- प्रेग्नेंसी के दौरान डाइट फॉलो न करने से फीमेल्स हो रही हैं कमजोर

- मॉलनरिश्ड हो रहे हैं बच्चे, गोरखपुर में लगातार बढ़ रहा आंकड़ा

GORAKHPUR: डेडीकेशन के लिए फीमेल्स का कोई जोड़ नहीं है। जिस काम को इन्हें सौंप दिया जाए, उसे हर हाल में पूरा करती हैं। चाहे वह बीमार हों या फिर किसी भी हाल में हों। काम पूरा करने के बाद ही उन्हें चैन आता है। मगर उनका यह डेडीकेशन, काम को लेकर उनकी लगन, उनके लिए मुश्किलें पैदा कर रही है। खासतौर पर प्रेग्नेंट फीमेल्स जिन्हें खुद की फिक्र नहीं है, जाने-अनजाने में इसका असर पैदा होने वाले मासूमों पर भी पड़ रहा है। नेशनल हेल्थ सर्वे के आंकड़ों पर नजर डालें तो जहां फीमेल्स में आयरन और कैल्शियम की कमी मिली है, तो वहीं उनके बच्चे भी माल नरिश्मेंट का शिकार हुए हैं।

10 हजार मिले माल नरिश्ड

स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों पर नजर डालें तो बीत साल हुए विभागीय सर्वे में 10 हजार से ज्यादा बच्चे माल नरिश्ड पाए गए हैं। डीप स्टडी के दौरान यह बात सामने आई है कि इन बच्चों की मदर्स में प्रेग्नेंसी के दौरान खून की कमी पाई गई। वहीं कुछ फीमेल्स कुपोषण का भी शिकार मिली हैं। ओवर ऑल आंकड़ों पर नजर डालें तो 15 से 49 साल तक की प्रेग्नेंट फीमेल्स में यह प्रॉब्लम मिली है। ऐसा नहीं कि सिर्फ सड़क पर रहने वाली फीमेल्स में ही यह कमी मिली है, बल्कि इसमें रिनाउंड फैमिलीज से जुड़ी फीमल्स, जिनके पास किसी चीज की कमी नहीं है, वह भी शामिल हैं।

बच्चों के लिए

- 6 से 8 माह के बच्चों को ब्रेस्ट फीडिंग के साथ करीब 250 एमएल की आधी कटोरी दो बार अर्धठोस भोजन के साथ दो बार पौष्टिक नाश्ता देना चाहिए।

- 9 से 11 माह के बच्चों को ब्रेस्ट फीडिंग के साथ 250 एमएल की 2/3 कटोरी तीन बार अर्धठोस भोजन के साथ दो बार पौष्टिक नाश्ता देना चाहिए।

- 12 से 24 माह तक के बच्चों को ब्रेस्ट फीडिंग के साथ 250 मिलीलीटर की एक कटोरी तीन बार अर्धठोस भोजन व तीन बार पौष्टिक नाश्ता भी देना चाहिए।

- साथ ही बच्चों के बेहतर पोषण के लिए अनुपूरक आहार में विविधता भी काफी जरूरी है।

मां के लिए

- प्रेग्नेंसी के दौरान महिला को 180 दिन तक रोजाना आयरन एवं फॉलिक एसिड की एक गोली के साथ कैल्शियम की दो गोली रोजाना लेनी चाहिए।

- प्रसव के बाद भी 180 दिन तक रोजाना आयरन व फॉलिक एसिड की एक गोली के साथ कैल्शियम की दो गोली लेनी चाहिए।

- एक प्रेग्नेंट फीमेल को अधिक से अधिक आहार सेवन में विविधता लानी चहिए।

- मां के वजन से गर्भ में पल रहे बच्चे की हेल्थ पर असर पड़ता है, इसलिए प्रेग्नेंसी के दौरान निश्चित अंतराल पर माता का वजन जरूर करना चाहिए।

हाईलाइट्स

- 15 से 49 साल की महिलाओं पर हुआ सर्वे

- 46 फीसद फीमेल्स में पाई गई खून की कमी

- 22.2 परसेंट फीमेल्स मिलीं कुपोषण का शिकार

- 35.2 परसेंट बच्चे जिनकी उम्र 5 साल से कम थी माल नरिश्ड पाए गए।

- 60 हजार बच्चे पाए गए माल नरिश्ड।

- 8600 थी शहर में अति कुपोषित बच्चों की संख्या।

- सितंबर में यह बढ़कर 10094 हो गई।

मां और बच्चे की हेल्थ के लिए बेहतर परामर्श जरूरी है। प्रेग्नेंट फीमेल्स का सही पोषण और उनके और गर्भ में पल रहे बच्चों के जीवन पर भी प्रभाव डालता है। प्रेग्नेंसी में मां का संपूर्ण आहार बच्चे की लंबाई और ऊंचाई पर भी असर डालता है। ऐसा न होने से बच्चे का आईक्यू लेवल भी डेवलप नहीं हो पाता है और फ्यूचर में यह बच्चों में नजर आता है।

डॉ। रीना श्रीवास्तव, गाइनकोलॉजिस्ट, बीआरडी मेडिकल कॉलेज

प्रेग्नेंसी के दौरान फीमल्स को रोजाना खाने में आयरन ओर फॉलिक एसिड की सही मात्रा लेना जरूरी है। प्रेग्नेंट फीमेल्स को अधिक से अधिक आहार सेवन में विभिन्नता लानी चहिए। प्रेग्नेंसी से पहले एक हजार दिन बच्चे की शुरुआती जिंदगी के लिए काफी अहम हैं। अगर शुरू में पोषण पर ध्यान नहीं दिया गया तो शारीरिक व मानसिक विकास पर इसका असर हो सकता है, जिसकी भरपाई बाद में नहीं हो सकती है।

- डॉ। अनीता मेहता, चाइल्ड स्पेशलिस्ट

न्यूली वेडड कपल्स को बच्चे की प्लानिंग करते वक्त कुछ बातों की ध्यान देना जरूरी है। प्रेग्नेंसी से एक माह पहले मां को फोलिक एसिड के टेबलेट जरूर दें, ऐसा करने से बच्चे में न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट की आशंका कम हो जाती है और स्वस्थ मस्तिष्क के साथ बच्चे का जन्म होता है।

- डॉ। सुधीर गुप्ता, गाइनकोलॉजिस्ट

Posted By: Inextlive