कथा सम्राट की जयंती पर उनका गांव हुआ गुलजार

उनकी यादों को सहेजने के लिए नाटकों का हुआ मंचन

VARANASI

कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद की जयंती पर शुक्रवार को उनके गांव लमही में एक बार फिर उनके नाम का मेला लगा। गोलगप्पे, चाउमीन, रोल, चाट पकौड़ी, आईसक्रीम व दूसरे तमाम तरह के खाने पीने की चीजों से सजे मेले में गांव से लेकर शहर के लोग भी शामिल हुए। गांव वालों के लिए यह एक सालाना मेला था जबकि शहर वालों के लिए कथा सम्राट के नाम पर होने वाला महज एक आयोजन। सरकारी और गैरसरकारी स्तर पर लगे इसे मेले में मुंशी के नाम पर कुछ भाषण दिये गये, कुछ नाटकों का मंचन हुआ। बच्चों से लेकर गांव की महिलाएं, पुरुषों और बुजुर्ग मेले को जीते दिखायी दिये।

दिन चढ़ने के साथ बढ़ा मेला

वैसे तो लमही में सुबह से ही मेले की चहल-पहल दिखायी दे रही थी पर जैसे जैसे दिन चढ़ा मेले की रौनक बढ़ती गयी। बच्चे स्कूल से लौट कर तो घर के कामकाज समेट कर दोपहर बाद गांव की महिलाएं भी मेले में पहुंचीं। मुंशी के नाम पर बने स्मारक से लेकर रामलीला मैदान तक की सड़कें दिन भर लोगों से गुलजार रहीं। क्षेत्रीय सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से प्रेमचंद लमही महोत्सव का आयोजन किया गया। उद्घाटन आईजी अमरेंद्र सिंह सेंगर, प्रो। हरीश त्रिवेदी, डॉ। मिथिलेश्वर, प्रो। कुमार पंकज आदि ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्जवलित कर किया। इस अवसर पर साहित्यकारों का सम्मान भी किया गया।

मंच पर जीवंत हुए मुंशी जी

लमही महोत्सव में विभिन्न नाट्य संस्थाओं के कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियों में कथा सम्राट की कहानियों का मंचन किया। प्रेमचंद स्मारक में नाट्य संस्था मंथन की ओर से 'बूढ़ी काकी' और 'गुल्ली डंडा' का मंचन हुआ। बाल रंग मण्डल के कलाकारों ने पंचपरमेश्वर व गोकुल आ‌र्ट्स के कलाकारों ने सवा सेर गेहूं का मंचन किया। यश भारती पुरस्कार प्राप्त विष्णु यादव एवं हीरा लाल यादव तथा डॉ। आभा गुप्ता ठाकुर के संयोजन में बीएचयू के स्टूडेंट्स ने गायन प्रस्तुत किया। संचालन डॉ। रामसुधार सिंह तथा धन्यवाद डॉ। रत्‍‌नेश वर्मा ने दिया। इधर लमही रामलीला मैदान के मंच पर सेतु सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से बड़े घर की बेटी का मंचन किया गया।

पेंटिंग में उभरे कथा सम्राट

लमही स्थित कथा सम्राट के आवास पर उनकी कहानियों को कलाकारों ने पेंटिंग के माध्यम से प्रस्तुत किया। स्कूली बच्चों से लेकर फेमस कलाकारों ने मुंशी जी की कहानियों को अपनी नजरिये से पेंटिंग में सजाया। किसी पेंटिंग में ईदगाह का हामिद दिखायी दिया तो किसी में गोदान के पात्र जीवंत हुए।

किताबों का भी लगा मेला

मुंशी जी के गांव में उनके साहित्य का भी मेला लगा। स्मारक के सामने स्थित मंदिर में उनकी लिखी कहानियों और उपन्यास का संग्रह स्टॉल पर प्रदर्शित किया गया था। कुछ साहित्य प्रेमियों ने वहां से कथा सम्राट की कहानियों को खरीदा भी। बच्चों का समूह भी स्टॉल पर आता कुछ किताबों को देखने के बाद चला जाता। बच्चों के पास न तो किताबें खरीदने के लिए पैसे थे और न ही उन्हें समझने के लिए समझ।

क्0 साल में बन पाया सिर्फ भवन

बड़े प्रयासों के बाद लमही में प्रेमचंद मेमोरियल रिसर्च एण्ड स्टडी सेंटर भवन का निर्माण तो हुआ पर वहां आज भी ताला ही लटका मिला। इसका शिलान्यास ख्00भ् में तत्कालीन सूचना एवं प्रसारण राज्यमंत्री जयपाल रेड्डी ने किया था। इसे बनाने की जिम्मेदारी बीएचयू को दी गयी। छह साल बाद बीएचयू को इसके लिए 0.ख्ब्9 हेक्टेयर जमीन उपलब्ध करायी गयी। दो करोड़ की राशि बीएचयू को पहले ही उपलब्ध कराया गया था। ख्0क्0 में लमही आये तत्कालीन संस्कृति मंत्री सुभाष पाण्डेय ने दस करोड़ रुपये और भी दिलाने का वादा किया था। तकरीबन दस बरस बीतने के बाद सिर्फ भवन बन कर तैयार हो सका है।

Posted By: Inextlive