर हरहरगुट्टू में जमीन का एक टुकड़ा खरीदा और उस पर घर बनवा लिया। मनमोहन झा और उनके बेटे रितेश उस घर पर कब्जा करने की जुगाड़ में लग गए। कुछ दिनों पहले ही दोनों ने घर में घुसकर हीरा देवी की इस बेदर्दी से पिटायी कर दी थी, कि वह लंबे समय तक हॉस्पिटल में एडमिट रही। अब भी वह चलने-फिरने में असमर्थ है।

बागबेड़ा थाना और महिला थाना से भी नहीं मिला जस्टिस

हीरा देवी का कहना है कि उन्होंने इस मामले में बागबेड़ा थाना में कंप्लेन की, लेकिन उनकी फरियाद नहीं सुनी गयी। इसके बाद उन्होंने महिला थाना का दरवाजा खटखटाया, लेकिन यहां भी न्याय नहीं मिला। इस बीच रितेश और मनमोहन ने हीरा देवी और उनकी बेटियों को घर से निकाल कर ताला लगा दिया। इस बार महिला थाना प्रभारी ने थोड़ी रहम दिखायी और बागबेड़ा पुलिस की हेल्प से घर का ताला खुलवा दिया और उसकी घर में उनके रहने की व्यवस्था की।

SSP साहब हमारा दुखड़ा भी सुन लीजिए

हीरा देवी की दो बेटियां प्रीति झा और लक्ष्मी झा सोशल वर्कर गीता झा के साथ दो दिनों तक एसएसपी से मिलने की कोशिश की, लेकिन मुलाकात नहीं हो पायी। मंडे को जब वे एसएसपी ऑफिस आयीं, तो उन्हें कहा गया कि एसएसपी साहब मीटिंग में हैं। ट्यूजडे को भी उनसे यही बात कही गयी। उन्होंने कहा कि वे वेडनसडे को फिर एसएसपी से मिलने की कोशिश करेंगी। प्रीति झा ने कहा कि अगर एसएसपी साहब दो मिनट का भी टाइम दे दें, तो वे अपना दुखड़ा उन्हें सुना सकती हैं।

डेली 90 रुपए की कमाई

हीरा देवी की फाइनांशियल कंडीशन भी ठीक नहीं है। हीरा का आरोप है कि उनका हसबेंड उन्हें घर चलाने का खर्च नहीं देता है। एक बेटी जुगसलाई में अगरबत्ती बनाने का काम करती है और मिलने वाले 80-90 रुपयों से ही घर का खर्च चलता है।

मुझे, मेरी बहनों और मां को अपने पिता और सौतेले भाई से जान का डर बना हुआ है। पिछले दिनों घर में घुसकर उन लोगों ने मेरी मां की बुरी तरह पिटायी कर दी थी। मेरी मां अब चलने-फिरने में असमर्थ है। हम चाहते हैं कि एसएसपी साहब हमें न्याय दिलाएं।

-प्रीति झा, हीरा देवी की बेटी

Posted By: Inextlive