जिला महिला अस्पताल में प्रेग्नेंट महिलाओं पर हुई स्टडी रिपोर्ट में खुलासा

हीमोग्लोबिन का मिनीमम लेवल भी मेंटेन नहीं कर पा रही महिलाएं

10 से 12 मौतें हर महीने हो रही हैं सीवियर एनीमिया की वजह से

5 हजार गर्भवती महिलाओं पर रिसर्च की गई 2018-19 तक

4550 महिलाएं हीमोग्लोबिन की कमी से जूझती पाई गईं

Meerut. प्रेग्नेंसी के दौरान हीमोग्लोबिन की कमी जान पर भारी पड़ रही है. मां के साथ शिशु भी मौत के मुहाने पर हैं. स्थिति ये है कि सीवियर एनीमिया की वजह से हर महीने डिलीवरी के दौरान 10 से 12 मौतें हो रही हैं. जबकि 90 प्रतिशत महिलाएं एनीमिया से ग्रस्त हैं. जिला महिला अस्पताल में गर्भवती महिलाओं पर हुई स्टडी रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है.

ये है स्थिति

जिला महिला अस्पताल की स्टडी रिपोर्ट के अुनसार वर्ष 2018-19 तक करीब 5 हजार गर्भवती महिलाओं पर रिसर्च किया गया. इस दौरान करीब 4550 महिलाएं हीमोग्लोबिन की कमी से जूझती पाई गईं. इन महिलाओं में हीमोग्लोबिन रेट तय मानकों के हिसाब से मिनिमम रेंज 11 ग्राम भी नहीं निकला. जबकि 1500 से अधिक महिलाएं डेंजर जोन में रिपोर्ट की गई. इनमें 9 ग्राम से भी कम हीमोग्लोबिन मिला और इस वजह से सिजेरियन करना पड़ा. जबकि 3200 महिलाएं ऐसी मिली, जिनमें हीमोग्लोबिन 10 ग्राम तक होने की वजह से नॉर्मल डिलीवरी में भी कॉम्पलीकेशंस झेलने पड़े. जबकि हजार से 1200 महिलाओं को ब्लड चढ़ाना पड़ा.

100 से ज्यादा मौत

हीमोग्लोबिन की कमी न केवल सेहत पर वार कर रही है बल्कि जिंदगी भी लील भी रही हैं. रिपोर्ट के मुताबिक 300 से अधिक केस कॉम्प्लीकेशंस बढ़ने की वजह से हायर सेंटर भेजे गए. जबकि 100 से अधिक बच्चे दुनिया में आने से पहले ही काल के गाल में समा गए. डॉक्टर्स के मुताबिक खून की कमी से कई समस्याएं हो जाती है. गर्भ में शिशु सरवाइव नहीं कर पाता, जिसकी वजह से कई बार डिलीवरी के दौरान ही बच्चे की मौत हो जाती है.

सरकारी योजनाओं की निकली हवा

गर्भवती महिलाओं का ख्याल रखने के लिए सरकार हर साल करोड़ों रूपये खर्च कर रही है. खून का स्तर बना रहे इसके लिए तमाम योजनाएं भी लागू की गई हैं. मगर अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक इन योजनाओं को कागजों तक ही समेट दे रहे हैं. जननी सुरक्षा योजना के तहत महिलाओं को डिलीवरी तक 180 आयरन टेबलेट फ्री दी जाती हैं. टेबलेट देने से खिलाने तक जिम्मेदारी भी स्वास्थ्य विभाग की ही होती है. प्रधानमंत्री मातृत्व वंदन योजना के तहत भी महिलाओं को खान-पान के लिए धनराशि दी जाती है.

गर्भवती महिलाओं में एचबी कम मिलना आम हो गया है. 11 से 14 ग्राम के बीच बहुत कम केस मिलते हैं. ऐसे में 10 ग्राम तक भी हीमोग्लोबिन होने पर इसे सामान्य मान लिया जाता है. इससे कम होने पर स्थिति गंभीर हो जाती है.

डॉ. मनीषा वर्मा, एसआईसी, जिला महिला अस्पताल

कम हीमोग्लोबिन गर्भवती या शिशु दोनों के लिए जानलेवा है. इससे कार्डियक, पोस्टपार्टम हमरेज, दिमागी-शारीरिक अपंगता के अलावा कई अन्य गंभीर बीमारी भी हो सकती हैं.

डॉ. मनीषा तोमर, महिला रोग िवशेषज्ञ

प्रेग्नेंसी के दौरान हेल्दी फूड व डायट का ख्याल रखना सबसे ज्यादा जरूरी है. आयरन टैबलेट्स या सप्लीमेंट एडीशनल स्पोर्ट करती हैं. महिलाएं खान-पान में लापरवाही बरतती हैं. ऐसे में कम हीमोग्लोबिन की समस्या हो जाती है.

डॉ. आनंद प्रकाश, पीडियाट्रिक

Posted By: Lekhchand Singh